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लखनऊ में ऐसी अनेकों चीजें मौजूद हैं,जिसके लिए यह विश्वभर में प्रसिद्ध है। इन्हीं चीजों में
से एक यहां के प्रसिद्ध बाग या बगीचे भी हैं, जिस वजह से हमारे शहर को “बागों का शहर” भी
कहा जाता है। किन्तु लखनऊ के उन कई पुराने बागों को अब भुला दिया गया है जो या तो अब
मौजूद नहीं हैं या अच्छी स्थिति में नहीं हैं। लेकिन बागों के कुछ पुराने नाम आज भी अतीत के
एक हरे-भरे शहर की याद को ताजा कर देते हैं। तो आइए आज पुराने अवध के हमारे बागों में
से एक मूसा बाग तथा कुछ अन्य भूले-बिसरे बागों को फिर से याद करते हैं।
"शाम-ए-अवध" एक ऐसा अनूठा शीर्षक है, जो नवाबों का बागों के प्रति प्रेम को अभिव्यक्त
करता है।एक ऐसा स्थान जहां नवाब इत्मीनान से अपने शाम के समय को व्यतीत करते
थे।शायद यही कारण है, कि शहर के कुछ इलाकों के नाम के आगे प्रत्यय के रूप में "बाग"
लगाया गया है। जैसे डालीबाग, चारबाग, आलमबाग, सिकंदरबाग, खुर्शीदबाग और मूसा बाग।
मूसा बाग, लखनऊ के पश्चिमी छोर पर स्थित एक महान ऐतिहासिक महत्व का स्थल है।यह
हरे-भरे उपजाऊ खेतों और जंगलों के साथ एक बहुत ही सुरम्य स्थान है और इसमें एक
प्रभावशाली इंडो-यूरोपीय शैली का स्मारक भी है जिसने 1857 के विद्रोह का भी सामना किया।
इसके इतिहास की बात करें तो अवध प्रांत के 5 वें नवाब सआदत अली खान ने गोमती नदी के
तट पर सुरम्य मूसा बाग में एक सुंदर कोठी (महल) का निर्माण किया। कोठी में सूक्ष्म फ्रांसीसी
वास्तुशिल्प का इस्तेमाल किया गया था और इसमें बड़े आकर्षक उद्यान थे।
मूसा बाग कोठी को नवाब सआदत अली खान के शासनकाल के दौरान अवकाश और मनोरंजक
गतिविधियों के लिए विकसित किया गया था। नवाब और विदेशी गणमान्य व्यक्ति, ज्यादातर
यूरोपीय (Europeans), मूसा बाग में गैंडों, हाथियों, बाघों और जंगली भैंसों जैसे जानवरों के
बीच लड़ाई का आनंद लेने के लिए यहां आया करते थे। नवाब गाजी-उद-दीन हैदर और उनके
बेटे नसीर-उद-दीन हैदर ने रेजीडेंसी (Residency) के वैकल्पिक स्थल के रूप में अंग्रेजों को
मूसा बाग की पेशकश की लेकिन ब्रिटिश प्रशासन ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। बाद
में, अंग्रेजों ने अवैध कब्जे के द्वारा शासकों को उनकी संपत्ति से निष्कासित कर दिया।
यह स्थान 1857 के विद्रोह के दौरान प्रिंस बिरजिस कादर और बेगम हजरत महल का मजबूत
गढ़ भी था। जनरल आउट्राम (General Outram) के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों ने कोठी पर
हमला किया था। मूसा बाग में लगभग पाँच सौ विद्रोही मारे गए और उनके सभी हथियार और
गोला-बारूद जब्त कर लिए गए।मूसा बाग कोठी का ढांचा इस समय खंडहर में है। गुंबददार छत
के साथ दो बड़े खंड और एक छत रहित संरचना जो जमीन के नीचे धँसी हुई है, को देखा जा
सकता है। मूसा बाग में 1857 के विद्रोह के संघर्ष के दौरान, ब्रिटिश रेजिमेंट के कैप्टन वेल्स
(Captain Wales) घातक रूप से घायल हो गए और 21 मार्च 1858 को उनकी मृत्यु हो गई।
उन्हें मूसा बाग कोठी के परिसर में दफनाया गया है और उनकी मजार के लिए एक बाड़ा बनाया
गया है।
लखनऊ के अन्य भूले-बिसरे ऐतिहासिक उद्यानों की बात करें तो, इनमें सिकंदर बाग, दिलकुशा
बाग,कैसर-बाग,आलमबाग, चारबाग, बादशाह बाग, विलायती बाग आदि शामिल हैं:
1.सिकंदर बाग 1800 के आसपास नवाब सआदत अली खान द्वारा बनाया गया माना
जाता है। बगीचे के हर नुक्कड़ पर आपको एक अनोखा आकर्षण अवश्य ही देखने को
मिलेगा। आप निश्चित रूप से इसकी मनमोहक सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।यहां
कथक नृत्य, धार्मिक प्रदर्शन, काव्य और संगीत कार्यक्रमों और कई अन्य ऐसी
सांस्कृतिक गतिविधियों का लाइव प्रदर्शन भी किया जाता है।
2. दिलकुशा बाग़ लखनऊ के सबसे लोकप्रिय उद्यानों में से एक है और यह बिबियापुर
मार्ग पर स्थित है। इस उद्यान का वातावरण काफी शांत और स्वच्छ तो है ही, साथ
ही यह बच्चों के मनोरंजन के लिए सुविधा भी प्रदान करता है। यह एक ऐसा स्थान
हुआ करता था जिसका उपयोग ब्रिटिश अधिकारी और नवाब विश्राम गृह के रूप में
करते थे।
3. कैसर-बाग का निर्माण 1852 ईस्वी के आसपास हुआ था और यह वाजिद अली शाह के
लिए घर जैसा था। वहाँ एक भव्य महल है जो अभी भी वहाँ खड़ा है और कई खूबसूरत
बगीचे हैं जो अभी भी शहर की हलचल से दूर एक शांत वातावरण प्रदान करते हैं। इन
उद्यानों में यूरोपीय डिजाइनों को शामिल किया गया था।
4. आलमबाग, बाग का नाम नवाब वाजिद अली शाह की पहली पत्नी आलम आरा के नाम
पर रखा गया था
5. इसी प्रकार से चारबाग को नवाब आसफ-उद-दौला के समय में चार विशाल मुगल शैली
के बगीचों से नाम प्राप्त हुआ है।
6. बादशाह बाग, नवाब नसीर-उद-दीन हैदर ने अपनी पत्नी कुदसिया बेगम के लिए बनाया
था, जहां माली भी सभी महिलाएं थीं।
लखनऊ के वे बगीचे या पार्क जो वर्तमान समय में अत्यधिक प्रसिद्ध हैं, उनमें जनेश्वर मिश्रा
पार्क,डॉ राम मनोहर लोहिया पार्क, अम्बेडकर मेमोरियल पार्क, गोमती रिवरफ्रंट पार्क, इको
गार्डन पार्क आदि शामिल हैं।ये बाग़ लोगों को अच्छा समय बिताने, स्वच्छ हवा में तेरो-ताज़ा
तो कर ही देतें है, साथ ही लखनऊ के जीवन का अभिन्न अंग भी बन गए हैं। आजकल के
मौसम में शाम के वक्त, महामारी के दौरान एक सुरक्षित स्थान के रूप में यहां घूमने ज़रूर
जाइएगा
संदर्भ:
https://bit.ly/3nuKwXf
https://bit.ly/3ltOpJp
https://bit.ly/2Z27RWd
https://bit.ly/3nuKzSV
For Pictures use -
https://bit.ly/3AdwooQ
https://bit.ly/3zi5uek
https://en.wikipedia.org/wiki/Musa_Bagh
https://bit.ly/3hupuEg
चित्र संदर्भ
1. बाग़ में फव्वारे पर इकट्ठा हुई राजकुमारियो का एक चित्रण (collectionapi.metmuseum)
2. मूसा बाग, लखनऊ के पश्चिमी छोर पर स्थित एक महान ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। जिसका एक चित्रण (wikimedia)
3. अपने बागीचे में अवध के नवाब आसफ-उद-दौला का एक चित्रण (indianculture)
4. कैसरबाग, लखनऊ, c.1866 का एक चित्रण (wikimedia)
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