Post Viewership from Post Date to 19-Sep-2021 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1673 141 1814

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

सतत विकास लक्ष्यों की पूर्ती के लिए आवश्यक हैं कृषि सिंचाई परियोजनाएं

लखनऊ

 14-09-2021 10:22 AM
भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

मिट्टी या मृदा हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि मनुष्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्षदोनों रूप से मिट्टी पर निर्भर है।लखनऊ में भी विभिन्न प्रकार की मिट्टी पायी जाती है, जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के लिए किया जाता है। यहां पाई जाने वाली प्रमुख मिट्टियों में दोमट, बलुआ, सिल्ट और चिकनी या मटियार मिट्टी शामिल है।इनके अलावा इन सभी मिट्टियों का मिश्रण भी यहां पाया जाता है। उदाहरण के लिए बलुआ-दोमट, सिल्ट-दोमट,सिल्टी दोमट आदि।इन सभी मिट्टियों में कुछ न कुछ अंतर अवश्य होता है, इसलिए इनका उपयोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के लिए किया जाता है। यहां जो मिट्टी सबसे अधिक पायी जाती है, वह है दोमट मिट्टी।दोमट मिट्टी,बलुआ, सिल्ट और मटियार मिट्टी का मिश्रण है तथा पौधों के लिए अत्यधिक उपयुक्त मानी जाती है।इसकी पोषक तत्वों को धारण करने की क्षमता अत्यधिक उच्च होती है और इसलिए इसे कृषि मृदा भी कहा जाता है।
लखनऊ का कुल कृषि क्षेत्र 215280 हेक्टेयर, शुद्ध कृषि क्षेत्र 138148 हेक्टेयर तथा शुद्ध सिंचित क्षेत्र 124000 हेक्टेयर है तथा यहां पाई जाने वाली मिट्टी का उपयोग कृषि क्षेत्र, वन, चारागाह जैसी अनेकों गतिविधियों के लिए किया जाता है।वर्तमान समय में पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन और गरीबी का सामना कर रहा है, तथा इन दोनों समस्याओं को कम करने में मिट्टी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
।विभिन्न प्रकार की गैसों सहित कार्बन डाईऑक्साइड जलवायु परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण कारक मानी जाती है तथा मिट्टी पृथ्वी के लगभग 2,500 गीगाटन कार्बन को संचित करती है। यह मात्रा वायुमंडल में कार्बन की मात्रा का तीन गुना से अधिक हिस्सा है और सभी जीवित पौधों और जानवरों में संग्रहित मात्रा का चार गुना है।इस प्रकार मिट्टी कार्बन भंडारण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को कम करने में एक हथियार की भांति कार्य करती है।इसके अलावा मिट्टी गरीबी उन्मूलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।यदि मिट्टी उर्वरक हो, तो फसल उत्पादन अच्छा होता है, और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से खेती से जुड़े लोगों को लाभ प्राप्त होता है।मिट्टी की गुणवत्ताकृषि उत्पादन और आर्थिक विकास के प्रमुख निर्धारक हैं।
हालांकि कभी-कभी परिणाम इसके विपरीत भी प्राप्त होते हैं। यदि अच्छी मिट्टी वाले क्षेत्रों को अलग कर दिया जाता है,या ऐसे क्षेत्रों का उचित प्रबंधन नहीं किया जाता है, तो बेहतर मिट्टी होने के बाद भी ग्रामीण गरीबी दर उच्च हो सकती है।जिन क्षेत्रों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाता, वहां की मिट्टी की उर्वरता अपेक्षाकृत बेहतर होती है, किन्तु विभिन्न सुविधाओं के अभाव के कारण ऐसे क्षेत्रों में गरीबी दर भी बढ़ती जाती है। मिट्टी एक प्रकार से सिंचाई अवसंरचना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्यों कि मिट्टी जल की एक महत्वपूर्ण मात्रा का संग्रहण करती है, जिसका उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है।
भारत में ताजे पानी का मुख्य उपभोक्ता सिंचाई है तथा भारत में भूजल का 90 प्रतिशत से अधिक जल का उपयोग किया जाता है।बढ़ती जनसंख्या जो कि खाद्य सुरक्षा के साथ भी जुड़ी हुई है, ने जल संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव डाला है।
देश एक ऐसी स्थिति में पहुंच गया है जहां अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से पानी की मांग तेजी से बढ़ रही है जबकि ताजे पानी की आपूर्ति स्थिर है।इसके अतिरिक्त, पानी का अति प्रयोग बढ़ी हुई लवणता,पोषक तत्वों के प्रदूषण,और बाढ़ के मैदानों और आर्द्रभूमि के क्षरण और नुकसान से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है।खराब जल संसाधन प्रबंधन प्रणाली और जलवायु परिवर्तन के कारण भारत लगातार पानी की कमी का सामना कर रहा है।इस समस्या के निपटान के लिए कुशल जल बचत प्रौद्योगिकियों, नहर के पानी का उपयोग और वर्षा जल संचयन जैसे सिंचाई के वैकल्पिक स्रोतों की ओर स्विच करना अनिवार्य हो गया है।
जिस प्रकार से जल स्तर तेजी से कम हो रहा है, सिंचाई क्षमता कम हो रही है और बार-बार सूखा पड़ रहा है, यह इंगित करता है, कि यदि मौजूदा जल उपयोग पैटर्न में सुधार नहीं किया जाता है तो भविष्य में भयावह जल संकट हो सकता है।वर्षा जल के संचयन और अपवाह जल का उपयोग करने हेतु भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए सिंचाई के बुनियादी ढांचे में और सुधार करने की आवश्यकता है।उत्तर प्रदेश सरकार ने 40 लाख किसानों को लाभान्वित करने के लिए मेगा सिंचाई परियोजनाएं शुरू करने की योजना बनाई है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अगले साल तक सिंचाई परियोजनाओं से 16.49 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि सिंचित करने का निर्णय लिया है ताकि पानी की कमी से कृषि को नुकसान न हो। इससे करीब 40.56 लाख किसानों को लाभ होने की संभावना है।
वर्तमान समय में कोरोना महामारी पूरे विश्व में फैली हुई है तथा इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था और इसके प्रमुख क्षेत्रों विशेष रूप से पानी,अपशिष्ट जल और कृषि जैसे संबद्ध क्षेत्रों पर इसके प्रभाव की सीमा अभी भी स्पष्ट नहीं है।कोरोना महामारी का प्रभाव जल संसाधनों पर स्पष्ट रूप से देखने को मिला है। उदाहरण के लिए महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन, जिसने औद्योगिक अपशिष्ट निर्वहन को रोका, के कारण नदियों के जल की गुणवत्ता में सुधार आया है, किन्तु घरेलू और वाणिज्यिक क्षेत्रों में पानी की मांग-आपूर्ति के पैटर्न में बदलाव हुआ है। इसके अलावा कृषि गतिविधियों में व्यवधान और कृषि जल उपयोग पैटर्न में बदलाव हुआ है। इन प्रभावों से उभरने के लिए सरकार को सतत विकास लक्ष्यों का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। इसके अलावा डेटा निगरानी प्रक्रिया को मजबूत करने और क्षेत्र-विशिष्ट व्यापक डेटाबेस के निर्माण की आवश्यकता है।

संदर्भ:

https://bit.ly/3z3gUST
https://bit.ly/392XXFw
https://bit.ly/3A70TwG
https://bit.ly/3zfMMUF
https://bit.ly/3EeaHHq

चित्र संदर्भ
1. बिहार, भारत में सौर ऊर्जा संचालित सिंचाई प्रणाली का एक चित्रण (flickr)
2. मिट्टी की विभिन्न परतों का एक चित्रण (wikimedia)
3. सिंचाई हेतु भूमिगत जल प्रयोग का एक चित्रण (wikimedia)
4. सिंचाई हेतु नालों के प्रयोग किये जाने का एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र व प्रादेशिक जल, देशों के विकास में होते हैं महत्वपूर्ण
    समुद्र

     23-11-2024 09:29 AM


  • क्या शादियों की रौनक बढ़ाने के लिए, हाथियों या घोड़ों का उपयोग सही है ?
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:25 AM


  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id