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भारत में साक्षरता सामाजिक-आर्थिक प्रगति की कुंजी है। सरकारी कार्यक्रमों के बावजूद, भारत की साक्षरता दर
में काफी धीरे से वृद्धि हो रही है।2011 की जनगणना ने 2001–2011 की दशकीय साक्षरता में 9.2% वृद्धि
को देखा गया है, जो पिछले दशक के दौरान देखी गई वृद्धि की तुलना में काफी धीमी है। 1990 के एक पुराने
विश्लेषणात्मक अध्ययन ने अनुमान लगाया था कि भारत को उस समय की प्रगति की दर पर सार्वभौमिक
साक्षरता हासिल करने में 2060 तक का समय लगेगा। वहीं भारत की जनगणना ने 2011 में औसत साक्षरता
दर 73% होने का अनुमान लगाया था, जबकि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने 2017-18 में किए गए सर्वेक्षण में
साक्षरता दर 77.7% बताया था। शहरी क्षेत्रों में साक्षरता दर 73.5% के साथ ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में
87.7% अधिक थी।
भारत में साक्षरता
भारत में साक्षरता दर में व्यापक लैंगिक असमानता है और प्रभावी साक्षरता दर (आयु 7 और उससे अधिक)
पुरुषों के लिए 84.7% और महिलाओं के लिए 70.3% थी।साथ ही कम महिला साक्षरता दर का भारत में
परिवार नियोजन और जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।क्योंकि कुछ अध्ययनों
से संकेत मिलते हैं कि विवाहित भारतीय जोड़ों के बीच शिक्षित महिलाओं द्वारा गर्भनिरोधक का उपयोग किया
जाता है,भले ही महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता न हो। साथ ही जनगणना से एक सकारात्मक संकेत यह भी
मिलता है कि 2001-2011 दशक की अवधि में महिला साक्षरता दर (11.8%) में पुरुष साक्षरता दर (6.9%) की
तुलना में काफी तेज वृद्धि थी, जो हमें बताता है कि भारत में लिंग भेदभाव भी कम हो रहा है।
निम्नलिखित तालिका 2015 में भारत और कुछ पड़ोसी देशों के वयस्क और युवा साक्षरता दर को दर्शाती
है।वयस्क साक्षरता दर 15+ वर्ष आयु वर्ग पर आधारित है, जबकि युवा साक्षरता दर 15–24 वर्ष आयु वर्ग के
लिए है।
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