Post Viewership from Post Date to 01-Sep-2021 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
13371 201 13572

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

आज सामाजिक कीटों Eusociality के आपसी तालमेल से सीख लेने की जरूरत है

लखनऊ

 06-09-2021 11:27 AM
स्तनधारी

प्रायः ऐसा माना जाता है की, मनुष्य अपनी बौद्धिक क्षमता, चतुराई, सामाजिक संतुलन यानी मिलजुल कर काम करने की क्षमता के आधार पर दूसरे जीव-जंतुओं और जानवरों से अलग है। किंतु वास्तविकता में यह पूर्ण सत्य नहीं है। क्यों की जानवरों में भी गज़ब की सामाजिक एकता तथा आपसी तालमेल देखा जाता है। यहां तक की कई मायनों वे यह इंसानो से भी ऊपर उठकर ,आश्चर्चकित करने वाले सामाजिक संतुलन का प्रदर्शन करते हैं।
जिस प्रकार हम अपने घरों अथवा कार्यस्थलों में एक दूसरे की क्षमता के आधार पर घर के किसी सदस्य अथवा कार्यालय (Office) के किसी सहकर्मी को काम सौंपते हैं, ठीक उसी प्रकार, गुण अथवा क्षमता नन्हें जीवों अथवा जानवरों में देखी जाती है। जीव-जंतुओं में इस प्रकार के संतुलन के लिए कीट सामाजिकता,यूसोसियलिटी (Eusociality) "ग्रीक में : अच्छी+सामाजिकता" शब्द का प्रयोग किया जाता है। एक जानवर जो उच्च स्तर की सामाजिकता प्रदर्शित करता है, उसे सामाजिक जानवर कहा जाता है। समाजशास्त्रियों द्वारा मान्यता प्राप्त सामाजिकता की उच्चतम परिभाषा यूसोसियलिटी है ।
इंसानों की भांति जानवरों में भी सहकारी ब्रूड केयर (Co-operative brood care) अर्थात दूसरे के बच्चों की देखभाल सहित, प्रजनन और गैर-प्रजनन समूहों आदि में श्रम का विभाजन किया जाता है। श्रम का विभाजन पशु समाज के भीतर विशेष व्यवहार समूह बनाता है, जिसे कभी-कभी 'जाति' कहा जाता है। सामाजिकता का यह गुण कुछ कीड़ों, क्रस्टेशियंस (crustaceans)"मुख्य रूप से जलीय समूह जैसे केकड़ा, झींगा मछली, झींगा, या बार्नकल" और स्तनधारियों में भी मौजूद होता है। अधिकांशतः यह विशेष गुण हाइमनोप्टेरा (Hymenoptera) (चींटियों, मधुमक्खियों और ततैया) और आइसोप्टेरा (Isoptera) (दीमक) में देखा और अध्ययन किया जाता है। कीट सामाजिकता के अंतर्गत नन्हे कीड़ों के एक उपनिवेश में ही जातिगत अंतर होते हैं। उदाहरण के लिए झुंड की रानियां और प्रजनन पुरुष एकमात्र प्रजननकर्ता की भूमिका निभाते हैं, जबकि सैनिक और कार्यकर्ता एक साथ मिलकर काम करते हैं, ताकि बच्चों के भरण- पोषण, सुरक्षा तथा उनके लिए अनुकूल माहौल संतुलित रखा जा सके। इसके अलावा कुछ कशेरुकी (vertebrates) जैसे: तिल-चूहा और दमारलैंड तिल-चूहा तथा झींगों में भी यूसोसियल का गुण देखा जाता है। हालांकि कई विशेषज्ञों के अनुसार इनकी तुलना में मनुष्य एक कमजोर सामाजिक प्राणी है, लेकिन यह तर्क हमेशा विवादों में ही रहा है।
अधिकांश आर्थ्रोपोड (arthropods), हाइमनोप्टेरा (Hymenoptera) में यूसोसियल कीड़ों का सबसे बड़ा समूह शामिल है, जिसमें चींटियां, मधुमक्खियां और ततैया शामिल हैं - जिनमें रानियां प्रजनन करती हैं, और बाँझ (sterile) कीट श्रमिक अथवा सैनिकों का कार्य करते हैं। उदाहरण के तौर पर ततैया पॉलिस्टेस वर्सिकलर (Polyestes versicolor) प्रजाति की प्रमुख महिलाएं नई कोशिकाओं के निर्माण और ओविपोसिटिंग जैसे कार्य करती हैं, जबकि अधीनस्थ महिलाएं लार्वा को खिलाने और भोजन की व्यवस्था करती हैं। बाँझ जाति वाली यूसोशल प्रजाति को कभी-कभी हाइपरसोशल कहा जाता है। भोरें की लगभग 250 प्रजातियां और डंक रहित मधुमक्खियों की लगभग 500 प्रजातियां यूसोसियल हैं, दीमक (ऑर्डर ब्लाटोडिया "Order Blatodia", इन्फ्राऑर्डर इसोप्टेरा"infraorder Isoptera") एक अत्यधिक उन्नत यूसोसियल कीटों का समूह हैं। इनकी विभिन्न जातियों में रानी और राजा ही एकमात्र प्रजनन कर सकते हैं, और सैनिक चींटी के हमलों के खिलाफ कॉलोनी की रक्षा करते हैं। कुछ सैनिकों के जबड़े इतने बढ़े हुए होते हैं (विशेष रूप से रक्षा और हमले के लिए ) कि वे अपना पेट भी नहीं भर पाते,अतः अन्य श्रमिकों को उन्हें खिलाना पड़ता है।
इस पूरे प्रसंग में यदि आपने गौर किया हो, तो यह देखा होगा की अधिकाशं सामाजिक कीट (eusocial) स्थलीय अर्थात जमीन पर रहने वाले जीव हैं। दरअसल स्थलीय वातावरण की तुलना में जलीय वातावरण में यूसोसियल प्रजातियां बेहद कम संख्या में हैं। इस संदर्भ में शोधकर्ताओं (एंडरसन (Anderson) 1984; अलेक्जेंडर (Alexander), नूनन और क्रेस्पी (Noonan, and Crespi) 1991) आदि के द्वारा यह तर्क दिया जाता है की, यूसोसियल प्रजातियों का विकास संतानों की रक्षा, और नन्हे कीटों की बार-बार खाने की प्रवृति के परिणाम स्वरूप हुआ, इसलिए यूसोसियल प्रजातियों की सबसे बड़ी खासियत ही यही हैं की, उन्हें संरक्षण और घोंसलों की आवश्यकता होती है। पानी का घनत्व जितना अधिक होता है, उसकी जड़ता और गति हवा की तुलना में बहुत अधिक होती है। साथ ही पानी में कई जगहों पर ऑक्सीज़न की भी कमी होती है। पानी का तापमान भी असंतुलित रहता है, अर्थात कभी बेहद ठंडा और कभी चरम सीमा तक गरम हो जाता है, जिसका यह निष्कर्ष निकलता है की उपुक्त घोसलों की उपलब्धता और संतुलित वातावरण के नज़रिये से स्थलीय वातावरण की तुलना में जलीय जीव बहुत अधिक विवश है। पानी की एक निश्चित मात्रा में हवा की तुलना में अधिक जड़ता और गति होती है, और इसलिए गतिमान पानी घोसलों को अस्थिर बना सकता है, जो घोंसले के निर्माण पर प्रभाव डाल सकता है। जिससे यह घोंसला शिकारी हमलों से बचने के लिए पर्याप्त मजबूत भी नहीं होगा। स्थलीय कीटों में गजब का सामाजिक तालमेल नज़र आता है और आज के वैश्विक संकट के दौरान हम इन नन्हे सैनानियों से बहुत कुछ सीख भी सकते हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3zK0S1g
https://en.wikipedia.org/wiki/Sociality
https://en.wikipedia.org/wiki/Eusociality

चित्र संदर्भ
1. समूह में मिलकर काम करती चींटियों का एक चित्रण (istockphoto)
2. छत्ते में अंडों की देखभाल करती मधुमक्खियों का एक चित्रण (istockphoto)
3. झींगा स्पंज के अंदर कॉलोनियों में रहता है, जिसका एक चित्रण (flickr)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id