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शुरुआती समय में सूअर पालन की भारतीय समाज में काफी खराब छवि बनी हुई थी, ऐसा इसलिए क्योंकि इस
व्यवसाय को केवल सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों द्वारा किया जाता था। लेकिन वर्तमान में परिदृश्य
काफी बदल चुका है और अब भारत में व्यावसायिक सूअर पालन पिछड़े वर्ग के लोगों तक सीमित नहीं रह गया
है। सूअर पालन न केवल एक लाभदायक व्यवसाय है बल्कि एक बहुत ही लोकप्रिय और आकर्षक व्यवसाय है।
अब लोग सूअर पालन को एक बहुत ही फायदेमंद व्यवसाय के रूप में देखते हैं। हाल के वर्षों में सूअर पालन
में अनेक नवयुवकों ने रुचि दिखाई है तथा ग्रामीण क्षेत्रों में लाभ की प्रत्याशा में जगह-जगह पर सूअर फार्म
(Farm) भी खुल रहे हैं।
रामपुर में कई परिवारों के पास सूअर पालन के बड़े फार्म मौजूद हैं और वे सफलतापूर्वक पीढ़ियों से अपना
व्यवसाय चला रहे हैं। सूअर पालन कम कीमत पर और कम समय में अधिक आय देने वाला व्यवसाय है।यह
आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बाजार
में सूअर के मांस के अलावा, अन्य उत्पाद जैसे सूअर की चर्बी, खाल, बाल और हड्डियों का उपयोग कुछ विशिष्ट
चीजें जैसे कि कपड़े, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के लिए सामग्री, चिकित्सा, और सौंदर्य प्रसाधन आदि में उपयोग
किया जाता है।
वहीं मादा सूअर एक बार में 10-14 बच्चों को जन्म देती हैं, तथा मादा सूअर आठ या नौ महीने की उम्र में
जन्म देने के लिए परिपक्व हो जाती हैं और अगर उन्हें ठीक से प्रबंधित किया जाता है तो वे साल में दो बार
गर्भधारण कर सकती हैं। उनकी परवरिश की लागत अपेक्षाकृत कम है क्योंकि वे क्षतिग्रस्त अनाज, अप्रयुक्त
सब्जियां और फल, रसोई अपशिष्ट और विभिन्न प्रकार के चारा और गन्ना आदि का सेवन कर सकते हैं।
इसके अलावा, वे 7–10 महीनों में 60-90 किलोग्राम तक हो सकते हैं। इसलिए, व्यावसायिक स्तर पर सूअर में
लगाई गयी लागत की वापसी जल्द ही शुरू हो जाती है।
यदि आप इस व्यवसाय को शुरू करना चाहते है तो सुनिश्चित कर लें कि आपके पास निम्न सभी आवश्यक
सुविधाएं मौजूद हों :
• फार्म भूमि का चयन: सबसे पहले, आपको इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए एक बहुत अच्छे स्थान का
चयन करना होगा। सूअरों के बेहतर पालन के लिए एक शांत और प्रदूषण मुक्त जगह का चयन करना अच्छा
रहेगा जहां पानी की उपलब्धता और अच्छी परिवहन प्रणाली की सुविधा हो।
• सही नस्ल का चयन: सूअर पालन के सफल व्यवसाय के लिए सही नस्ल का चयन बहुत महत्वपूर्ण है।
इसलिए, बुद्धिमानी से नस्ल चुनें। इसके लिये आप अपने क्षेत्र में मौजूदा विशेषज्ञों के साथ परामर्श करने का
प्रयास करें, और अपने व्यवसाय के लिए सही नस्ल का चयन करने के लिए मदद मांगें। कुछ सामान्य और
लोकप्रिय सूअर की नस्लें यॉर्कशायर (Yorkshire), लैंड्रेस (Landrace), ड्यूरोक (Duroc), हैम्पशायर
(Hampshire), स्पॉटेड (Spotted), पोलैंड चीन (Poland China), घुँघरू (Ghungroo), नाइट हाउस (Knight
houses), चेस्टर व्हाइट (Chester White) और बर्कशायर (Berkshire) हैं। इन सब में बड़े सफेद यॉर्कशायर मांस
उत्पादन के लिए शीर्ष नस्ल है। एक वयस्क सूअर का वजन 200 से 400 किलो के आसपास होता है।
• सूअर के रहने का आवास: सूअर पालन के सफल व्यवसाय के लिए सभी आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता
के साथ एक अच्छा आवास बनाना बहुत महत्वपूर्ण है। एक अच्छा आवास न केवल सूअरों को स्वस्थ रखता है,
बल्कि उन्हें मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों से बचाने में भी मदद करता है।
• सूअरों का खाना: सूअरों को अच्छी गुणवत्ता और पौष्टिक भोजन खिलाना व्यावसायिक सूअर उत्पादन का
सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। अच्छा भोजन न केवल सूअरों को स्वस्थ रखने में मदद करता है, बल्कि उन्हें बेहतर
बढ़ने और तेजी से वजन बढ़ाने में भी मदद करता है।
• देखभाल: सूअर पालन के दौरान पशुओं की देखभाल काफी अहम होती है। सूअरों की देखभाल के दौरान
सफाई नियमित रूप से करते रहना चाहिए और सूअर के अच्छे विकास के लिए उन्हें आहार के साथ-साथ
औषधियों की जरूरत भी होती है, जो पशुओं के विकास के लिए उपयोगी होती हैं। सूअर पालन के दौरान कई
तरह के रोग देखने को मिल जाते हैं, जिनकी उचित समय पर पहचान कर उनका उपचार कर देना चाहिए, या
चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
आजकल भारत में कई सूअर पालन प्रशिक्षण केंद्र और सूअर प्रजनन केंद्र स्थित हैं। व्यावसायिक सूअर पालन
व्यवसाय शुरू करने से पहले, आपको सूअरों और उनके प्रबंधन की विभिन्न नस्लों के तथ्यों को जानना
आवश्यक है। व्यावसायिक सूअर पालन व्यवसाय के बारे में अधिक जानने के लिए आप किसी भी सूअर
प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में भाग ले सकते हैं।यदि प्रबंधन ठीक हो तो सूअर पालन का व्यवसाय काफी ज्यादा कमाई
करने वाला व्यापार है। क्योंकि एक उन्नत नस्ल की मादा सूअर साल में 10-14 बच्चों को भी जन्म देती है तो
वो बच्चे एक साल बाद बिकने के लिए तैयार हो जाते हैं। इस प्रकार सूअरों की संख्या के बढ़ने पर कमाई भी
बढ़ती जाती हैं।
सूअर पालन के लिए बैंक से ऋण भी लिया जा सकता है। सूअर पालन के लिए बैंक ऋण में भूमि, पशुधन
बाजार, पानी की उपलब्धता, पशु चिकित्सा सहायता, प्रजनन सुविधाएं, विपणन पहलू, प्रशिक्षण सुविधाएं, किसान
के अनुभव और राज्य सरकार के क्षेत्रीय सूअर प्रजनन केंद्रों से उपलब्ध सहायता के प्रकार की जानकारी होती
है। इसमें खरीदे जाने वाले जानवरों की संख्या और प्रकार, उनकी नस्ल, उत्पादन प्रदर्शन, लागत और अन्य
प्रासंगिक निवेश और उत्पादन लागत की जानकारी भी शामिल है। इसके आधार पर, परियोजना की कुल लागत,
लाभार्थी द्वारा प्रदान की जाने वाली अतिरिक्त राशि, बैंक ऋण की आवश्यकता, वार्षिक व्यय, आय, लाभ और
हानि विवरण, पुनर्भुगतान अवधि, आदि की जानकारी प्राप्त की जाती है और परियोजना लागत में शामिल किया
जा सकता है। वहीं सूअर पालन विकास योजनाओं के लिए बैंकों (Bank) / NABARD से प्राप्त वित्तीय सहायता के
लिये विस्तृत परियोजना विवरण पेश करना होगा। भूमि विकास,आवस का निर्माण और अन्य नागरिक
संरचनाएं, प्रजनन भंडार की खरीद तथा उपकरण को आमतौर पर बैंक ऋण के तहत माना जाता है। इसके
अलावा निवेश की अन्य वस्तुओं पर जरूरत के आधार पर विचार किया जाता है।सूअर पालन के लिए ऋण
इसलिए स्वीकृत किया जाता है ताकि सूअर पालने और प्रजनन के लिए सूअर पालन फार्मों में सुधार और
स्थापना की जा सके, जिसमें नर और मादा सूअर, चारा और सूअर की शूकरशाला के निर्माण की खरीद शामिल
है।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3guHQo7
https://bit.ly/2UFJZWk
https://bit.ly/3DckwFj
https://bit.ly/3DdoQEf
चित्र संदर्भ
1. सूअर फार्म का एक चित्रण (flickr)
2. अपने बच्चों के साथ मादा सूअर का एक चित्रण (flickr)
3. सूअर के बच्चों की जाँच करती महिला का एक चित्रण (flickr)
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