दुनिया की सबसे पुरानी वलित पर्वत प्रणाली है अरावली पर्वत श्रृंखला

लखनऊ

 17-08-2021 10:02 AM
पर्वत, चोटी व पठार

भारत में विभिन्न प्रकार की पहाड़ियां पायी जाती हैं, जिनमें से एक अरावली पर्वत श्रृंखला भी है।रामपुर से अरावली का सफर लगभग आधे दिन का है।अरावली पहाड़ी इस क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग हैं तथा यह इसके आसपास के क्षेत्रों (सीमा में परिभाषित) के लिए संसाधनों की अधिकता भी प्रदान करता है। अरावली रेंज उत्तरी-पश्चिमी भारत में एक पर्वत श्रृंखला है, जो दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगभग 670 किलोमीटर (430 मील) तक फैली हुई है। यह दिल्ली के पास से शुरू होती है, दक्षिणी हरियाणा और राजस्थान से गुजरती है, और गुजरात में समाप्त होती है।अरावली रेंज को दुनिया की सबसे पुरानी वलितपर्वत प्रणाली माना जाता है, जिसकी उत्पत्ति प्रोटेरोज़ोइक (Proterozoic) युग में हुई थी।अरावली रेंज का प्राकृतिक इतिहास उस समय का है जब भारतीय प्लेट को यूरेशियन (Eurasian) प्लेट से एक महासागर द्वारा अलग किया गया था।
उत्तर-पश्चिम भारत में प्रोटेरोज़ोइक अरावली-दिल्ली ऑरोजेनिक (orogenic) बेल्ट घटक भागों के संदर्भ में मेसोज़ोइक-सेनोज़ोइक (Mesozoic-Cenozoic) युग के छोटे हिमालयी-प्रकार के ऑरोजेनिक बेल्ट के समान है। यह रेंज प्रीकैम्ब्रियन (precambrian) घटनाक्रम में बढ़ी, जिसे अरावली-दिल्ली ओरोजेन कहा जाता है।अरावली रेंज एक उत्तर-पूर्व-दक्षिण-पश्चिम ट्रेंडिंग ऑरोजेनिक बेल्ट है जो भारतीय प्रायद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है।यह भारतीय शील्ड का हिस्सा है जो कि क्रैटोनिक (cratonic) टकरावों की एक श्रृंखला से बना था।प्राचीन काल में अरावली बहुत अधिक थी, लेकिन लाखों वर्षों के अपक्षय के कारण यह लगभग पूरी तरह से खराब हो गई है। पुराने वलय पहाड़ होने के नाते, अरावली उनके नीचे पृथ्वी की पपड़ी में टेक्टोनिक प्लेटों की गति के रुकने के कारण उच्चतर बढ़ना बंद हो गयी है।
अरावली रेंज प्राचीन पृथ्वी की पपड़ी के दो खंडों से जुड़ती है जो कि अधिक से अधिक भारतीय क्रेटन बनाते हैं। एक है अरावली क्रेटन जो अरावली रेंज के उत्तर-पश्चिम में पृथ्वी की पपड़ी का मारवाड़ खंड है, और दूसरा है अरावली रेंज के दक्षिण-पूर्व में पृथ्वी की पपड़ी का बुंदेलखंड क्रेटन खंड।क्रेटन,जो कि आमतौर पर टेक्टोनिक प्लेटों के अंदरूनी हिस्सों में पाए जाते हैं,महाद्वीपीय स्थलमंडल के पुराने और स्थिर हिस्से हैं जो महाद्वीपों के विलय और स्थानांतरण के घटनाचक्रों के दौरान अपेक्षाकृत विकृत रहे हैं। अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर गुरुशिखर है,जो माउंट आबू में है।गुरु शिखर की ऊंचाई 1,722 मीटर (5,650 फीट) है। माउंट आबू शहर, राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है,जो 1,220 मीटर (4,003 फीट) की ऊंचाई पर है। यह सदियों से राजस्थान और पड़ोसी गुजरात की गर्मी से राहत पाने के लिए एक लोकप्रिय स्थान रहा है।
पहाड़ कई हिंदू मंदिरों का घर है,जिसमें आधार देवी मंदिर (जिसे अर्बुदा देवी मंदिर भी कहा जाता है),श्री रघुनाथजी मंदिर और गुरु शिखर के ऊपर बनाया गया दत्तात्रेय मंदिर,अचलेश्वर महादेव मंदिर आदि शामिल हैं।मेवाड़ के कुम्भा द्वारा 14वीं शताब्दी में निर्मित अचलगढ़ किला पास में ही है और इसके केंद्र में नक्की झील का लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है।झील के पास एक पहाड़ी पर टॉड रॉक (Toad Rock) स्थित है।यह पहाड़ कई जैन मंदिरों का भी घर है, जिनमें दिलवाड़ा मंदिर (सफेद संगमरमर से बने मंदिरों का एक परिसर) शामिल है।दिलवाड़ा मंदिर राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू व्यवस्थापन से लगभग ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
भारतीय उपमहाद्वीप के आकार और इसकी जलवायु को परिभाषित करने में अरावली पर्वत श्रृंखला महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसने यहां बहुकोशिकीय जीवन को भी विस्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।अरावली का गहरा वैश्विक प्रभाव पड़ा है और आधुनिक समय में भी उत्तर पश्चिम भारत और उसके बाहर की जलवायु पर इसका प्रभाव जारी है। पर्वत श्रृंखला धीरे- धीरे क्षीण मानसूनी बादलों को पूर्व की ओर शिमला और नैनीताल की ओर निर्देशित करती है, और इस प्रकार उप-हिमालयी नदियों को पोषित करने और उत्तर भारतीय मैदानों को पोषण प्रदान करने में मदद करती है। सर्दियों के महीनों में, यह मध्य एशिया (Asia) से आने वाली ठंडी हवाओं के हमले से उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों की रक्षा करता है। अरावली उन क्षेत्रों के भूजल को भी प्रभावित करती है जिनसे वे गुजरते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अभेद्य ग्रेनाइटग्नीस (Granitegneiss) और क्वार्टजाइट (Quartzite) चट्टानों में छोटी दरारें और फ्रैक्चर होते हैं, और शीर्ष पर कुछ झरझरा बलुआ पत्थर और संगमरमर पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। जलविज्ञानी अब इस बात की सराहना करने लगे हैं कि गहरे जलोढ़ के नीचे क्वार्टजाइट और ग्रेनाइटिक नेटवर्क जटिल भूजल जलभृत बनाते हैं जो अत्यधिक मात्रा में पानी रखते हैं और इसे धीरे-धीरे छोड़ने का कार्य करते हैं।
अरावली पर्वत श्रृंखला जीव-जंतुओं की एक ऐसी विस्तृत विविधता को आश्रय देने का काम करती है, जिनके बारे में बहुत कम लोग ही जानकारी रखते हैं।स्थानिक पौधे, मशरूम, मकड़ी, मेंढक, सांप और अन्य जीवों का एक समूह भी है,जो केवल अरावली में मौजूद हैं।इनमें से कई का अध्ययन कम है और उनकी बहुतायत अज्ञात है।
हालांकि,पिछले चार दशकों में खनन, वनों की कटाई,प्राचीन जल चैनलों के अति-शोषण के कारण अरावली नष्ट होने लगी है।वर्तमान समय में पत्थर और खनिज प्राप्त करने के लिए अरावली की पहाड़ियों में उत्खनन का कार्य चल रहा है जिसकी वजह से ये पहाड़ियाँ अपने उस वजूद को खोती जा रही हैं, जो पहले कभी हुआ करता था। पहाड़ों का क्षय होने से पृथ्वी पर एक गहन संकट उत्पन्न हो सकता है। सबसे प्रमुख संकट इस क्षेत्र और इसके आस-पास के क्षेत्रों के वातावरण से जुड़ा हुआ है। चूंकि अरावली अनेकों प्रजातियों को आवास प्रदान करती है, इसलिए उन प्रजातियों का जीवन भी खतरे में है। यदि अरावली के पहाड़ों में हो रहे उत्खनन के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाते हैं, तो इस पहाड़ी को बचाया जा सकता है। जीव संरक्षण और पौधों के कटान को रोकने से भी एक महत्वपूर्ण बदलाव दिखाई देगा।

संदर्भ:
https://bit.ly/2P1kS92
https://bit.ly/3iMGq9Y
https://bit.ly/2Z94Y4P 
https://bit.ly/2VT2sPE
https://bit.ly/3m5utyv

चित्र संदर्भ
1. अरावली पर्वत श्रंखला का एक चित्रण (wikimedia)
2. अरावली पर्वतमाला, राजस्थान में गुरु शिखर पर पर्वतमाला के उच्चतम बिंदु से देखी जाती है, जिसका एक चित्रण (wikimedia)
3. अरबुदा देवी मंदिर, माउंट आबू, राजस्थान का एक चित्रण (flickr)
4. अरावली वाटिका उदयपुर, राजस्थान का एक चित्रण (flickr)



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id