विस्थापन से उभरी लखनऊ की 200 वर्ष पुरानी फूलों की मंडी पर महामारी की दोहरी मार

लखनऊ

 09-08-2021 09:25 AM
बागवानी के पौधे (बागान)

फूलों की खेती व्यावसायिक लाभ के नजरिये से बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है। यह हम लखनऊ की कंचन मार्केट में 200 वर्ष पुरानी फूलों की मंडी के उदाहरण से समझेंगे। साथ ही यह भी जानेगे की, किस प्रकार महामारी ने किसानों को अपने ही हाथों कठिन परिश्रम से उगाई गई फसल को नष्ट करने पर मजबूर कर दिया।
यदि आप लखनऊ के बाशिंदे हैं, तो आपने कंचन मार्केट चौक की 200 वर्ष पुरानी फूलों की मंडी के बारे में अवश्य सुना होगा। नवाबों के शासनकाल के दौरान, यह चौक अपनी 'नाइटलाइफ़' के लिए बदनाम था। और चूंकि आसपास दरबारी भी रहते थे, इसलिए वहां की दुकानें, फूलों की मंडियां बन गईं। दरअसल फूल मंडी ऐसी जगह होती है, जहां थोक में फूल खरीदने के लिए फूल विक्रेता और शादी के डिजाइनर इत्यादि जाते हैं। विभिन्न त्योहारों के अवसर पर, यदि आप भी अपने घर को सुंदर फूलों की सजावट से चमकाना चाहते हैं, तो फूल मंडी से हमेशा थोक मूल्य पर फूल प्राप्त कर सकते हैं। लखनऊ की इस प्रसिद्द फूल मंडी में गुलाब से लेकर कार्नेशन्स तक, लिलियम से लेकर लिली तक, सूरजमुखी से लेकर गेंदा तक, ढेरों फूलों के कई विकल्प देखने को मिल जाते थे। लेकिन एक सरकारी आदेश के बाद यहाँ (कंचन मार्केट) से अधिकांश दुकानें (फूलों की दुकानों सहित) अक्टूबर, 2019 में गोमती नगर में स्थानांतरित हो गई हैं।
यह स्थानीय लोगों सहित व्यापारियों के लिए एक झटके के सामान था, जिसका उनके द्वारा विरोध भी किया गया। यदि कभी आपका नई फूलों की मंडी में जाना हो, तो आप पाएंगे की नई मंडी में न तो उतनी दुकानें हैं, और न ही खरीदारों की उतनी भीड़ जो कंचन मार्केट में मिलती थी। परंतु सकारात्मक रूप से नई फूल मंडी साफ-सुथरी है, और आपकी आंखों को प्रसन्नता दे सकती है। यहाँ भी फूलों की दुर्लभ और आकर्षक किस्में देखने को मिल जाएँगी। नई फूल मंडी में थोक में खरीदे गए फूलों की कीमत एक खुदरा दुकान से खरीदे गए फूलों की तुलना में लगभग एक तिहाई होती है। सुंदर दिखने वाले फूलों को ढेर करके, गली में बिछा दिया जाता है। बेहतर फूलों को पाने के लिए आपको ढेर को कुछ गहरा भी खोदना पड़ सकता है। इस मंडी से आप फूलों के अलावा, उन्हें सजाने हेतु आवश्यक सामग्री जैसे फोम, गुलदस्ते के लिए बांस का आधार, रंगीन जाल, मोती इत्यादि भी खरीद सकते हैं। बेहतर फूलों और अच्छे सौदे के लिए आपको यहाँ जल्दी पहुँचाना होगा। इस मंडी ने होटल, दुकान के मालिक, शादी के सज्जाकार, मंदिर के पुजारी आदि के रूप में नए ग्राहक भी अर्जित किये हैं। अन्य बाजारों की तुलना में फूलों की कीमत में अविश्वसनीय कमी नए ग्राहकों को अनायास ही अपनी ओर आकर्षित कर रही है। अभी फूलों का नया बाजार स्थान्तरित होने के झटके से व्यपारी वर्ग पूरी तरह संभला भी नहीं था, कि फूल व्यापारियों को कोरोना महामारी का दोहरा घाव भी झेलना पड़ा। किसानों को दुखी मन से अपने ही हाथों की मेहनत से उगाई गई सुन्दर फूलों की खेती को नष्ट करना पड़ा,क्यों की कोरोनावायरस के प्रकोप के मद्देनजर लागू किए गए कर्फ्यू के कारण बाजार में फूलों की मांग लगभग शून्य हो गई है। उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे फूल उत्पादक खेतों में ही अपनी उपज को नष्ट करने के लिए मजबूर हैं। किसानों का कहना है कि, लॉकडाउन के कारण सभी लोगों ने अपने उत्सव के कार्यक्रमों को टाल दिया है, दुकानें बंद हो गई हैं, शादी के कार्यक्रम टाल दिए गए हैं और मंदिरों और गुरुद्वारों में फूलों की मांग भी कम हो गई है। महामारी के प्रसार से पूर्व ही अधिकांश किसानों ने अपने खेतों में फूलों के पौधे - गेंदा और गुलतक - की जुताई कर दी थी, किंतु महामारी के बंधनों के बीच निकट भविष्य में भी फूलों की मांग में वृद्धि की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। पंजाब में फूलों की खेती पर निर्भर एक किसान बलविंदर सिंह ने अपनी मेहनत से उगाई गई फूलों की खेती को नष्ट दिया।
महामारी के कारण निराश होकर उन्ही के गांव के दो अन्य किसानों ने भी क्रमश: एक एकड़ और दो एकड़ के खेतों में लगे फूलों के पौधों को नष्ट कर दिया है। उनका कहना है की इस सीजन में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से हमें पहले ही नुकसान हो रहा था, कोरोनावायरस ने अब हमें कड़ी टक्कर दे दी है। हम अपने फूलों को नष्ट करने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि अधिकांश मंदिर अब भक्तों के लिए बंद हैं और गुरुद्वारों में फूलों की मांग में भी भारी गिरावट आई है। अपनी उपज को अपने ही हाथों नष्ट करने से निराश किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। और यह उम्मीद भी कर रहे हैं कि राज्य सरकार को, राज्य में फूल उत्पादकों के लिए पैकेज की घोषणा करनी चाहिए, जिससे उन्हें कुछ स्तर तक राहत मिल सके।

संदर्भ
https://bit.ly/3iqOEVm
https://bit.ly/37lAvSK
https://bit.ly/3Aj7FiB
https://bit.ly/2uD7KkV
https://bit.ly/3isNcln

चित्र संदर्भ

1. पुष्प की गठरियों का एक चित्रण (Prarang)
2. कंचन मार्केट में बेचे जा रहे पुष्पों का एक चित्रण (Yooutube)
3. फूलों की खेती को नष्ट करते किसान का एक चित्रण (facebook)



RECENT POST

  • आइए देंखे, मोटो जी पी से जुड़े कुछ हास्यपूर्ण और मनोरंजक क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:27 AM


  • लखनऊ के एक वैज्ञानिक थे, अब तक मिले सबसे पुराने डायनासौर के जीवाश्म के खोजकर्ता
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:35 AM


  • लखनऊ की नवाबी संस्कृति को परिभाषित करती, यहां की फ़िज़ाओं में घुली,फूलों व् इत्र की सुगंध
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:24 AM


  • रक्षा क्षेत्र में, पूरे देश को आत्मनिर्भर बना रहा है, उत्तर प्रदेश
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:28 AM


  • शारदा सहायक परियोजना की नहरों ने, लखनऊ क्षेत्र के कई किसानों की मदद की है
    नदियाँ

     18-12-2024 09:28 AM


  • पक्षी जीवन से भरा हुआ है लखनऊ का प्राकृतिक परिदृश्य
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:32 AM


  • क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ से बचाव करना, आज के समय है आवश्यक
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:36 AM


  • आइए, कुछ सबसे लोकप्रिय यूरोपीय क्रिसमस गीतों का आनंद लें
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:47 AM


  • राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर जानिए, लखनऊ के ग्रीन होम्स, कैसे कर रहे हैं, ऊर्जा की बचत
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:32 AM


  • आइए जानें, भारत में सड़क सुरक्षा की स्थिति तथा सबसे ज़्यादा सड़क दुर्घटना वाले शहरों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id