प्रति वर्ष मानसून की वर्षा से शहरों में जलभराव की परिस्थितियां

लखनऊ

 03-08-2021 10:03 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

लखनऊ में वर्तमान में हो रही बारिश का कारण चक्रवाती परिसंचरण श्रृंखला‚ बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) से भारी नमी के साथ आने वाली मानसूनी हवाएं हैं। ये बारिश किसानों व खेती करने वालों के लिए एक वरदान के रूप में आई है‚ क्योंकि जून से सितंबर तक चलने वाले मानसून के मौसम में पिछले कुछ हफ्तों में उत्तर प्रदेश में कम बारिश के कारण राज्य के कई हिस्से सूखे जैसी हालात से जूझ रहे थे। लेकिन इस मानसून से उन्‍हें राहत की सांस मिली है। इस बारिश से अत्यधिक असहज उमस भरी परिस्थितियों से भी राहत मिली है।
हालांकि बारिश के कारण कई इलाकों में जलजमाव हो गया है। शहरी जलभराव उस घटना को संदर्भित करता है‚ जिसमें कम समय में होने वाली भारी बारिश के कारण‚ शहरी जल निकासी व्यवस्था की क्षमता धीमी पड़ जाती है और फिर जलभराव की स्थिती उत्‍पन्‍न होती है। शहरी भारत में मानसून के दौरान जलजमाव‚ शहरी बाढ़ की प्रस्तावना का एक आम दृश्य है। शहरी बाढ़ भी अब आम बात हो गई है। जहां मानसून के दस्तक देते ही सड़कें नहर बन जाती हैं, क्योंकि बदलते मौसम के कारण कम बारिश वाले दिनों में अधिक तीव्रता वाली बारिश होती है‚ जिससे शहर के कई ईलाकों में जलजमाव होने लगता है जो धीरे धीरे शहरी बाढ़ का रूप ले लेता है।
तूफानी जल निकासी प्रणाली (Stormwater drainage system)‚ वर्षा जल या अपशिष्ट जल को निकालने के लिए नालों या छोटी नहरों का एक जाल–तंत्र है। एक तूफानी जल निकासी प्रणाली होने का अर्थ है भूमिगत पाइपों और नालियों के बुनियादी ढांचे का निर्माण करना ताकि वर्षा जल को नदियों, नालों आदि तक पहुंचने के लिए एक उचित मार्ग बनाया जा सके। यदि पाइप व चैनलों में वर्षा जल और अपशिष्ट जल दोनों होते हैं, तो इसे संयुक्त जल निकासी प्रणाली कहा जाता है। हाल के वर्षों में शहर में रहने वाले लोगों के लिए‚ जलजमाव एक बोझ बन गया है जो नियमित जीवन में व्यवधान, यातायात व्‍यवधान, बुनियादी ढांचे की क्षति, वनस्पतियों और जीवों के विनाश से प्रतिकूल सामाजिक, भौतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिती पैदा कर रहा है। शहरों को विकास का इंजन माना जाता है जो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 65 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं और देश के एक तिहाई से अधिक को रोजगार प्रदान करते हैं। यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि शहरीकरण एक अनिवार्य प्रक्रिया है और शहरी क्षेत्रों का जनसंख्‍या की दृष्टि और स्थानिक रूप से विकास जारी रहेगा। इन विस्तारित शहरों से निकलने वाली अतिरिक्‍त क्षति‚ प्राकृतिक प्रणालियों के टूटने का परिणाम है। शहरी क्षेत्र‚ प्रदूषित अपवाह की उच्च मात्रा उत्पन्न करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर शहरी जल निकासी प्रणालियां टूट जाती है। ऐसे मामलों में, कम वर्षा होने पर भी निचले इलाकों में अचानक बाढ़ आ सकती है और शहरों की जल निकासी व्यवस्था प्रभावित होने लगती है।
यह स्पष्ट है कि ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण हमारे मौसम का प्रतिरूप बदल गया है।अंतर-सरकारी पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) (Inter-government Panel for Climate Change (IPCC)) के अनुसार‚ 1950 से एकत्रित आंकड़ों के आधार पर कुछ जलवायु चरम सीमाओं में परिवर्तन का प्रमाण है। आईपीसीसी के अनुसार, वर्षा के संदर्भ में, भारी वर्षा की घटनाओं की संख्या में सांख्यिकीय रूप से वृद्धि होने की संभावना है।
शहरी तूफान जल प्रबंधन से संबंधित कई संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक आयामों के तहत कमियों को जानना आवश्यकता है। शहरों की योजना‚ तूफानी जल प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए नहीं बनाई गई थी। ज्यादातर मामलों के मास्टर प्लान (master plan) में विकास नियंत्रण नियम‚ रन-ऑफ (run-off) नियंत्रण उपायों के लिए प्रदान नहीं किये जाते हैं। खुले स्थान और जल निकाय 'नियोजित'‚अतिक्रमणों के शिकार हैं। शहरी भूमि उपयोग के लिए शहरी जलधाराओं और जल निकायों से समझौता किया जाता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में बारापुल्ला नाले के एक हिस्से को बस डिपो (bus depot) बनाने के लिए उपयोग किया गया है। जबकि शहरी बाढ़ की वर्तमान प्रतिक्रिया सड़क के किनारे नालियों के निर्माण तक ही सीमित है, केंद्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण अभियांत्रिकी संगठन (CPHEEO) द्वारा सुझाये गये नमूनों के मानक पुराने हैं। जबकि CPHEEOमानक‚ एक या दो साल के बाढ़ के स्तर के अनुसार बनाये जाते हैं।अधिक लगातार उच्च तीव्रता वाली बारिश के कारण नालियां बढ़े हुए अपवाह को समायोजित करने में सक्षम नहीं होती हैं।शहरों में बारिश के पानी की निकासी के लिए बनायी गयी नालियां आमतौर पर खराब स्थिति में होती हैं, जिनका संचालन और रखरखाव करना काफी हद तक अल्‍प और निरर्थक होता है। ये नालियां अक्सर नगरपालिका के ठोस कचरे‚ निर्माण और विध्वंस कचरे से दब जाती हैं। ऐसा ही एक उदाहरण दक्षिणी दिल्ली के तैमूर नगर इलाके में काफी समय से बंद पड़ा नाला है, जहां सालों से कचरा जमा हो रहा है।
गैर-संरचनात्मक कमियों के संदर्भ में, भारत में शहरी तूफान जल प्रबंधन के लिए कोई राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय नीति ढांचा या दिशानिर्देश नहीं हैं।स्मार्ट सिटी मिशन (Smart City Mission), स्वच्छ भारत मिशन और कायाकल्प व शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन सहित शहरी बुनियादी ढांचा विकास मिशन — शहरी बाढ़ के मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक व्यापक दृष्टि और रणनीति प्रदान करने में विफल रहे हैं।
शहरी बाढ़ को कम करने के लिए, कई बुनियादी ढांचों में सुधार की आवश्यकता है:
1. सबसे पहले, मौजूदा जल निकासी पथ को अच्छी तरह से सीमांकित किया जाना चाहिए। शहर के प्राकृतिक जल निकासी चैनलों पर कोई अतिक्रमण नहीं होना चाहिए।
2. दूसरे, मौजूदा जल निकासी चैनलों में स्थित उनके सहायक स्तंभों के साथ‚ बड़ी संख्या में पुलों, फ्लाईओवर और मेट्रो (Flyover and Metro) परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है‚ जिसमें उचित अभियांत्रिकी योजना का उपयोग करके इससे बचा जा सकता है।
3. छतों, मध्यवर्ती, जमीन या भूमिगत स्तरों पर टैंकों में वर्षा जल का भंडारण‚ अतिप्रवाह को कम कर सकता है। भारी वर्षा के दौरान पानी के भंडारण के लिए विवेकपूर्ण ढंग से चयनित स्थानों पर भंडारण या होल्डिंग तालाब (holding pond) भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि इससे नीचे के इलाकों में बाढ़ की स्थिती उत्‍पन्‍न न हो।
4. यह भी देखा गया है कि सड़कों की सतह कई बार बनाई जाती हैं और वह फिर से उभर आती हैं, इस प्रकार उनका स्तर‚ प्लिंथ-स्तर (plinth-level) से ऊपर चला जाता है। जब भी कोई सड़क फिर से उभरती है, तो मौजूदा परत को पहले खरोंच कर साफ किया जाना चाहिये और फिर नई परत रखी जानी चाहिये। जिससे यह सुनिश्चित होगा कि प्लिंथ का स्तर और सड़क का स्तर वहीं बना रहे जहां वे पुनरुत्थान से पहले थे।
5. इसके अलावा, दुनिया भर के विभिन्न शहरों ने झरझरा फुटपाथ का निर्माण किया जा रहा है। ये पानी को धीरे-धीरे अंतर्निहित मिट्टी में घुसने की अनुमति देते हैं जिससे पूर्व- विकास उप-मिट्टी की पानी की स्थिति बनी रहती है।
6.पानी को स्वाभाविक रूप से सोखने के लिए‚ और अधिक हरे रंग की जगहों का निर्माण किया जाना चाहिए।
7. जलभराव की समस्या से निपटने और भूजल के घटते स्तर से निपटने का एक तरीका वर्षा जल संचयन भी हो सकता है, जो प्राचीन भारत में हजारों वर्षों से इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3fgJj0H
https://bit.ly/3yiWBRR
https://bit.ly/3zQnr4c
https://bit.ly/3rH9IK0

चित्र संदर्भ
1. शहर में भारी जलजमाव का एक चित्रण (flickr)
2. भारी जल प्रवाह का एक चित्रण (youtube)
3. वर्षा जल निकासी हेतु भूमिगत पाइपों का एक चित्रण (flickr)



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