7वीं शताब्दी में पहली बार जब लोगो ने पंजाब प्रान्त में ईंटो के लिए मिट्टी की खुदाई की, तब उन्हें वहाँ से बनी बनाई
ईंटें मिली, जिसे लोगो ने भगवान का चमत्कार माना और उनका उपयोग घर बनाने में किया। उसके बाद 1826 में
चार्ल्स मैसेन (Charles Massen) ने पहली बार सबसे पुरानी और सुव्यवस्थित हड़प्पा सभ्यता की खोज की। सिन्धु
घाटी सभ्यता के नाम से भी प्रख्यात इस सभ्यता में आज से हजारों वर्ष पूर्व भी शहरों को इतने सुनियोजित और
व्यवस्थित तरीके से बनाया गया था की, इसने आज के पुरातात्विक विदों को भी चौंका दिया, क्यों यह वो दौर था, जब
दुनियां के कई हिस्सों में लोगों को अच्छी फसल बोने की समझ न थी। वहीं इस सभ्यता में गंदगी की निकासी, पानी
का वितरण और क्रम में बनाए गए घर भी बन चुके थे। दुर्भाग्य से आज इसके केवल गिने-चुने अवशेष बचे हैं, परंतु
शहरों के बेहतर नियोजन में हम इससे बहुत कुछ सीख भी सकते हैं।
आज चूँकि दुनियाभर में जनसंख्या असामान्य रूप से बढ़ रही हैं, जिस कारण हमें अपने गावों और शहरों को बेहतर
ढंग से नियोजित करने की शीघ्र ही आवश्यकता है। इससे पहले की हम अपने देश या नगरों में नगर नियोजन की
वर्तमान स्थिति को समझे, पहले यह जान लेते हैं की, शहर नियोजन क्या होता है? अथवा कोई शहर कैसे सुनियोजित
हो सकता है?
1. जनादेश द्वारा सरकार का बनना
सबसे पहले किसी योजना अथवा व्यवस्था को लागू करने के लिए यह ज़रूरी है की, देश में मज़बूत और दक्ष सरकार
कार्यरत हो। साथ ही सरकारें लोकतंत्र का पालन करने के लिए भी प्रतिबद्ध हों। इसकी शुरुआत स्वतंत्र और निष्पक्ष
चुनावों से होती है, जो सरकार को अपने लोगों के प्रति जवाबदेह ठहराते हैं। साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि स्थानीय
सरकारें वंचित आबादी समूहों तक पहुंचें और उन्हें समान सेवाएं प्रदान करें इसके अलावा संचार और सूचना विनिमय
के नए तरीके स्थापित करें। इन सभी प्रक्रियाओं के दौरान, सरकार को सामाजिक सेवाओं, भूमि रजिस्ट्रियों और
खरीद नीतियों को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए खुले डेटा का उपयोग करना चाहिए।
2. सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने की व्यवस्था
नियोजित शहर अथवा क्षेत्र में भले ही सरकारों को वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़े, लेकिन उन्हें लोगो को
निरंतर बुनियादी सेवाएं पानी, स्वच्छता, गतिशीलता, बिजली और सामाजिक सेवाएं जैसे स्वास्थ्य देखभाल और
शिक्षा तक पहुंच आदि प्रदान करने के प्रति संकल्पवान रहना चाहिए, साथ ही वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए भी
प्रतिबद्ध रहना चाहिए। जिसके लिए वह सार्वजानिक सुविधाओं जैसे पैदल या साइकिल चलाना और करों, टोल और
पार्किंग शुल्क के माध्यम से निजी वाहनों के उपयोग को हतोत्साहित करने के उपाय कर सकती है। यह जिम्मेदारी
आम नागरिकों की भी सामान रूप से बनती है।
3. भूमि और सार्वजनिक भवनों के नियोजन और प्रबंधन
आदर्श शहर में खेल सुविधाएं, लड़कियों और महिलाओं के लिए सुरक्षित और सुलभ स्थान, बच्चों और युवा आबादी
के लिए स्थान, पार्क और हरे भरे मैदान, बिना किसी प्रतिबंध के शहर और सभी पड़ोस का हिस्सा होना चाहिए। इसके
अलावा विभिन्न आय वाले लोगों के साथ-साथ कार्यस्थलों के लिए योजना पूर्वक डिज़ाइन किए गए मिश्रित उपयोग
वाले आवासों को बढ़ावा देने की नीतियां लागू करनी चाहिए। यह न केवल अलगाव को कम करती हैं, बल्कि स्थानीय
आर्थिक विकास और उत्पादकता पर भी दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक प्रभाव भी डालती हैं। साथ ही साथ ही
स्थानीय सरकारें शहरों को जलवायु परिवर्तन और आपदाओं के प्रति अधिक लचीला बनाने के लिए प्रयास कर
सकती हैं।
4. खरीद और स्थानीय आर्थिक विकास का जनादेश
विरासत भवनों (heritage buildings,), पुस्तकालयों, संग्रहालयों, स्थानीय मीडिया और डिजाइन जैसी स्थानीय
पहचान वाले स्थान न केवल समुदायों और शिक्षा को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि शहरों के आकर्षक और अद्वितीय होने के
लिए प्रासंगिक संपत्ति भी हैं। अतः यह भी सुनियोजित शहर का एक अभिन्न हिस्सा हो सकते हैं।
धीरे-धीरे ही सही, लेकिन स्थानीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय गैर सरकारी संगठन विभिन्न क्षेत्रों में विकास गतिविधियों के
भागीदार के रूप में उभर रहे हैं। जो कई मायनों में अपनी अहम् भूमिका अदा कर रहे हैं। जैसे
1. समाज में जागरुकता लाना, योजनाओं और लाभों का प्रचार जैसे अभियान
2. पर्यावरण की निगरानी और रिपोर्टिंग (यह सुनिश्चित करना की शहरों का विकास और निर्माण पर्यावरण के
अनुकूल हो )
3. शिक्षा, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
4. शहरों को बच्चों के अनुकूल बनाने में योगदान
5. विकास में समुदायों की सक्रिय भागीदारी को गति प्रदान करना
6. सुगम विकास के लिए आवश्यक सुविधाओं का कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव।
हमारे पास उदहारण के लिए ऐसे कई सरकारी अथवा गैर सरकारी संगठन हैं, जो इसके अनुरूप पूर्व से ही कार्यरत हैं,
साथ ही शहरों के बेहतर विकास और निर्माण में भी अहम् भागीदारी भी दे रहे हैं। जैसे
1. अर्बन रूरल डेवलपमेंट सोशल वेलफेयर सोसाइटी (The Urban Rural Development Social
Welfare Society): यह एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो मुख्य रूप से बाल और युवा विकास, लिंग,
शिक्षा, शासन, व्यवसाय और वित्त, रोजगार, कानूनी, मानवाधिकार और ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र में काम
करता है। इसका पहला मुख्य कार्यालय (office) हमारे शहर रामपुर, उत्तर प्रदेश में है।
2. इसी क्रम में पूर्व में घोषित विनियमित क्षेत्र को ही विकास क्षेत्र में घोषित करते हुए उत्तर प्रदेश नगर योजना
और विकास अधिनियम 1973(अधिनियम संख्या 30) के द्वारा रामपुर विकास प्राधिकरण का गठन किया
गया, जिसके बाद जनसंख्या विकास का स्तर और भौतिक प्रतिमानों आदि को विकास क्षेत्र के परिपेक्ष्य में
परिवर्तित करना अनिवार्य हो गया है।
3. इसके अलावा महिला सशक्तिकरण, साक्षरता कार्यक्रम और व्यावसायिक प्रशिक्षण वर्ग पर कार्यरत शहरी
ग्रामीण विकास समाज कल्याण समिति रामपुर जैसे गैर सरकारी संगठन भी पूरी तरह सक्रिय हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3zJkG4t
https://bit.ly/2V0yqJB
https://bit.ly/2WwnIuP
https://rdarampur.com/about-rda/
https://bit.ly/3f7VPiZ
https://bit.ly/2Vhly1o
चित्र संदर्भ
1. रामपुर रज़ा पुस्तकालय तथा रामपुर विकास प्राधिकरण के लोगो का एक चित्रण (flickr,rdarampu)
2. रामपुर महायोजना 2021 का एक चित्रण (rdarampur)
3. सुंदर पार्क का एक चित्रण (flickr)
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