दुनिया के अधिकांश देश बिजली की आपूर्ति के लिए परमाणु ऊर्जा पर निर्भर हैं, साथ ही परमाणु हथियारों
के बल पर कई विकासशील देश भी सुरक्षित होने का दावा करते हैं। परंतु आज के समय में कोई भी हथियार
बिना ईंधन के किसी काम का नहीं है, और इस बहुउपयोगी ईंधन को यूरेनियम (Uranium) के नाम से
जाना जाता है।
यूरेनियम की खोज 1789 में एक जर्मन रसायनज्ञ मार्टिन क्लैप्रोथ (Martin Klaproth) ने पिचब्लेंड
(Pitchblende) नामक खनिज में की थी, यह एक भारी धातु है जिसका उपयोग 60 से अधिक वर्षों से
केंद्रित ऊर्जा के प्रचुर स्रोत के रूप में किया जाता रहा है। यह समुद्री जल में पाया जाता है और इसे चट्टानों
तथा महासागरों से भी प्राप्त किया जा सकता है। दुनिया की लगभग 10% बिजली, परमाणु रिएक्टरों में
यूरेनियम से उत्पन्न होती है।
दुनिया में 440 से अधिक परमाणु रिएक्टर है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता
लगभग 390,000 मेगावाट (मेगावाट) है। लगभग 50 रिएक्टर निर्माणाधीन हैं, अकेले संयुक्त राज्य
अमेरिका में केवल 100 परमाणु रिएक्टरों का संचालन होता है। यूरेनियम परमाणु रिएक्टरों के लिए सबसे
मुख्य ईंधन है, और यह दुनिया भर के कई क्षेत्रों में पाया जाता है। ईंधन बनाने के लिए, यूरेनियम का खनन
किया जाता है, और परमाणु रिएक्टर में लोड होने से पहले शोधन और संवर्धित किया जाता है। इसका
खनन अधिकांशतः चट्टानों में और यहां तक कि समुद्री जल में भी कम मात्रा में किया जाता है।
हालाँकि कई देश यूरेनियम का खनन करते हैं, परंतु विश्व का 85% से अधिक यूरेनियम का उत्पादन
कजाकिस्तान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, नामीबिया, नाइजर और रूस में होता है।
ऐतिहासिक रूप से, पारंपरिक खदानें (जैसे खुले गड्ढे या भूमिगत) यूरेनियम का मुख्य स्रोत होती हैं, जिनसे
खनन के बाद प्राप्त अयस्क को एक मिल में कुचल दिया जाता है, और महीन कणों में परिवर्तित कर दिया
जाता है। इन कणो और अन्य सामग्रियों का घोल बनाने के लिए पानी मिलाया जाता है। यूरेनियम को भंग
करने के लिए घोल को सल्फ्यूरिक एसिड या एक क्षारीय घोल के साथ मिलाया जाता है, जिससे शेष चट्टान
और अन्य खनिज अघुलनशील हो जाते हैं। जिसके बाद प्राप्त निष्कर्ष से यूरेनियम के घोल को अलग
किया जाता है और फ़िल्टर किया जाता है, फिर यूरेनियम ऑक्साइड सांद्र बनाने के लिए सुखाया जाता है,
जिसे अक्सर 'येलोकेक' ('Yellowcake') कहा जाता है। 'येलोकेक' - परमाणु बनाने की दिशा में पहला कदम
है।
यूरेनियम एक बेशकीमती तत्व है जिसके अयस्कों की कीमत 130 डॉलर प्रति किलोग्राम तक हो सकती है।
यद्यपि यूरेनियम सबसे कीमती और बहुउपयोगी तत्व है, परन्तु अधिकांश वैज्ञानिक आविष्कारों की भांति
इसकी भी अपनी कुछ खामियां है। उदाहरण के लिए हम भारत के झारखण्ड में स्थित सबसे बड़ी जादूगुड़ा
यूरेनियम खदान को ले सकते हैं, यहाँ से प्रचुर मात्रा में यूरेनियम का उद्पादन किया जाता है। परन्तु खदान
से निकले अवशेषों से निकलने वाले हानिकारक रेडिएशन से आस-पास के कई गांव त्रस्त हैं। इन गावों में
पैदा होने वाले कई बच्चे जन्म के मात्र 6 महीनो में मर जाते हैं, और जो बच जाते हैं उनमे से कई अपंग और
शारीरिक कमजोरियों के साथ बड़े होते हैं। शारीरिक विकृतियों के साथ पैदा हुए बच्चे को जन्म देने से पहले
माँ का तीन बार गर्भपात हो चुका होता है। यूरेनियम निगम के अनुसार, जादूगुड़ा में खनन कार्य 1967 में
शुरू हुआ, और यह भारत की पहली यूरेनियम खदान है।
खदानों से निकले हानिकारक पदार्थों को निकट की
नदियों और तालाबों में उपचारित कर दिया जाता है, इन तालाबों से भूजल और नदियां दूषित हुई है।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (Tata Institute of Social Sciences) द्वारा 2003 में किए गए
एक अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि 1998 और 2003 के बीच इस क्षेत्र की 18% महिलाओं ने
गर्भपात/मृत्यु का सामना किया, 30% ने गर्भधारण में किसी प्रकार की समस्या की सूचना दी, और
अधिकांश महिलाओं ने थकान और कमजोरी की शिकायत की। यह सब यूरेनियम खनन शुरू होने के बाद
सामने आया। इसमें यूरेनियम खनिजकरण क्षेत्र विभिन्न भूगर्भीय स्थितियों के साथ कई स्थानों पर पाया
जाता है। हमारे शहर लखनऊ के निकट स्थित ललितपुर-झांसी क्षेत्र में कई सर्वेक्षण किये गए, जिनके
आधार पर यहां भी विभिन्न धातुओं जैसे सोना, यूरेनियम इत्यादि संभावित खनिज निकल सकते हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कि यह क्षेत्र खनिज संसाधनों में काफी समृद्ध है, जहां ग्रेनाइट / यूरेनियम / थोरियम
/ सिलिका (रेत) क्वार्ट्ज सबसे महत्वपूर्ण खनिज हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/36e72Kd
https://bit.ly/2UsMbQs
https://bit.ly/3jLkg91
https://bit.ly/2oolT2r
https://bit.ly/3hJgs5s
https://bit.ly/3xnmVK3
https://bit.ly/3jOA2A0
चित्र संदर्भ
1. यूवी प्रकाश के तहत चमकते हुए यूरेनियम सिरेमिक शीशे का आवरण डॉ। सेंसर सरı द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया (wikimedia)
2. Core of CROCUS, स्विट्जरलैंड में ईपीएफएल (EPFL)में अनुसंधान के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक छोटा परमाणु रिएक्टर का एक चित्रण (wikimedia)
3. मानव शरीर पर यूरेनियम रेडिएशन का असर दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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