भारत और चीन आर्थिक और धार्मिक आधार पर कई समानताएं रखते है, परंतु यह जानना बेहद दिलचस्प है कि
किस प्रकार हमारे देश में चाइनीज़ व्यंजनों ने अपार लोकप्रियता प्राप्त की हैं, और भारतीय व्यंजनों के साथ, इसने
इंडो चाइनीज व्यंजनों के रूप में एक नया नाम भी हासिल कर लिया। मुख्य रूप से इंडो चाइनीज़ व्यंजन (Indo
Chinese Cuisine) अथवा भारतीय चीनी व्यंजन एक विशेष प्रकार की पाक (भोजन निर्माण ) शैली है, जिसके भीतर
भारतीय और चीनी दोनों देशों के खाद्य पदार्थों और स्वाद को एक साथ जोड़ा जाता है। दोनों देशों का भोजन
समागम अथवा संलयन सर्वप्रथम भारत के कोलकाता में मूल चीनी जातीय समुदाय साथ हुआ, जो लगभग 250
साल पूर्व बेहतर जीवन की तलाश में भारत आए थे। जिसके बाद इस क्षेत्र में रेस्तरां व्यवसाय खोलते हुए, इन
शुरुआती चीनी प्रवासियों ने अपनी पाक शैली को भारतीय स्वाद तथा पाक शैली के अनुरूप किया। चीनी-भारतीय
भोजन में मुख्य रूप से इसमें पड़ने वाले अवयव महत्व रखते हैं, प्रायः इन्हे कड़ाई में तला जाता है, जिसमे भारी मात्रा
में भारतीय सब्जियों और मसालों के साथ चीनी सॉस, तेल और गाढ़ा करने वाले अवयव का प्रयोग किया जाता है।
भारतीय मसालों और सब्जियों के साथ बनाये गए यह चीनी व्यंजन आज भारत और बांग्लादेश के प्रमुख पकवानों में
से एक बन गए हैं। साथ ही अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों में प्रसार के साथ इसने वैश्विक लोकप्रियता
भी हासिल कर ली है।
1757 से 1858 के बीच कलकत्ता ब्रिटिश शाशकों के अधीन था, जो उस समय भारत की राजधानी भी थी, जिस कारण
यहां पर अपार संभावनाओं के अवसर खुल गए। चूँकि यह क्षेत्र चीन से जमीनी मार्ग पर जुड़ने वाला, सबसे सुलभ
महानगरीय क्षेत्र था, जिस कारण इसने आसपास के क्षेत्रों के व्यापारियों और अप्रवासी श्रमिकों को अपनी ओर
आकर्षित किया, जिनमे चीनी अप्रवासी भी शामिल थे। यहाँ शुरुआत में बसने वाले चीनी प्रवासियों ने अधिक मसालों
और सॉस और तेल के भारी मात्रा में उपयोग करके अपने खाद्य पदार्थों को भारतीय व्यंजनों के अनुरूप कर दिया।
कलकत्ता में स्थित ईओ च्यू के स्टिल-स्टैंडिंग कॉर्नर (Eo Chew's Still-Standing Corner) (1778) को भारत में
पहला चीनी भोजनालय भी कहा जाता है। इसी दौरान उनके जैसे कई लोग आए, और 20 वीं शताब्दी के शुरुआती
दौर तक कोलकाता में एक चाइनाटाउन विकसित हो गया था।
अप्रवासी समुदाय प्रवर्ति के अनुरूप , चीनियों ने भी भारतीय संवेदनाओं और विश्वासों को पूरी तरह आत्मसात कर
लिया। यहां तक कि उन्होंने हमारी एक देवी, काली को भी अपना मान लिया और एकता के प्रतीक के रूप में
नूडल्स, चॉप सूई, चावल और सब्जी के व्यंजन अनुष्ठानों में चढ़ाए। भारतीय-चीनी भोजन न केवल बड़े और छोटे
रेस्तरां द्वारा परोसा जाता था, बल्कि ठेला मालिकों, हाईवे फूड स्टॉल और मोबाइल चाउ मीन वैन द्वारा भी प्रसारित
होने लगा। चीनी प्रवसियों ने भारतीय पाक शैली के अनुरूप कई प्रयोग किये, उन्होंने भारतीय पनीर को चीनी मसालों
के साथ सिचुआन पनीर में बदल गया, साथ चिकन करी को चिली चिकन से बदल दिया गया था। भारतीय चीनी
व्यंजनों में पकाने का तरीका कुछ हद तक सामान होता है, किन्तु मसालों और अवयवों का उपयोग इसे विशिष्ट
बनाता है। जैसे सोडियम ग्लूटामेट को शुगर का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है, वहीं मिर्च, लहसुन और
अदरक की अधिक मात्रा के साथ अंत में सोया सॉस को व्यंजन के ऊपर डालने पर भारतीय चीनी व्यंजन अपनी
विशिष्ट पहचान हासिल कर लेता है। चीनी भोजन की सफलता का श्रेय "पवित्र त्रिमूर्ति" को जाता है, जिसे - टमाटर,
सोया सॉस और मिर्च से संदर्भित किया जाता है। इसने भारतीय ग्राहकों को कुछ ऐसा स्वाद दिया, जो उन्हें अक्सर
स्थानीय भोजन में नहीं मिलता था।
आज, लगभग 60% भारतीय सहस्राब्दी (Millennial, 21वीं सदी की शुरुआत में युवा वयस्कता तक पहुंचने वाला
व्यक्ति) महीने में तीन बार से अधिक भोजन घर से बाहर करते हैं, और अपनी आय का लगभग 10% रेस्तरां, कैटरर्स
और कैंटीन से भोजन खरीदने पर खर्च करते हैं। इसकी तुलना में, जन-एक्स भारतीय (Gen-X), जिनकी उम्र 35 से
50 के बीच है, वे लोग केवल 3 % खर्च करते हैं। 1980 और 1990 के दशक में, खाने के लिए बाहर जाने का मतलब
एक चीनी रेस्तरां में जाना था। वर्तमान में इंडो-चाइनीज़ व्यंजन भारत में अपनी लोकप्रियता के चरम पर हैं,
मंचूरियन - भारतीयों का पसंदीदा व्यंजन आमतौर पर मसालेदार ब्राउन सॉस में सब्जियों के साथ विभिन्न प्रकार के
गहरे तले हुए मांस, फूलगोभी (गोबी) या पनीर से मिलकर बनता है।
चाउमीन - नूडल्स, सब्जियां, तले हुए अंडे, अदरक और लहसुन, सोया सॉस, हरी मिर्च सॉस, लाल मिर्च सॉस और
सिरका को मिलाकर बनाये जाने वाला यह फ़ास्ट फ़ूड, आज देश के कोने-कोने में अपनी लोकप्रियता बना चुका है,
इसके साथ ही चिकन लॉलीपॉप - चिकन हॉर्स डी'उवरे (Chicken Lollipops - Chicken Hors d'oeuvre),गर्म और
खट्टे सूप, मांचो सूप - सब्जी/चिकन सूप, चिकन मंचूरियन, चिल्ली चिकन जैसे ढेरों स्वादिष्ट व्यंजन तथा फ़ास्ट
फ़ूड भारतीय बाज़ारों में अपना एकाधिकार जमा चुके हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3yn9tpx
https://cnn.it/2TpCRwU
https://bit.ly/368a2Yz
https://bit.ly/2UYFw0F
चित्र संदर्भ
1. इंडो-चाइनीज़ भोजन निर्माण का एक चित्रण (unsplash)
2. कोलकाता में तिरेट्टी बाजार, भारत का एकमात्र चाइनाटाउन का एक चित्रण (wikimedia)
3. शंघाई फ्राइड नूडल्स ऑयली, सॉसी फ्लेवर के साथ चाउमीन का एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.