सौर ऊर्जा की मदद से भारत कर सकता है, अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति

लखनऊ

 02-07-2021 09:33 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

भारत में सौर ऊर्जा तेजी से बढ़ता हुआ एक विकासशील उद्योग है।29 फरवरी 2020 में देश की सौर स्थापित क्षमता 34.404 गीगावॉट पहुंची। वैश्विक स्तर पर भारत में सौर ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित करने की प्रति मेगावाट पूंजी लागत सबसे कम है। भारत में हर साल 300 से अधिक दिनों तक धूप मौजूद होती है, इसलिए यहां सौर ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा का सबसे सुलभ रूप है।अनुकूल भौगोलिक स्थिति के कारण भारत की सौर ऊर्जा उत्पादित करने की क्षमता अविश्वसनीय है। अगर इस मामले में भारत की तुलना कैलीफोर्निया (California - जो कि भारत के आकार का 1/8वां हिस्सा है) से करें,तो इस साल मार्च की शुरुआत में वहां शुद्ध रूप से सौर ऊर्जा के माध्यम से 49.95 प्रतिशत ऊर्जा की मांग को पूरा किया गया। चूंकि कर्क रेखा भारत के मध्य से होकर गुजरती है, इसलिए यह भौगोलिक रूप से कैलिफोर्निया की तुलना में सौर ऊर्जा के उत्पादन में अधिक सक्षम है।
मार्च 2019 में उत्तर प्रदेश ने सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए 960.10 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन कर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया।सौर ऊर्जा, सूर्य से प्राप्त ऊर्जा है, जिसे विद्युत ऊर्जा में बदलकर विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह एक नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable energy) है, जिसके अनेकों फायदे हैं। जैसे इसके उपयोग से बिजली की बचत, गैस की बचत, ईंधन की बचत आदि की जा सकती है।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है,कि इसका उपयोग बार-बार किया जा सकता है। चूंकि सौर ऊर्जा का उपयोग खाना बनाने के लिए भी किया जा सकता है, इसलिए यह ग्रामीण लोगों द्वारा भोजन के लिए उपयोग की जाने वाली जलाऊ लकड़ी और गोबर के कंडो की मात्रा को कम कर सकता है। लकड़ी और गोबर के कंडे जलाने से वायु प्रदूषण होता है, इसलिए सौर ऊर्जा वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक है, क्यों कि यह ऊर्जा के अन्य स्रोतों के समान कर्बन डाईऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों को उत्सर्जित नहीं करता है।सौर ऊर्जा का उपयोग विमानों, कारों,सैटेलाइटों आदि के लिए भी किया जा सकता है।सौर ऊर्जा के उपयोग से बिजली का बिल बहुत कम किया जा सकता है, तथा इसे प्राप्त करने के लिए बिजली या गैस ग्रिड की आवश्यकता नहीं होती है। सौर ऊर्जा प्रणाली कहीं भी लगाई जा सकती है। घरों में आसानी से सौर पैनल लगाए जा सकते हैं, जो ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तुलना में काफी सस्ते होते हैं। ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (Council On Energy, Environment, and Water- CEEW) और बिजली वितरण कंपनी (Power Distribution Company-BYPL) द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन के अनुसार रूफ टॉप पैनल स्थापित करने वाले परिवारों के मासिक बिजली बिल में 95% तक की बचत हो सकती है। इसी प्रकार यदि कोई सामुदायिक सौर फोटोवोल्टिक संयंत्र (Photovoltaic plant) से बिजली खरीदता है, तो वह अपने बिजली के बिल को 35% तक कम कर सकता है।हालांकि, सौर ऊर्जा के कई लाभ हैं, किन्तु इनके कुछ नुकसान भी हैं।जैसे दिन के समय बादल छाने से इसके उपयोग में समस्या उत्पन्न हो सकती है।सौर ऊर्जा के साथ रात के समय में ऊर्जा उत्पन्न नहीं की जा सकती। सौर पैनलों को स्थापित करते समय इनवर्टर और स्टोरेज बैटरी की भी आवश्यकता होती है, ताकि बिजली पैदा की जा सके। जहां सौर पैनल को स्थापित करना काफी सस्ता होता है, वहीं अन्य उपकरणों को स्थापित करने में काफी लागत आती है। सौर पैनल के साथ एक सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए अतिरिक्त भूमि की भी आवश्यकता होती है।केवल वे क्षेत्र ही सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं, जहां सूर्य का प्रकाश अच्छी मात्रा में पहुंचता है। इसके अलावा सौर पैनलों को काफी रखरखाव की आवश्यकता होती है, क्योंकि वे कमजोर होते हैं और आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। उच्च शक्ति वाले उपकरणों को चलाने में सौर ऊर्जा की व्यवहार्यता को देंखे, तो उच्च शक्ति वाले उपकरण जैसे एयर कंडीशनर और वॉटर हीटर उच्च वाट क्षमता वाले उपकरण हैं। जब एक एयर कंडीशनर का कंप्रेसर चल रहा होता है तो उसे उच्च विद्युत धारा की आवश्यकता होती है। एयर कंडीशनर या वॉटर हीटर के उच्च भार को संभालने के लिए सौर ऊर्जा उत्पादन प्रणाली से जुड़ा इनवर्टर उच्च भार को संभालने में सक्षम होना चाहिए।
यदि इनवर्टर उच्च भार को संभालने में सक्षम नहीं हैं, तो उच्च शक्ति वाले उपकरणों को सौर ऊर्जा से चलाना कठिन हो सकता है।वर्तमान समय में कोरोना महामारी विश्व व्यापक है, तथा इसने कई क्षेत्रों पर अपना बुरा प्रभाव डाला है।कोरोना महामारी के कारण हुए आर्थिक नुकसान ने भारत के कई लोगों को बिजली खरीदने में असमर्थ बना दिया है। ऐसे में सौर ऊर्जा एक ऐसा साधन बन सकता है, जो लोगों को बिजली की आपूर्ति कर सके। महामारी के कारण हालांकि,दुनिया कमजोर अर्थव्यवस्था से जूझ रही है,लेकिन 2020 में दुनिया भर में अक्षय ऊर्जा क्षमता में वृद्धिदेखी गयी, जो कि एक साल पहले की तुलना में 45 प्रतिशत बढ़ी। बिजली की बढ़ती दरों, बिजली कटौती और सोलर पैनल की घटती कीमतों के साथ, लोग सौर प्रौद्योगिकियों को अपनाने में बहुत रुचि ले रहे हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3w9ijWp
https://bit.ly/3gZTlod
https://bit.ly/2Th43O9
https://bit.ly/3dpN4QB
https://bit.ly/3A8me9f
https://bit.ly/35YNVU2

चित्र संदर्भ
1. खेत में लगे सोलर प्लांट पैनल की सफाई करते ग्रामीणों का एक चित्रण (flickr)
2. भारत में अक्षय बिजली उत्पादन का एक चित्रण (wikimedia)
3.1000 मेगावाट कुरनूल अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क का एक चित्रण (wikimedia)



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