लखनऊ में तीव्र गति से नीचे गिरता जा रहा है भूजल स्तर

लखनऊ

 02-07-2021 09:38 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

कृषि लखनऊ जिले की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, तथा यहां 215,000 हेक्टेयर से भी अधिक भूमि खेती योग्य है। इस भूमि के आधे से भी कम हिस्से की सिंचाई हो पाती है। यहां की कुल आबादी के ¾ से अधिक हिस्से में या तो छोटे किसान या फिर सीमांत किसान शामिल हैं, जिनके पास औसतन 0.8 हेक्टेयर भूमि है। यूं तो लखनऊ में किसानों की उत्पादकता को सीमित करने वाले कई कारण मौजूद हैं, जैसे सामाजिक-आर्थिक बाधाएं, तकनीकी बाधाएं आदि लेकिन पर्यावरणीय बाधाएं जैसे भूजल स्तर में कमी और मौसमी कारक उत्पादकता को शायद अधिक सीमित करते हैं। लखनऊ में भूजल स्तर बहुत ही तीव्र गति से नीचे गिरता जा रहा है। पिछले दो सालों में लगभग 16 इलाकों में भूजल स्तर में 1-2 मीटर तक की गिरावट देखी गई है, जिससे जल संस्थान को इन क्षेत्रों में पीने के पानी की आपूर्ति करने के लिए अपने 32 ट्यूबवेलों को फिर से खोलने के लिए मजबूर होना पड़ा। उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों के सामने कई चुनौतियां हैं।उदाहरण के लिए बढ़ती जनसंख्या के कारण भूमि और संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
बढ़ती जनसंख्या के कारण खेती की जमीन को घर बनाने के लिए उपयोग किया जा रहा है। फसलों को सुरक्षित रखने के लिए अच्छी संग्रहण या स्टोरेज सुविधा मौजूद नहीं है। किसानों को खेती के लिए समय से ऋण नहीं मिलता है तथा खेती के लिए किसान महंगे संसाधन नहीं खरीद सकते हैं।उपज की घटती कीमतें भी किसानों की आय को प्रभावित करती हैं।ऐसे में पर्यावरण संबंधी कठिनाइयों जैसे भूजल स्तर का कम होना,मौसम पर निर्भरता,अपर्याप्त बारिश आदि स्थिति को और भी बदतर बना देते हैं। कृषि में सिंचाई के लिए भूजल की आवश्यकता होती है। भूजल अगर कम है, तो भी यह प्रत्यक्ष पम्पिंग के अभाव में पानी उपलब्ध करा सकता है, विशेषकर सूखे के दौरान। किंतु जब भूजल बहुत ही कम हो जाता है, जैसे कि बाढ़ के दौरान, तब यह जड़ों तक ऑक्सीजन की उपलब्धता को सीमित करता है और फसल उत्पादकता को नुकसान पहुंचाता है।उत्तर प्रदेश में शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है और इसलिए बढ़ती आबादी के साथ शहरी पेयजल की मांग भी बढ़ रही है। चूंकि अधिकांश शहरों में पीने के पानी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सतही जल स्रोत पर्याप्त नहीं हैं, इसलिए भूजल,जल आपूर्ति में मुख्य योगदानकर्ता बने हैं। इस प्रकार पीने के पानी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भूजल संसाधन पर जबरदस्त दबाव है। लखनऊ शहर में, गोमती नदी पीने के पानी का मुख्य स्रोत रही है, लेकिन अब 70% नगरपालिका जल आपूर्ति भूजल पर निर्भर है। यह स्पष्ट रूप से शहरी जल प्रणाली में भूजल की महत्वपूर्ण स्थिति को दर्शाता है, लेकिन अत्यधिक दोहन के चलते यह संसाधन भी लखनऊ के बदलते वातावरण में तेजी से घटने लगा है।शहर के विभिन्न हिस्सों में पानी का स्तर काफी कम हो गया है। पिछले 2 दशकों से, शहर में भूजल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है और इस तरह की अमूर्तता एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गई है, जहां भूवैज्ञानिकों ने अगले 10-20 वर्षों में शहर के कुछ प्रमुख इलाकों में भूमि-क्षरण के संभावित खतरे का अनुमान लगाया है।लखनऊ में भूजल दोहन की प्रवृत्ति संसाधन निकासी में निरंतर वृद्धि दर्शाती है। इस बढ़ते शहरी समूह की पानी की मांग को पूरा करने के लिए पीने के पानी के नलकूपों का निर्माण 70 के दशक की शुरुआत में हुआ था और 1985 तक लगभग 70 नलकूप कार्यशील थे।अब, लखनऊ जल संस्थान के नियंत्रणाधीन नलकूपों की यह संख्या 672 हो गई है।लगातार बड़े पैमाने पर जल निकासी के साथ,आज भूजल स्तर 20 mbgl की गहराई से काफी नीचे गिर गया है।और यहां तक कि लालबाग, कैंट,इंदिरा नगर, आलमबाग, जेल रोड, पुराणिया सहित कुछ क्षेत्रों में बहुत गहरे स्तर यानी 30mbglया उससे भी अधिक नीचे गिर गया है।नतीजतन, शहर की भूजल प्रणाली के भीतर एक दबाव क्षेत्र विकसित हो गया है, जो शहर में भारी कमी वाले एक्वीफर्स (Aquifers) का संकेत है।
वर्तमान समय में कोरोना महामारी विश्व व्यापक है, तथा भारत के जल संसाधनों पर इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है,विशेष रूप से नदी के पानी की गुणवत्ता, घरेलू और वाणिज्यिक क्षेत्रों में पानी के उपयोग, अपशिष्ट जल उपचार क्षेत्र पर।इस अवधि के दौरान, कई नदियों में पानी की गुणवत्ता और मात्रा में बहुत कम समय में सुधार हुआ है, विशेष रूप से गंगा नदी पर।प्रमुख उद्योगों और कृषि गतिविधियों के बंद होने के कारण पानी की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।हालांकि, जहां कुछ भारतीय नदियों के पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, वहीं निगरानी की कमी के कारण अन्य नदियों पर लॉकडाउन का प्रभाव काफी हद तक अज्ञात है।लॉकडाउन के दौरान घरेलू और वाणिज्यिक जल क्षेत्र भी बाधित रहे।लॉकडाउन ने घरेलू पानी की मांग को बढ़ा दिया है और गैर-घरेलू (यानी, वाणिज्यिक, औद्योगिक और संस्थागत) मांग को कम कर दिया है।चूंकि कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता आवश्यक है, इसलिए इस स्थिति में पानी की मांग बढ़ गई है।यह स्थिति लखनऊ जैसे भारत के प्रमुख शहरों में स्थायी जल प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।

संदर्भ
https://bit.ly/362lEvS
https://bit.ly/3AlMtJE
https://bit.ly/35XUKW2
https://bit.ly/3y78v0y
https://bit.ly/3dq9Pnv

चित्र संदर्भ
1. कुएं से जल भरते ग्रामीणों का एक चित्रण (flickr)
2. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में जलस्तर दिखाने वाले मानचित्र का एक चित्रण (flickr)
3. भूजल क्षेत्र का एक चित्रण (wikimedia)



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