उद्यमी या व्यवसायी हर देश की अर्थव्यवस्था का आधार होते हैं। अक्सर यह देखा जाता है कि, जो
लोग किसी अन्य देश में प्रवास करते हैं, उनके उद्यमी बनने की सम्बावनाएँ देश में रहने वालों की
तुलना में कई अधिक होती हैं। और रोचक तथ्य तो यह है की, उद्यमी जहां भी होते हैं वे उस देश की
अर्थव्यस्था को बड़े स्तर पर लाभान्वित करते हैं। विशेष रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा,
ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और सिंगापुर जैसे देशों में व्यवसायिओं की विशेष रूचि है, और आप
इन देशों की अर्थव्यवस्था अथवा तरक्की स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। अमेरिका में कॉफ़मैन
फ़ाउंडेशन (Kauffman Foundation) की एक गणना से निष्कर्ष निकला कि, यहां अप्रवसियों
(ऐसे लोग जो दूसरे देशों से आकर बसे हों) के उद्यमी अथवा व्यवसायी बनने की संभावना मूल-
निवासी लोगों की तुलना में दोगुनी है। यहाँ लगभग 27 प्रतिशत से अधिक व्यवसाय आप्रवासियों
द्वारा खड़े किये गए हैं, जो की वहां की कुल जनसँख्या का 11 प्रतिशत हैं। यहाँ फॉर्च्यून (Fortune)
की 40 प्रतिशत कम्पनियाँ अप्रवासियों द्वारा अथवा उनके बच्चों द्वारा स्थापित की गयी हैं।
सिलिकॉन वैली (Silicon Valley) में 2005 तक लगभग 52 प्रतिशत स्टार्टअप्स "Startups" (नए
शुरू किये गए उद्द्योग) के संस्थापकों में से निश्चित तौर पर एक अप्रवासी शामिल था। कई बड़ी
कंपनियां जैसे Google, एटी एंड टी (AT&T), इंटेल(Intel), क्राफ्ट(Craft), टेस्ला(Tesla),
याहू(Yahoo) और ईबे (eBay) इत्यादि किसी न किसी अप्रवासी द्वारा संस्थापित अथवा सह-
संस्थापित की गई है।
द ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप मॉनिटर (The Global Entrepreneurship Monitor) के एक
सर्वेक्षण के अनुसार यूनाइटेड किंगडम (UK) में अप्रवासी उद्यमी वहां के मूल निवासी उद्द्यामियों
की तुलना में तीन गुना अधिक हैं, वही इनके प्रत्येक सात स्टार्टअप्स में से एक प्रवासी द्वारा
स्थापित है। ऐसे अनेक कारण है, जिनकी वजह से अप्रवासी किसी अन्य देश में अपना उद्दोग
अथवा व्यवसाय शुरू करते हैं। सबसे सामान्य कारण यह है की अप्रवासी जोखिम लेने के इच्छुक
होते हैं, तथा कुछ मामलों में अप्रवासियों के पास अपने नए देश में नौकरी के कम अवसर होते हैं।
शोधों से ज्ञात हुआ है कि प्रवासी नागरिक सांस्कृतिक तौर पर अधिक ग्रहणशील होते हैं, जो कि
उद्यमिता के परिपेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण कौशल है। प्रत्येक देश अन्य देशों से प्रतिभाशाली
उद्यमियों को आकर्षित करना चाहते हैं, क्यों की प्रवासी उद्यमी उनके देश की अर्थव्यवस्था और
मूल नागरिकों की कुशलता को भी बढ़ाते हैं। विदेशों में व्यवसाय शुरू करने के कई अन्य कारण भी
सामने आते हैं। जो कि निम्नवत हैं।
1. मानसिकता:
कारोबारी माहौल को विकसित करने के लिए "विकसित होने की मानसिकता "
बहुत ज़रूरी होती है। कई बार व्यक्ति किसी निश्चित प्रतिभा के साथ जन्म लेता है, अथवा उसमे
प्रतिभा विकसित होती है। कुछ स्थितियों में प्रतिभा का विकास और उपयोग निश्चित क्षेत्र में कर
पाना असंभव होता है, जिस कारण जिज्ञासु और प्रतिभावान लोग अन्य देश में प्रवास करते हैं, और
वहां उद्द्योग विकसित करते हैं।
2.अनुकूलन क्षमता:
कई बार किसी बेहतर लक्ष्य को हासिल करने के लिए किसी निश्चित माहौल तथा सहकर्मियों की
आवश्यकता पड़ती ,है जिसकी तलाश में भी उद्यमी प्रवास करते हैं अथवा प्रवासित होने के उपरांत
उद्द्यम शुरु करते हैं।
3.विविधता और समावेशन:
अप्रवासी आमतौर पर कंपनी की जातीय और भाषाई विविधता में सुधार करते हैं, और वे कार्यस्थल
पर अद्वितीय अनुभव, पृष्ठभूमि और ज्ञान का ढेर भी लाते हैं। कई शोधों में यह भी स्पष्ट हुआ की
अप्रवासी वित्तीय तौर पर भी काफी अच्छा प्रदर्शन करते हैं। यही कारण है की सरकारें उद्यमियों को
आकर्षित करती हैं, और उद्यमी अवसरों को आकर्षित करते हैं।
4. लघु व्यवसाय में आप्रवासियों की बड़ी अहम् भूमिका होती है प्रायः अप्रवासियों को छोटे-
व्यवसाय के मालिकों के तौर पर भी देखा गया है और लघु-व्यवसाय राष्ट्र समग्र विकास का 30
प्रतिशत हिस्सा होता है, सर्वे ऑफ बिजनेस ओनर्स और अमेरिकन कम्युनिटी के आंकड़ों के आधार
पर पाया गया कि अमेरिकी अप्राविसयों से 18% छोटे व्यवसाय के मालिक हैं।
हमारा देश भारत भी प्रवासी उद्यमियों की आने से लाभान्वित हुआ है, जिनमे से अधिकांश ब्रिटिश
काल के प्रवासी भी हैं। भारत में व्यापार करने अथवा कोई नया उद्द्योग शुरू करने के विदेशी
उद्यमियों में खासा उत्सुकता देखी जाती है, क्यों की कई मायनो में यहाँ पर उद्यमशीलता
पारिस्थितिकी तंत्र का ज़बरदस्त संतुलन संभव है। और यह विदेशियों का यहाँ आकर व्यापार
अथवा उद्योग शुरू करना देश के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है। लेकिन विदेशी कंपनियां
और उद्दमी बीते कई वर्षों से यह शिकायत कर रहे हैं, कि भारत सरकार द्वारा भारत में उद्द्योग
और व्यवसाय शुरू करने के लक्ष्य को मुश्किल रखा गया है, और सरकारें यहाँ काम करने और धन
बनाने के लिए आना आसान नहीं बनाती है। उदहारण के लिए रेजिडेंट वर्क वीजा रोजगार से जुड़ा
होता है, और आमतौर पर एक बार में एक साल के लिए दिया जाता है, जिसके नवीनीकरण के लिए
उद्यमी को देश छोड़ना पड़ता है। हालाँकि अब पहले की तुलना में हालात सुधरे हैं। पीआईओ और
ओसीआई (PIO and OCI) कार्ड ने भारतीय मूल के लोगों और उनके जीवनसाथी के लिए
संभावनाओं को आसान बना दिया है। पिछले साल, सरकार ने एक उद्यमी वीजा की शुरुआत की,
जो प्रायः उन लोगों को देश में दस वर्ष रहने की स्वतंत्रता प्रदान करता है , जो 18 महीनों में $1.5
मिलियन डॉलर का निवेश करने और कम से कम एक साल में 20 नौकरियां प्रदान करने के लिए
प्रतिबद्ध हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3vLBoxZ
https://bit.ly/2UoVdy3
https://bit.ly/3xFDHDQ
https://bit.ly/35EO6Uv
चित्र संदर्भ
1. एलोन रीव मस्क FRS (जन्म 28 जून, 1971) एक अमेरिकी व्यवसायी हैं। उनका जन्म दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। वह कनाडा चले गए और बाद में एक अमेरिकी नागरिक बन गए। उनका एक चित्रण का एक चित्रण (wikimedia)
2. अमेरिका में प्रवासी व्यवसायियों की स्थिति का एक चित्रण (linkedin)
3. अप्रवासियों की वैश्विक आबादी 1990 के बाद से बढ़ी है लेकिन दुनिया की आबादी के लगभग 3% पर स्थिर बनी हुई है जिसके चार्ट का एक चित्रण (wikimedia)
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