चक्का, पोनस आदि नामों से जाना जाने वाला भारतीय कटहल अब यूरोप (Europe) में भी अत्यधिक
लोकप्रियता हासिल कर रहा है। रेट्रो-पैक्ड कटहल क्यूब्स और प्रमाणित ग्लूटेन-मुक्त (Gluten-free)
कटहल पाउडर जर्मनी (Germany) को बैंगलोर से निर्यात किया जा रहा है। इसी प्रकार त्रिपुरा से 1.2
मीट्रिक टन ताजे कटहल की खेप लंदन भेजी गई है। तो,आखिर क्यों यूरोप में यह कटहल क्रांति चल रही
है? दरअसल भारत का यह प्रसिद्ध फल यूरोप में शाकाहारी लोगों के लिए एक आकर्षक मांस विकल्प
बन गया है, और इसलिए इसकी मांग में अत्यधिक वृद्धि हो रही है।कटहल सदियों से दक्षिण एशियाई
आहार का मुख्य हिस्सा रहा है। भारत में यह इतनी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है,कि अक्सर हर साल
इसके उत्पादन का काफी हिस्सा बर्बाद हो जाता है। लेकिन अब, कटहल के लिए दुनिया का सबसे बड़ा
उत्पादक भारत, मांस के विकल्प के रूप में कटहल को उपलब्ध करवाकर लाभ प्राप्त कर रहा है।
पिछले कुछ वर्षों से स्वास्थ्य और पर्यावरण सम्बंधी चिंताओं के मद्देनजर पश्चिमी देशों में शाकाहार को
अत्यधिक बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे लोग नॉन-वेज या मीट के विभिन्न विकल्प ढूंढ रहे हैं। यह
विकल्प उन्हें भारतीय कटहल के रूप में प्राप्त हुआ है, क्यों कि यदि कटहल को सही तरीके से पकाया
जाए, तो इसका स्वाद पके हुए मांस जैसा होता है। जिसके कारण इसे विभिन्न व्यंजनों में मीट के
विकल्प के तौर पर शामिल किया गया है। लोग अपने और पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए पहले की अपेक्षा
अधिक जागरूक हो गए हैं, और इसलिए उन पदार्थों का सेवन करना चाहते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए
लाभदायक हो। एक कप कटहल में एक कप चावल की तुलना में 40% कम कार्बोहाइड्रेट होता है, और
रेशा चार गुना होता है। इस प्रकार यदि कटहल का सेवन किया जाता है, तो मधुमेह जैसी बीमारियों से
बचा जा सकता है।कई रेस्तरां ने पिज़्ज़ा, बर्गर, पास्ता जैसे विभिन्न व्यंजनों में इसका उपयोग शुरू कर
दिया है।
कटहल को उगाने के लिए अधिक देखभाल और अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। इसके अलावा
यह कीटों और बीमारियों के लिए भी प्रतिरोधी होता है। इसलिए बदलती जलवायु का सामना करती हुई
पृथ्वी के लिए यह भविष्य का उपयुक्त खाद्य पदार्थ भी हो सकता है। कोरोना महामारी के इस दौर में
भी कटहल खाद्य पदार्थ के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।कोविड संकट के दौरान शुरू में
लोग चिकन खाने से डर रहे थे, और इसी समय बड़ी संख्या में लोगों ने कटहल की ओर रुख किया,
खासकर केरल में। जहां तालाबंदी के दौरान कई व्यवसायों को भारी झटका लगा, वहीं नए व्यवसायों का
भी सृजन हुआ, जिनमें से कटहल से सम्बंधित व्यवसाय भी एक हैं। इस प्रकार इस दौरान भी कटहल
की मांग में अत्यधिक वृद्धि देखने को मिली।
कटहल भारत का मूल फल है, जो सदियों पहले प्राकृतिक रूप से यहां उग गया था, विशेष रूप से
महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में। यहां इसका उत्पादन 3,000 से 6,000 साल पहले से हो रहा है। इस
फल का संदर्भ 400 ईसा पूर्व के बौद्ध ग्रंथ में मिलता है। इसका उपयोग कुछ बौद्ध पुजारी आज भी
अपने वस्त्रों को रंगने के लिए करते हैं। पहली और तीसरी शताब्दी ईस्वी में लिखे गए तमिल साहित्य में
भी इसका वर्णन किया गया है। पहली शताब्दी ईस्वी की कृति मदुरैकांची (Maduraikanchi) में भी यह
उल्लेख किया गया है, कि इन फलों का बड़े बाजारों में व्यापार किया जाता था। आज, कटहल दक्षिण पूर्व
एशिया के अन्य भागों में फैल गया है,तथा पूरे नेपाल (Nepal), श्रीलंका (Sri Lanka) और बांग्लादेश
(Bangladesh) में वृद्धि कर रहा है। यह मलेशिया (Malaysia), इंडोनेशिया (Indonesia), थाईलैंड
(Thailand), वियतनाम (Vietnam) और अफ्रीका (Africa) सहित दुनिया के कई अन्य हिस्सों में भी एक
लोकप्रिय फल है।
कटहल भारत के दक्षिण और पूर्व में बहुतायत से उगता है। इस फल की खेती करने वाले क्षेत्रों में
पश्चिमी घाट, देवरिया, गोरखपुर, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, कोंकण और कर्नाटक शामिल
हैं।
फैजाबाद, उत्तर प्रदेश कटहल की स्वादिष्ट किस्म के लिए जाना जाता है। भारत में महाराष्ट्र,
कर्नाटक, केरल, गोवा और उत्तर पूर्व में कटहल के लिए कई त्यौहारों को आयोजित किया जाता है। यहां
के कुछ गांवों में इन्हें एक उपहार के रूप में भी भेंट किया जाता है। कटहल का मौसम सितंबर से
दिसंबर तक और फिर जून से अगस्त तक होता है। इसका अधिकतम उत्पादन मानसून के मौसम के
दौरान होता है। यह बड़ा, भारी काँटेदार त्वचा वाला फल है, जो अन्दर से गुदगुदा होता है, लेकिन रसदार
नहीं है।कटहल वसा, कार्ब (Carb), फाइबर (Fiber), प्रोटीन(Protein), विटामिन (Vitamin), थायमिन
(Thiamine), राइबोफ्लेविन (Riboflavin), कैल्शियम (Calcium), आयरन (Iron), मैग्नीशियम
(Magnesium), फॉस्फोरस (Phosphorous), पोटेशियम (Potassium), जिंक (Zinc), कॉपर (Copper)
आदि पोषक तत्वों से युक्त होता है, जो कैंसर, रक्तचाप, आंख और हड्डी के स्वास्थ्य, अल्सर आदि को
कम करने में सहायक है।भारत में मुलायम, कच्चे या अर्ध-पके फल की सब्जी बनाकर खायी जाती है,
जबकि पके होने पर फल के रूप में उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग करी, मुरब्बा, बिरयानी,
चिप्स, अचार आदि में भी किया जाता है। इसी प्रकार से पके फल को मिठाई, सिरप, जैम, चटनी आदि
के निर्माण के लिए उपयोग में लाया जाता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/35BB7Dd
https://bit.ly/35FRmik
https://bit.ly/35FTqXU
https://bit.ly/3wKsYrY
https://bit.ly/3xzSD6x
https://bit.ly/35DcV39
https://bit.ly/35H3SOC
चित्र संदर्भ
1. भारतीय कटहल विक्रेता का एक चित्रण (flickr)
2. कटहल के छिलके निकालना और बीज को मांस से अलग करने का एक चित्रण (wikimedia)
3. फलों के साथ कटहल के पेड़ का एक चित्रण (wikimedia)
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