आइबेक्स (Ibex) शाकाहारी जंतु है, जो अपना ज्यादातर समय चारागाह में घास खाते हुए बिताते हैं, ताकि वसा का भंडारण कर सकें तथा इसका इस्तेमाल सर्दियों के मौसम में अल्पाइन (Alpine) के जंगलों की कठोर परिस्थितियों से बचने के लिए कर सकें, क्यों कि इस समय उन्हें भोजन नहीं मिल पाता है। नर और मादा आइबेक्स को आसानी से पहचाना जा सकता है, क्यों कि वे आकार और आकृति में बहुत भिन्न होते हैं। वयस्क नर का वजन गर्मियों के अंत तक 100 किलोग्राम से भी अधिक हो सकता है, तथा उनके सींग लंबाई में 1 मीटर तक हो सकते हैं। मादा का वजन शायद ही कभी 50 किलोग्राम से अधिक होता है, तथा उनके सींग भी छोटे होते हैं। उनका व्यवहार भी अलग होता है और वे वर्ष के अधिकांश समय अलग-अलग क्षेत्रों में रहते हैं और केवल दिसंबर-जनवरी में प्रजनन के मौसम में ही एक-दूसरे के निकट आते हैं।
आइबेक्स निस्संदेह एगोनिस्टिक इंटरैक्शन (Agonistic interactions) के लिए प्रसिद्ध है, जो पुरुषों के बीच होता है, जब वे पदानुक्रम स्थापित करने के लिए अपने बड़े सींगों को एक-दूसरे के सींगों से टकराते हैं। हालांकि, इस जानवर के सबसे अविश्वसनीय कौशल में से एक उनकी चढ़ाई क्षमता है। आल्प्स (Alps) की चढ़ाई करने वाला लगभग हर यात्री यह जानता है, कि ये जानवर कितने चुस्त हैं, जो कि खुद को किसी भी शिकारी से बचाने के लिए एंटी-प्रीडेटरी (Anti-predatory) रणनीति अपनाते हैं, तथा सीधी चट्टानों पर चढ़ाई करते हैं। उसी के कुछ आनुवंशिक रूपांतर हिमालय में भी पाए जा सकते हैं। आइए, इन दो वीडियो के जरिए एक नज़र डालते हैं, आइबेक्स की लम्बवत दीवारों पर चढ़ने की अद्भुत क्षमता पर।