सभी प्रकार की ललित कलाओं में है, वीणा का प्राथमिक महत्व

लखनऊ

 30-05-2021 11:13 AM
ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि
वीणा (Veena) उन तीन दिव्य संगीत वाद्ययंत्रों में से एक है, जिसके साक्ष्य वैदिक काल (बांसुरी और मृदंगम के साथ) से प्राप्त होते हैं। कला की देवी सरस्वती को हमेशा वीणा के साथ दिखाया जाता है, इसलिए यह इस बात का प्रतीक है, कि सभी प्रकार की ललित कलाओं में वीणा का प्राथमिक महत्व है। प्राचीन और मध्यकालीन भारतीय साहित्य में संस्कृत शब्द वीणा, तंत्री या तारों वाले संगीत वाद्ययंत्र को दिया गया नाम है। इसका उल्लेख ऋग्वेद, सामवेद और अन्य वैदिक साहित्य जैसे शतपथ ब्राह्मण और तैत्तिरीय संहिता में भी मिलता है। प्राचीन ग्रंथों में, नारद को तांपुरा का आविष्कारक माना गया है, जिसे धातु की पट्टियों पर मौजूद सात तार वाले वाद्य यंत्र के रूप में वर्णित किया जाता है। संगीत की एक प्रोफेसर सुनीरा कासलीवाल के अनुसार, ऋग्वेद और अथर्ववेद (दोनों 1000 ईसा पूर्व), उपनिषद (800-300 ईसा पूर्व) जैसे प्राचीन ग्रंथों में, एक तार वाले वाद्ययंत्र को वाना (Vana) कहा गया, जो बाद में विकसित होकर वीणा बना। प्रारंभिक संस्कृत ग्रंथों में किसी भी तार वाले वाद्य यंत्र को वाना कहा गया है, अर्थात तंत्रीय वाद्य यंत्र में चाहे एक तार हो या अनेक तार, उसमें धातु की पट्टियां हों या न हों, उसे हाथ से बजाया जाए या छड़ से, सभी प्रकार की परिस्थितियों में उसे वाना ही कहा गया है। शास्त्रीय संगीत और प्रदर्शन कला पर सबसे पुराना जीवित प्राचीन हिंदू ग्रंथ “नाट्य शास्त्र” जिसे भरत मुनि द्वारा लिखा गया था, में वीणा का वर्णन मिलता है। यह संस्कृत ग्रंथ, संभवतः 200 ईसा पूर्व और 200 ईस्वी के बीच पूरा हुआ, जिसकी शुरूआत में यह उल्लेख किया गया, कि “जब मनुष्य का गला या कंठ उत्तम या निपुण हो जाता है, तब वह “शरीर वीणा” या शरीर का तंत्रीय वाद्ययंत्र होता है, और ऐसा कंठ, तंत्रीय वाद्ययंत्र और बांसुरी गंधर्व संगीत का स्रोत बन जाते हैं। ऐसे ही कुछ वर्णन हिंदू धर्म के अन्य प्राचीन ग्रंथों, जैसे ऐतरेय आरण्यक के श्लोक 3.2.5 में तथा शंखायन आरण्यक के श्लोक 8.9 आदि में भी मिलते हैं। प्राचीन महाकाव्य महाभारत में ऋषि नारद को एक वैदिक ऋषि के रूप में वर्णित किया गया है, जो "वीणा वादक" के रूप में प्रसिद्ध हैं। आइए, आज इन दो वीडियो के माध्यम से वीणा की कई किस्मों में से दो किस्मों, सरस्वती और रुद्र वीणा की ध्वनि का आनंद प्राप्त करें।

संदर्भ:
https://bit.ly/34thVXt
https://bit.ly/3yWde6P
https://bit.ly/3p0zHeh


RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id