बुलफाइटिंग (Bullfighting) एक शारीरिक प्रतियोगिता है, जिसमें मानव और जानवर (बैल या सांड) शामिल होता है। नियमों, दिशानिर्देशों या सांस्कृतिक अपेक्षाओं के अनुसार, इस खेल में आमतौर पर सार्वजनिक रूप से एक बैल या सांड को वश में करने का या मारने का प्रयास किया जाता है। दुनिया भर के विभिन्न स्थानों में इस खेल के कई अलग-अलग रूप और किस्में प्रचलित हैं। कुछ रूपों में जहां बैल के चारों ओर या उसके ऊपर नृत्य किया जाता है, वहीं कुछ में जानवर से कोई वस्तु छीनने का प्रयास किया जाता है। स्पेनिश (Spanish) शैली की बुलफाइटिंग कुछ प्रसिद्ध बुलफाइटिंगों में से एक है। इस शैली की बुलफाइटिंग स्पेन, पुर्तगाल और अन्य देशों के कई हिस्सों में पारंपरिक रूप से आयोजित की जाती है। हालांकि, बुलफाइटिंग के कुछ रूपों को कभी-कभी रक्त का खेल भी माना जाता है, क्यों कि इन रूपों में जानवर को या तो जख्मी किया जाता है या फिर जान से मार दिया जाता है। इस प्रकार की बुलफाइटिंग का उदाहरण स्पेन में देखने को मिलता है, जहां इसे एक कला रूप या सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप में परिभाषित किया गया है।
पशु अधिकार और पशु कल्याण अधिवक्ताओं सहित कई लोग यह मानते हैं, कि यह खेल क्रूर और बर्बर है, क्यों कि इसमें बैल या सांड गंभीर तनाव से ग्रस्त हो जाता है, और अंततः उसकी धीमी और दर्दनाक मौत भी हो सकती है। कई पशु अधिकार और पशु कल्याण समूह स्पेन और अन्य देशों में बुलफाइटिंग विरोधी कार्रवाई कर रहे हैं। भारत में भी बुलफाइटिंग का एक रूप पाया जा सकता है। तमिलनाडु में मट्टू पोंगल पर पोंगल समारोह के एक भाग के रूप में परंपरागत खेल “जल्लीकट्टू” (Jallikattu) का आयोजन किया जाता है। इस खेल के लिए बोस इंडिकस (Bos indicus) बैल को पैदा किया गया है और इस उद्देश्य के लिए पैदा की गयी मवेशियों की एक विशिष्ट नस्ल को जल्लीकट्ट के रूप में जाना जाता है। स्पेनिश बुलफाइटिंग में जहां अंततः बैल मारा जाता है, वहीं जल्लीकट्टू आयोजन में बैल की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके अलावा बैल को उसके मास्टर और पूरे गांव द्वारा स्नेह दिया जाता है, तथा उसकी पूजा भी की जाती है। अगर कोई भी बैल को नुकसान पहुंचाने या उसे मारने का प्रयास करता है, तो उसे कड़ी सजा दी जा सकती है।