भारत के प्रथम स्वअतंत्रता संग्राम के दौरान कई लोग मारे गए जिसमें भारतीय एवं ब्रिटिश दोनों शामिल थे।1857 की लड़ाई की शुरूआत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) के शासन के तहत बहुत बड़ी आबादी को कुचल दिया गया और उनका शोषण किया गया। जिसके परिणामस्वतरूप दिल्ली, झांसी और लखनऊ के पुराने शहर में लोगों के द्वारा बड़ी संख्या में बंदूकें उठा दी गयीं।यहां ब्रिटिश रेजीडेंसी (British Residency), दिलकुशा महल जैसी स्मारक हैं जो आज भी अस्तित्वं में हैं। ऐसी ही एक स्मारक है सिकंदर बाग, जो अब लखनऊ का सिविल लाइन्स क्षेत्र (Civil Lines Area) है। अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह (आर. 1847 - 1856) के लिए एक सांस्कृतिक विरासत के रूप में, विद्रोह से ठीक 10 साल पहले सिकंदर बाग बनवाया गया था। इस बाग को लगभग 1800 में नवाब सआदत अली खान द्वारा शाही बाग के रूप में तैयार किया गया था। सिकंदर बाग वाजिद अली शाह का एक सुव्यवस्थित उद्यान था, जिसका निर्माण उनकी ताजपोशी के तुरंत बाद, उनकी पसंदीदा रानी, उमराव के लिए किया गया था। सिकंदर महल के नाम से जाना जाने वाले उस समय उद्यान परिसर को बनाने में लगभग 5 लाख रुपये लगे थे, जो उस समय 137 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला था। प्लास्टर (plaster) के सांचों से सजी लखौरी ईंटों के उच्च दिवारों के अंदर, ग्रीष्माटवास, मस्जिद और बगीचा बना है, बगीचे के केन्द्र में छोटा सा लकड़ी का मंडप है, इसी मण्डप में कला प्रेमी नवाब वाजिद अली शाह द्वारा कथक नृत्य की शैली में प्रसिद्ध रासलीला का मंचन किया जाता था। यहीं पर मुशायरों और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन भी किया जाता था।कला प्रेमी नवाब वाजिद अली शाह द्वारा इन कलाओं को संरक्षण दिया गया था।
सिकंदर महल के तीन बुलंद प्रवेश द्वारों में से आज एक ही शेष बचा है। 1857 के विद्रोह के दौरान भारी बमबारी के बीच अन्य दो ध्ववस्तम हो गए थे। हालांकि, जो प्रवेश द्वार बचा हुआ है, वह बड़ी खूबसूरती से संरक्षित है, और लखनवी डिजाइन (Lucknowi design) का एक शानदार उदाहरण है। अंदर से इसे भित्तिचित्रों से सजाया गया है, जो शहर की प्रतिष्ठित चिकन कढ़ाई से मिलते जुलते हैं।ये तत्कालीन दरबारी चित्रकार काशी राम द्वारा तैयार किए गए थे। नवाब कलाकार की इस कला से काफी प्रभावित हुए और उन्हेंश सम्माैनित भी किया।प्रवेश द्वार का बाहरी हिस्सा कला और संस्कृति के इस शहर के महानगरीय इतिहास का प्रमाण देता है। इसकी वास्तुकला में भारतीय (Indian), फारसी (Persian), यूरोपीय (European) और चीनी (Chinese) डिजाइन (Design) के तत्व जिनमें मुख्य त: मेहराब, पेडिमेंट्स (pediments), छतरियां (chhatris), स्तंभ और पगोडा (pagodas)शामिल हैं। मुगलों के शासन काल के दौरान सम्माोननीय और लोकप्रिय मछली माही मारतीब (Mahi Maratib) की आकृति भी इसमें दिखाई देती है।
चित्र संदर्भ:-
1.सिकंदर बाग का एक चित्रण (Wikimedia)
2 .बुलंद प्रवेश का एक चित्रण (staticflickr)
2 .लखनऊ रेजीडेंसी का एक चित्रण (Wikimedia)
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