किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षा का महत्व किसी से छुपा नहीं है। बेहतर शिक्षा एक बेहतरीन व्यक्तित्व का विकास करती है। इसी परिपेक्ष्य में पहली बार बुनियादी शिक्षा की अवधारणा दी गयी । बुनियादी शिक्षा को कई अन्य नामों जैसे वर्धा योजना, नयी तालीम, 'बुनियादी तालीम' तथा 'बेसिक शिक्षा' से भी जाना जाता है। वर्तमान में विश्वविद्यालयों में इसे "फाउंडेशन कोर्स" Foundation Course के रूप में जाना जाता है। आगे इसे विस्तृत रूप से समझते हैं।
वर्धा शिक्षा (NaiTalim) क्या होती है?
यदि कोई व्यक्ति किसी कौशल को सीखने अथवा शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ ही अपना जीविकोपार्जन करने के लिए धन भी कमाए तो इसे वर्धा शिक्षा कहा जाता है। भारत में वर्धा शिक्षा की अवधारणा पहली बार महात्मा गांधी द्वारा दी गयी। गांधीजी ने 23 अक्टूबर 1937 को वर्धा शिक्षा को विस्तृत करने की योजना बनायी, जिस योजना को भविष्य में एक राष्ट्रव्यापी स्वरूप दिया जाना था। उनका मानना था कि वर्धा शिक्षा देश के प्रति उनका अंतिम एवं सर्वश्रेष्ठ योगदान है। गांधीजी ने जीवन पर्यन्त अपने इस विचार को मूर्त रूप देने के अथक प्रयास किये, परंतु दुर्भाग्यवश इस जनहित शिक्षा-प्रणाली का राष्ट्रीय स्तर पर भी विस्तृत प्रयोग न हो पाया। जिसका परिणाम यह हुआ की आज भी देश गांधीजी की इच्छा के अनुरूप इस प्रणाली को अपना नहीं पाया। इसके विपरीत वर्तमान में यह परिस्थितियां हैं कि शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से भारत पुनः पाश्चात्य साम्राज्यवाद के अधीन अग्रसर है।
भारत में वैकल्पिक शिक्षा को विद्यार्थी के भविष्य के लिए एक मजबूत स्तंभ के रूप में दर्शाया गया है। उसी के अनुरूप 2009 में भारतीय संसद द्वारा शिक्षा संबंधी एक विधेयक पारित किया गया। इस विधेयक के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21 में भारत सरकार द्वारा 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिये अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गयी है, एवं 86 वें संशोधन में प्राथमिक शिक्षा को सभी नागरिकों के मूल अधिकार में शामिल कर लिया गया। यह व्यवस्था 1 अप्रैल 2010 को जम्मू -कश्मीर को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में लागू कर दी गई। भारत में अनेक अभिभावक अपने बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा में कई प्रकार के क्रियाकलापों तथा विषयों के अभाव को महसूस कर रहे हैं। इसी कारण यहाँ पर विगत वर्षों में होम स्कूलिंग (HomeSchooling) का प्रचलन काफी तेज़ी के साथ बड़ा है। दरअसल जब कोई बच्चा बिना विद्यालय गए अनौपचारिक रूप से घर बैठकर ही शिक्षा ग्रहण करें तो यह प्रक्रिया होम स्कूलिंग कहलाती है। इस प्रचलन के लोकपिर्य होने के कई कारण है, सबसे प्रमुख कारण विद्यालयों में अनुभवी शिक्षकों की कमी, शिक्षा के परिपेक्ष्य में बच्चों में बढ़ता तनाव, विद्यालयों में असुरक्षा की भावना तथा ट्यूशन भेजने के समय की समस्या है। ग्रहस्त शिक्षा बच्चों के नजरिये से लाभदायक साबित हो रही है। चूँकि इस व्यवस्था में बच्चा घर पर रहकर ही पढ़ाई करता है, वस्तुतः वह अपने पसंदीदा विषय को अधिक समय दे सकता है। यह उनमें तनाव भी कम करेगा, साथ ही बच्चे की कक्षा का निर्धारण भी उसकी योग्यता के आधार पर होता है। यानी पारम्परिक शिक्षा से अलग वह योग्यता अनुसार किसी भी कक्षा में स्थान पा सकता है। इस प्रणाली में बच्चे अपने अध्यापकों तथा वर्तमान में इंटरनेट की सहायता से शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। हालाँकि होम स्कूलिंग शिक्षा प्रणाली के एक बड़ी समस्या यह है की बच्चे सामाजिक माहौल में परस्पर घुल-मिल नहीं पाते।
भारत में, 20 वीं शताब्दी की शुरुआत से, कुछ शैक्षिक सिद्धांतकारों ने शिक्षा की विभिन्न प्रणालियों पर गहन अध्ययन किया, और अपने अनुरूप उन्हें लागू भी किया - रवींद्रनाथ टैगोर का विश्व भारती विश्वविद्यालय, और महात्मा गांधी का "बुनियादी शिक्षा" प्रमुख उदाहरण हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता, रबीन्द्रनाथ टैगोर का योगदान अभूतपूर्व माना जाता है। उनकी शैक्षिक शैली बहु-नस्लीय, बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक शिक्षा प्रणाली से प्रेरित है। वे एक ज़बरदस्त उत्साही तथा संस्कृति के धनी परिवार से संबंध रखते थे, जहां उन्हें अपनी इच्छा अनुसार पढ़ने तथा आत्मविकास करने की आज़ादी मिली। उन्होंने पारंपरिक स्कूली शिक्षा को बेरस तथा बेहद उबाऊ पाया। बाद में उन्होंने रोचक ढंग से चलने वाली शिक्षा प्रणाली की व्यवस्था की। अपनी स्वयं की सीखने की शिक्षा प्रणाली से प्रेरित होकर रबीन्द्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन में विश्व-भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की और शिक्षा ग्रहण करने के अनोखे तरीके ने इसे अति लोकप्रिय कर दिया। इस विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति और परम्परा के अनुसार दुनियाभर का किताबी ज्ञान दिया जाता है। आमतौर पर यहां किसी पेड़ की छाँव में जमीन पर बैठकर शिक्षा प्राप्त का चलन है। शांतिनिकेतन कला प्रेमियों की पहली पसंद है क्यों की यह स्थान संगीत,नृत्य ,और नाटक जैसी सांस्कृतिक कलाओं का केंद्र है।
संदर्भ
https://bbc.in/3h4N0s4
https://bit.ly/3eq7Wbs
https://bit.ly/2R0VyWn
https://bit.ly/3tqIK8R
https://bit.ly/33lulQQ
https://bit.ly/3tp2dH4
चित्र संदर्भ
1. टैगोर तथा अल्बर्ट आइंस्टीन का एक चित्रण (Twitter)
2. शिक्षा योजना का एक चित्रण (Wikimedia)
3. शांतिनिकेतन का चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.