ग्रामीण बेरोज़गारी के अँधेरे का रोशन चिराग बन सकता है मनरेगा (MGNREGA)

लखनऊ

 04-05-2021 10:15 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

कोरोना काल में बेरोजगारी सबसे अहम मुद्दा बनकर उभरी है; हज़ारों-लाखों की संख्या में देश के बड़े शहरों से मज़दूरों का पलायन हुआ है। ऐसे समय में राज्य सरकारों के लिए अपने नागरिकों को रोज़गार उपलब्ध कराना सबसे चुनौतीपूर्ण काम बन गया है। राज्य सरकारें ग्रामीण बेरोज़गारों को मनरेगा (MGNREGA) के माध्यम से अपने राज्य में ही रोज़गार उपलब्ध कराने की तैयारी कर रही है। चलिए जानते है की मनरेगा क्या है? तथा यह प्रक्रिया किस प्रकार कार्य करती है?

मनरेगा(MGNREGA) क्या है?
हर व्यक्ति को काम पाने के अधिकार (Right to Work) के तहत 7 सितंबर 2005 को विधानसभा में एक अधिनियम पारित किया गया, जिसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) नाम दिया गया। मनरेगा एक प्रकार की रोज़गार गारंटी योजना है तथा इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष में देश के ग्रामीण इलाकों के परिवारों में किसी ऐसे व्यक्ति को 100 दिन का रोज़गार रोज़गार प्रदान करने की गारंटी दी गयी, जो व्यसक हो तथा 220 रुपये की न्यूनतम मूल्य की न्यूनतम अकुशल मजदूरी में काम करने को तैयार हो। चूँकि तत्कालीन समय में ग्रामीण इलाकों को रोज़गार अथवा पैसा कमाने के पर्याप्त साधनों की बहुत कमी थी, जिस परिपेक्ष्य में सरकार द्वारा यह अधिनियम लागू किया गया। तत्कालीन सरकार का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में लोगो की क्रय शक्ति बढ़ाने का था। इस योजना के अंतर्गत किसी भी ग्रामीण परिवार का सदस्य चाहे वह गरीबी रेखा से नीचे आता हो या ऊपर अथवा कोई विशेष प्रकार का कौशल जानता हो अथवा अकुशल भी इस योजना में अपनी भागीदारी दे सकता है। योजना का एक तिहाई कार्य बल महिलाओं को समर्पित है। प्रारम्भ में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) से सम्बोधित किया जाता था, परन्तु बाद में (2 अक्टूबर 2009 ) इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) हो गया ।

मनरेगा योजना पहली बार 2 फरवरी 2006 को देश के 200 जिलों में लागू की गयी। धीरे-धीरे इस महत्वाकांक्षी योजना को पूरे देश में प्रसारित कर दिया गया,और 1 अप्रैल 2008 के अंत तक देश के 593 जिलों में योजना लागू कर दी गयी। मनरेगा का शुरुआती (वर्ष 2006-2007) आर्थिक लक्ष्य 110 बिलियन रुपयों का रखा गया, जिसमें वर्ष 2009-2010 तक 140% प्रतिशत की वृद्धि कर दी गयी। योजना की प्रक्रिया में सर्वप्रथम ग्राम पंचायत द्वारा कार्य का प्रस्ताव ब्लॉक को सौंपा जाता है, जिसके पश्चात ब्लॉक कार्यालय काम की मंजूरी अथवा नामंजूरी देता है।
काम मंज़ूर हो जाने पर राज्य सरकारों द्वारा बेरोज़गारी भत्ते की राशि तय की जाती है। कोई भी व्यक्ति जो किसी भी प्रकार के काम को करने में सक्षम हो, उसे 100 दिन का रोज़गार दिया जाता है। योजना का लाभ उठाने के लिए परिवार के व्यस्क को ग्राम पंचायत के पास एक तस्वीर के साथ अपना नाम, उम्र और पता जमा कराना होता है। ग्राम पंचायत जांच के पश्चात परिवार को एक जॉब कार्ड उपलब्ध कराती है, जॉब कार्ड में, पंजीकृत वयस्क सदस्य का पूरा ब्यौरा उसकी फोटो सहित होता है। पंजीकरण के पश्चात योग्य व्यक्ति पंचायत या कार्यक्रम के मुख्य अधिकारी को लिखित रूप से लगातार काम के कम से कम चौदह दिनों के लिए काम करने हेतु एक आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। योजना के लिए कोई भी व्यसक आवेदन कर सकता है तथा योजना के अंतर्गत महिला तथा पुरुष को बिना किसी भेदभाव के समान वेतन दिया जाता है।

सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना प्रत्येक व्यक्ति के काम पाने के अधिकार के अंतर्गत आती है। दरसल काम करने का अधिकार (Right to work) उन मानवीय अधिकारों में शामिल है जिसके अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को काम करने की पूरी स्वतंत्रता दी जाती है, तथा उसे रोका नहीं जा सकता। कार्य करने के अधिकारों को मानवीय अधिकारों में शामिल किया गया है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून से मान्यता प्राप्त है। यह अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को उनके आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास पर जोर देने के परिपेक्ष्य में दिया गया।
महामारी के दौरान उत्तरप्रदेश में बड़े पैमाने पर रिवर्स माइग्रेशन (Reverse Migration) हुआ। अर्थात भारी संख्या में देश के विभिन्न राज्यों में काम करने वाले वाले मजदूर अपने घरों को वापस लौटे। जिस कारण राज्य सरकार के सामने वापस लौटने वाले मजदूरों को रोज़गार प्रदान करने की चुनौती है, इस परिपेक्ष्य में मनरेगा को समस्या के अहम् समाधान के रूप में देखा जा रहा है। भविष्य में मनरेगा के अंतर्गत 25 लाख परिवारों के सदस्यों को रोज़गार प्रदान करने की योजना है।


संदर्भ
● https://bit.ly/2PDPGBO
● https://bit.ly/3aM7i5E
● https://bit.ly/3u20l88

चित्र संदर्भ:-
1.काम करती महिलाओं का एक चित्रण (Unsplash)
2.मनरेगा कार्ड का एक चित्रण (Youtube)
3.काम करती महिलाओं का एक चित्रण (Wikimedia)



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id