कोरोना वायरस के खात्मे का दम रखती है क्रिस्पर (CRISPR) तकनीक।

डीएनए के अनुसार वर्गीकरण
26-04-2021 01:49 PM
कोरोना वायरस के खात्मे का दम रखती है क्रिस्पर (CRISPR) तकनीक।
प्राचीन समय से ही मनुष्य को अधिक लंबा और स्वस्थ जीवन जीने की प्रबल इच्छा रही है, तथा वैज्ञानिक बेहतर स्वास्थ्य के मद्देनजर हमेशा नए-नए और क्रांतिकारी प्रयास करते रहते है। प्रयोगों की इसी कड़ी में वर्ष 2012 में क्रिस्पर (CRISPR) नामक एक क्रांतिकारी खोज की गयी।

क्रिस्पर (CRISPR) एक बेहद शक्तिशाली तकनीक ,जो जीवों के डीएनए (DNA ) में बदलाव कर उनकी आनुवंशिकता को प्रभावित कर सकती है। दरअसल डीएनए किसी भी जीव की बनावट का आधार होता है। अर्थात कोई जीव कैसा दिखेगा यह उस जीव का डीएनए अर्थात डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक ('Deoxyribonucleic Acid') निर्धारित करता है। DNA के कुछ खास हिस्सों को जीन (Gene) कहा जाता है। माता-पिता के गुण जीन के माध्यम से ही बच्चे में स्थानांतरित होते हैं। यदि किसी भी जीव के जीनोम में बदलाव किया जाता है तो यह बदलाव उसके शरीर में भी दिखेगा। क्रिस्पर (CRISPR) तकनीक में एक तरह की आणविक कैंची का उपयोग करके डीएनए के क्रम को बदला जा सकता है, तथा इस बदलाव को साझा भी किया जा सकता है। कोई भी भ्रूण जब गर्भ में होता है उसी समय इस तकनीक का प्रयोग करके भ्रूण में मनचाहे बदलाव संभव हैं। जैसे किसी जीव की आँखे कैसी दिखेगी? उसके बालों का रंग क्या होगा? और जीव के बौद्धिक स्तर को बढ़ाने जैसे काम CRISPR तकनीक से किये जा सकते हैं। 2018 में चीन में घटित एक प्रसंग से हम इसे बेहतर समझ सकते हैं।

2018 में चीन के एक शोधकर्ता हे जिअन्कुई (He Jiankui) द्वारा यह दावा किया गया की उन्होंने एक गर्भवती स्त्री के भ्रूण की अनुवनाशिकताओं में कुछ बदलाव कर दुनिया के पहले डिज़ाइनर बच्चों को विकसित किया है। उनके प्रयोग के बाद चीन में दो जुड़वां बच्चों (लूलू और नाना) को विकसित किया गया। मानव भ्रूण में जीन को एडिट करने के लिए क्रिस्पर (CRISPR) तकनीक का प्रयोग किया गया है। (CRISPR) तकनीक ने चिकत्सीय क्षेत्र में कुछ बेहद नए आयाम स्थापित किये हैं, साथ ही इलाज करने की प्रक्रिया को बदल कर रख दिया है। आज इसकी मदद से किसी भी व्यक्ति के आनुवांशिक गुणों में भी बदलाव करना संभव हो गया है। इस तकनीक के प्रयोग से इस तकनीक को मानवता के विकास में एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है। न केवल अनुवांशिक बदलावों बल्कि इस तकनीक के उपयोग से जीवों में होने वाली कुछ जटिल बीमारियों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है, जिनका विवरण निम्नवत है।

1. कैंसर के इलाज में
(CRISPR) तकनीक का उपयोग कैंसर की बीमारी को ठीक करने के लिए किया जा रहा है। जीन-एडिटिंग तकनीक का उपयोग PD-1 नामक प्रोटीन में बदलाव लाता है, यह प्रोटीन शरीर की उन कोशिकाओं को बनाता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।

2. रक्त विकार
बीटा-थैलेसीमिया (Beta-thalassemia) और सिकल सेल रोग, जो रक्त में ऑक्सीजन परिवहन को प्रभावित करते हैं। CRISPR तकनीक का उपयोग करके भ्रूण हीमोग्लोबिन का उत्पादन किया जाता है, तथा यह प्रक्रिया रक्त में ऑक्सीज़न के प्रवाह को संतुलित कर देती है।और ऑक्सीज़न की मात्रा को संतुलित करने के पश्चात इसे रोगी के शरीर में पुनः संयोजित किया जाता है। CRISPR तकनीक का अंधापन, एड्स, मांसपेशीय दुर्विकास जैसी अनेक बीमारियों के उपचार में भरपूर प्रयोग हो रहा है। अपनी विशिष्टता के आधार पर यह तकनीक कोरोना महामारी से लड़ने में बेहद अहम भूमिका निभा सकती है। महामारी की चुनौती से निपटने के लिए एक प्रकार की आनुवंशिक वैक्सीन विकसित की जा रही है, जो की COVID-19 वायरस और उसके जीनोम को सटीक रूप से काटने और नष्ट करने के लिए एक सुरक्षित और प्रभावशाली उपाय है। यह कोरोना वायरस को मानव फेफड़े को संक्रमित करने से रोकती है। दावा किया गया है की इसकी मदद से वायरस के दबाव को 90 प्रतिशत तक काम किया जा सकता है। और निकट भविष्य में इसका प्रयोग वायरस के प्रभाव को धीरे-धीरे कम करने और समाप्त करने के लिए किया जा सकता है। शर्लक बायोसाइंसेज (Sherlock Biosciences) पहली ऐसी कंपनी है, जो अपने CRISPR SARS-CoV-2 किट के साथ यह दावा करती है की वह 20 मिनट में कोविड -19 रोगियों का निदान कर सकती है। इसलिए वायरस के रोकथाम के लिए की जीन एडिटिंग तकनीक पर पूरी दुनिया अपनी नज़रे टिकाये हैं।

एक ओर मनुष्य के स्वस्तिक विकास के नजरिये से यह तकनीक बेहद लाभकारी सिद्ध हो सकती है, वहीं दूसरी ओर गलत हाथों में चले जाने पर यह विनाशकारी परिणाम दिखा सकती है। CRISPR / Cas9 का उपयोग पौधों, जानवरों और मनुष्यों में डीएनए को संपादित करने के लिए किया जा रहा है। परन्तु यह समाज में अराजकता की स्थिति भी उत्पन्न कर सकती है। इस तकनीक को बढ़ावा देने पर मनुष्य प्राकर्तिक रूप से संतुलन को नष्ट कर सकता है। चूँकि इस तकनीक के प्रयोग से मनुष्य जानवरों, मनुष्यों और अन्य जीवों की क्षमता में बदलाव ला सकता है, इसलिए समाज में नए प्रकार के नस्लीय तथा आनुवंशिक भेदभाव कई गुना बढ़ सकते है।

सन्दर्भ:
● https://bit.ly/2Piev5V
● https://bit.ly/3azvUhU
● https://stanford.io/2QVIvVS
● https://bit.ly/3xo8shg
● https://bit.ly/3ewxZwn
● https://bit.ly/3dNGyUd

चित्र सन्दर्भ:
1.CRISPR का एक चित्रण(freepik)
2.जीन संपादन के लिए CRISPR का एक चित्रण(freepik)

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