भारत देश अनेक मायनों में दुनिया में रहने के लिए सबसे सर्वोत्तम स्थानों में से एक माना गया है। इसके अनेक कारण हैं, जिनमें से यहाँ के भौगोलिक परिदृश्य, संस्कृति और मानवीय आचरण तथा लोकतांत्रिक स्वतंत्रता इत्यादि हैं। किसी भी देश अथवा निर्धारित स्थान के लोगों द्वारा किसी अन्य देश में स्थानांतरित होने के लिए शब्दावली में अनेक प्रकार के शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जिनमे से मुख्यतः "प्रवासी" शब्द का इस्तेमाल बेहद आम है। परन्तु यदि किसी देश के मूल निवासी ही किसी अन्य देश में स्थानांतरित होने लगे तो इस प्रक्रिया को विकीर्णन अथवा डायस्पोरा (Diaspora) कहा जाता है। उदाहरण के लिए जिप्सी समुदाय जिसे रोमानी भी कहा जाता है, उन्हें मूल रूप से भरतवंशी माना जाता है जो कई सालों पहले भारत से प्रवास कर गए। और आज विश्व के अनेक भागों में जाकर बस चुके हैं।
अपने मूल देश को छोड़कर किसी दूसरे देश में रहने के मामलों में भारत विश्व के सबसे शीर्ष देशों में हैं। 2019 में प्रतिपादित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत से प्रतिवर्ष सबसे अधिक संख्या में लोग दूसरे देशों में रोज़ी-रोटी कमाने तथा कुछ अन्य कारणों से प्रवास कर रहे हैं। वस्तुतः डायस्पोरा एक वृहद श्रेणियों में विभाजित हैं, परन्तु मूल रूप से हम इसे तीन आधारभूत श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं।
1. उत्पीड़ित डायसपोरा:
यदि किसी देश के मूल नागरिकों का उनकी जाती, नस्ल अथवा किसी अन्य कारण से किसी भी प्रकार का उत्पीड़न हो रहा हो, जिस कारण उन्हें हताशावश, अपने ही मूल देश को छोड़कर किसी दूसरे देश में जाना पड़े तो इस प्रक्रिया को उत्पीड़ित डायसपोरा कहा जाता है।
2. श्रमिक डायसपोरा
19 वीं सदी में उपनिवेशवाद और साम्रज्यवाद अपने चरम पर था। पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर कामदार मजदूरों की आवश्य्कता पड़ी। ऐसे में कई भारतीयों को अनुबन्धों के आधार पर बधुआ मजदूरी हेतु ब्रिटिश उपनिवेशों में भेजा गया और इस तरह की प्रक्रिया को श्रमिक डायसपोरा कहा जाता है।
3. तिजारती डायसपोरा
वर्तमान में यह डायस्पोरा बेहद प्रचलन में हैं। आज भारी संख्या में लोग रोजगार तथा जीवन यापन के अवसरों को तलाशने के लिए अपने मूल देश को छोड़कर दूसरे देशों में पलायन कर रहे हैं। जिसका एक प्रमुख कारण उन्हें योग्यता के अनुसार वेतन न मिल पाना और लोगो को उच्च स्तर की जीवन शैली के प्रति आकर्षण भी हैं। इन्हीं कारणों से जब लोग अन्य देशों में रहने का विकल्प चुनते हैं, तो इस प्रक्रिया को तिजारती डायसपोरा कहा जाता है। जिसमें डॉक्टर, इंजीनियर, कारीगर और व्यापारी लोग शामिल हैं।
आज वैश्वीकरण ने पूरी दुनिया को एक ही छत के नीचे लाकर खड़ा कर दिया है। संचार के नए और आधुनिक उपकरण इतने तीव्र हैं की कुछ क्षणों में ही हम दुनिया के किसी भी क्षेत्र में संपर्क स्थापित कर सकते हैं। धीरे-धीरे इंटरनेट की दुनिया में जिज्ञासा पूर्ण "मेरा मूलवंश क्या है?" जैसे प्रश्न भी बेहद आम हो चले हैं। खुद के बारे में थोड़ी खोज-बीन करने के बाद मूल भारत वंशी भारत के प्रति एक जुड़ाव महसूस कर रहे हैं, और बड़ी संख्या में प्रभावित होकर भारत की यात्रा करने अथवा यहाँ पर विकीर्णित होने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। भारतीय फ़िल्मी जगत का भी डायसपोरा में बेहद अहम योगदान रहा है। बॉलीवुड में भारतीय संस्कृति, माहौल, राजनीति जैसे विषयों को बेहद स्पष्टता और उल्लेखनीय तौर पर दिखाया जाता है। कई बार फिल्मों में इतना जीवंत चित्रण किया जाता है कि यह दूर विदेशों में बसे भारत वंशी लोगो को भावनात्मक रूप से भी प्रभावित करता है, और वे लोग भारत से गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं। भारतीय फ़िल्में समाज के हर पहलू को छूने में सफल रही हैं, यह जगत काफी तेज़ी से साथ प्रगति कर रहा है। भारतीय सिनेमा में कुछ ऐसी फिल्मे हैं जो मुख्य रूप से विदेशों में रह रहे भारतीय लोगो को ही समर्पित है। जिससे विभिन्न देशों में फैले भारतीय मूल के लोगो को भारत से व्यक्तिगत सम्बंन्ध स्थापित करने में मदद मिलती है। वे भारत के प्रति और अधिक आकर्षित हो रहे हैं, खास-तौर पर भारतीय गाने दुनिया भर में काफी पसंद किये जा रहे हैं। और त्यौहारों तथा पर्वों के समय इन गानों की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है, यह भी एक कारण है कि त्योहारों पर इतनी भारी संख्या में भारतीय डायसपोरा होता है। उनके भारत आने के लाभ भी हैं भारत पर्यटन और विदेशों से लौटे आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों के कारण आर्थिक रूप से भी तरक्की कर रहा है।
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