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पृथ्वी कई युगों से मनुष्यों और अनेक प्रकार के जीव-जंतुओं तथा पेड़-पोंधो का एकमात्र घर रही है। अपने करोड़ों सालों के विकास चक्र में इसने कई उतार-चढ़ाव देखें हैं। परन्तु आद्योगिक विकास के इस दौर में पृथ्वी अपने सम्पूर्ण इतिहास में पहली बार मानव जनित कारणों से प्रदूषित हो रही है। और ऐसे ही कई कारणों से मानवता को अवगत रखने के लिए 22 अप्रैल को सम्पूर्ण विश्व में पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस तारीख के समय उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम रहता है।
पृथ्वी दिवस की स्थापना 1970 में एक अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन (Gaylord Nelson) द्वारा की गयी थी। आज इस दिवस को सम्पूर्ण विश्व के लगभग 192 देशों में मनाया जाता है। यह पृथ्वी पर सबसे अधिक देशों द्वारा मनाया जाने वाला दिवस है। पृथ्वी दिवस का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण विदों द्वारा आम लोगो को साफ़ और स्वच्छ पर्यावरण की महत्ता को समझाने का होता है। साथ ही इस दिन विश्व में ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) और जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणामों के प्रति भी जागरूकता फैलाई जाती है।
पृथ्वी दिवस पूरे विश्व में सबसे व्यापक स्तर पर मनाया जाने वाला दिन होता है। इस दिन विभिन्न देशों में ढेरों प्रकार की गतिविधियां आयोजित की जाती है। जिनमें लगभग 1 अरब से भी अधिक लोग भाग लेते हैं। 22 अप्रैल 1970 में जब पहला पृथ्वी दिवस आयोजित किया गया, तब विभिन्न समुदायों और वर्ग के लगभग 20 मिलियन अमेरिकी लोगों ने भाग लिया। जो कि तत्कालीन अमेरिकी जनसँख्या का 10 प्रतिशत हिस्सा थी। इस कार्यक्रम का श्रेय अमेरिकी सीनेटर गैलार्ड नेल्सन को जाता है। उनकी इस पहल के परिणाम स्वरूप पर्यावरण संरक्षण आज विश्व के सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक बन सका। और आज यह अनेक देशों में बेहद बड़े पैमाने पर आयोजित किये जाते हैं। इन आंदोलनो के दौरान विश्व भर में वृक्षारोपण किये जाते हैं। पृथ्वी दिवस के उपलक्ष में प्रति वर्ष अलग-अलग प्रकार के विषयों (Theme) को चुना जाता है, जिनके आधार पर विभिन्न देशों में कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। और 2020 में इसकी 50 वीं वर्षगांठ पर पूरे विश्व ने कोरोना महामारी का सामना किया। जिस कारण विश्व के कई देशों में वृक्षारोपण के अभियानों पर रोक लगानी पड़ी। और 2021 में भी इस महामारी का कोई ठोस इलाज न मिल पाने के कारण अनेक प्रकार के अभियानों को टाला ही जा सकता है।
कोरोना महामारी ने पर्यावरण के मद्देनजर अनेक प्रकार के सकारात्मक प्रभाव डाले हैं। अनेक देशों में फैक्ट्रियों के बंद हो जाने से कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी देखी गई, जो कि पर्यावरण सुरक्षा के लिए अच्छा संकेत हैं। गाड़ियों से निकलने वाला धुआं भी पर्यावरण को प्रदूषित करता है। जिस कारण लॉक डाउन में हवा की गुणवत्ता में रिकॉर्ड सफाई देखी गयी। महामारी के फौरन बाद आर्थिक विकास की रफ्तार को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का बड़े पैमाने पर दोहन भी किया गया है। आज पूरा विश्व पर्यावरण से सम्बंधित अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना कर रहा है, और तब यह और अधिक ज़रूरी हो जाता है की हम इस दिन पर और अधिक ध्यान केंद्रित करें। पृथ्वी दिवस सम्पूर्ण मानवता को कुदरत की महत्ता के प्रति जागरूक करता है। यह लोगो को चेताता है की यदि समय रहते प्रकर्ति की तरफ ध्यान नहीं दिया, निकट भविष्य में हमें स्वच्छ हवा, मिटटी और बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ सकता है। साथ ही हमारे पर्यावरण पर प्रदूषण के कुछ असंभावित दुष्परिणाम पड़ सकते हैं। इस पृथ्वी दिवस पर हम सभी अपने स्तर पर कुछ महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
● अपने आस-पास के कुछ निश्चित क्षेत्रों के कूड़े को एकत्र कर सकते हैं। तथा उसके निष्काशन का उचित प्रबंधन कर सकते हैं।
● इस पूरे दिन आप अपना व्यक्तिगत वाहन न लेकर सार्वजनिक वाहनों अथवा साइकिल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
● ऊर्जा बचत हेतु आप पारंपरिक बल्बों के स्थान पर एलईडी या सीएफएल लाइट बल्ब का इस्तेमाल कर सकते हैं।
● अपने घर के निकट किसी बगीचे अथवा खाली पड़े स्थानों में वृक्षारोपण कर सकते हैं।
● पर्यावरण से जुडी किताबें पढ़ें अथवा वीडियो आदि देख सकते हैं जो की आपके ज्ञान को असीमित कर सकते हैं।
● निकटवर्ती नदियों अथवा नालों की स्वच्छता की ज़िम्मेदारी खुद ले सकते हैं।
● अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों में पर्यावरण के संरक्षण हेतु जागरूकता का संदेश दे सकते हैं।