भारतीय व्यंजनों पर कई दशकों से अनगिनत प्रयोग किये गए हैं। जिसके परिणाम स्वरूप आज कई भारतीय व्यंजन पूरी दुनिया में बेहद लोकप्रिय हैं। खासतौर पर “चटनी” के प्रशंसकों की अपनी एक लंबी फेहरिस्त है।
मूलतः चटनी को एक संस्कृत शब्द “चाटने” से लिया गया है, जिसका एक अन्य अर्थ “दो अथवा दो से अधिक चीजों (खाद्य पदार्थों के परिपेक्ष में) का मिश्रण भी होता हैं। “ चटनी किसी भी भोजन के लिए स्वाद उत्प्रेरक का काम करती है। भारत में मुख्य रूप से मसालेदार और चटपटा भोजन पसंद किया जाता है। और चटनी को हर तरह के मसालेदार व्यंजनों के साथ शामिल किया जा सकता है, फलस्वरूप भोजन अधिक स्वादिष्ट और चटपटा लगने लगता है।
भारत में सामान्य रूप से चटनी मसालों और फलों के मिश्रण को सिलबट्टे में पीसकर अथवा ब्लेंडर में ब्लेंड कर बनायी जाती है। भारत में बनने वाली चटनी में मूलतः सौंफ, नमक, अदरक, हींग, जीरा,आम, सेब, नाशपाती, इमली, प्याज, नींबू, टमाटर, किशमिश, सिरका, चीनी, शहद, खट्टे छिलके, लहसुन, अदरक, पुदीना, हल्दी, दालचीनी, सीताफल इत्यादि मुख्य मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ आमतौर पर नारियल, प्याज, इमली, टमाटर, धनिये, पुदीने, आम, लहसुन, मिर्च की चटनी विख्यात है। अधिकतर चटनियाँ कच्चे फलों को सिलबट्टे पर पीसकर बनाई जाती हैं, परंतु कई अन्य प्रकार की चटनियां फलों को पकाकर, पीसकर भी निर्मित की जाती हैं।
चटनी की उत्पत्ति सर्वप्रथम लगभग 500 ईसा पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप में में हुई। तथा गुजरते समय के साथ-साथ रोमन जनसाधारण ने चटनी के बारे में जाना। और इसे लम्बे समय तक संरक्षित करने का उपाय भी खोजा। 1600 के दशक की शुरुआत में चटनी इंग्लैंड के रास्ते फ़्रांस में भी पहुँची, जहां आम की चटनी ने लोकप्रियता पाई। जब चटनी का स्वाद अंग्रेजी भाषी देशों जैसे कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में पहुँचा। तब वहाँ भी इसे बेहद पसंद किया जाने लगा। फिर धीरे-धीरे 17 वीं शताब्दी में इसका विस्तार कैरेबियाई देशों में भी होने लगा। चटनी को अफ़्रीकी देशों में पहुंचाने का श्रेय भारतीय आप्रवासियों को जाता है। जहाँ यह आज भी बेहद लोकप्रिय है। चटनी को औसतन 2 महीनो तक संग्रहित किया जा सकता है। जल्दी खराब होने से बचाने के लिए चटनी में बेंजोइक एसिड रासायनिक परिरक्षक का इस्तेमाल किया जाता है।
चटनी कई मायनों में फायदेमंद साबित हो सकती है। जैसे की:-
● इसे हर प्रकार के भोजन के साथ मिलाकर खाया जा सकता है।
● चटनी कई प्रकार के फलों से मिलकर बनाई जाती है,अतः किसी भी उपलब्ध मौसमी फल से चटनी बनाई जा सकती है।
● चूँकि चटनी कच्चे फलों और मसालों को मिलाकर बनाई जाती है। इस मायने में यह सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है।
● चटपटे और तीखे स्वाद के कारण यह बच्चों और बुजुर्गों में खासा लोकप्रिय है।
● हम बेहद कम संसाधनों के साथ भी स्वादिष्ट चटनी बना सकते हैं।
● चटनी बनाने में बहुत अधिक समय व्यर्थ नहीं होता।
● कुछ खास प्रकार की चटनियाँ चाइनीज़, जापानी, व्यंजनों के साथ बेहद लोकप्रिय हैं जो व्यापार वृद्धि में भी सहायक हो सकती हैं।
● चटनी तैयार करने के लिए बहुत कम ईंधन की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह आमतौर पर कच्ची होती है।
● भोजन प्लेट पर इसे बेहद कम मात्रा में लिया जाता है।
चटनी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे कोई भी व्यक्ति चावल, रोटी के साथ दाल, सब्जी के एक वैकल्पिक भोज्य पदार्थ के रूप में ले सकते हैं। कभी-कभी सिर्फ चावल, दही और चटनी से एक स्वादिष्ट दावत की व्यवस्था हो जाती है। हमारे देश के कुछ हिस्सों में चटनी का बहुतायत में उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए एक पहाड़ी राज्य उत्तराखंड को ले सकते हैं। उत्तराखण्ड एक पहाड़ी राज्य है, जहां विभिन्न किस्म के फल पाये जाते है। यहाँ खुमानी, सेब और सबसे अधिक भांग की चटनी का स्वाद अद्वितीय हैं। बस्तर, छत्तीसगढ़ में तो चीटियों को पीसकर माँसाहारी चटनी बनाई जाती है। हम अनुमान ही लगा सकते हैं, कि वह कितनी कुरकुरी होती होगी।
संदर्भ:
https://bit.ly/3dxrkkP
https://bit.ly/3ujxAUo
https://bit.ly/3sNskrG
https://mamellada.gr/history-of-chutney/
https://bit.ly/3rGzFrC
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र आम की चटनी दिखाता है। (फ़्लिकर)
दूसरा चित्र मेजर ग्रे की चटनी के साथ समोसा दिखाता है। (विकिमेडिया)
तीसरे चित्र में विभिन्न प्रकार के चटनी दिखाती हैं। (विकिमेडिया)