लखनऊ शहर को संदर्भित करने के लिए भव्य, पुरातन, आकर्षक और सुंदर जैसे शब्दों का उपयोग किया जा सकता है। अपनी वास्तुकला की भव्यता, शानदार इमारतों, प्राचीन सुंदरता और पारंपरिक वस्तुओं के लिए जाना जाने वाला लखनऊ शहर उन शहरों में शामिल है, जो वर्तमान समय में आधुनिकीकरण से ग्रसित हैं। आधुनिकीकरण के परिणामों को ओवरहेड (Overhead) तारों की अधिकता से समझा जा सकता है, जो लखनऊ शहर के मन लुभाने वाले स्थलों या दृश्यों में देखे जा सकते हैं। इनकी संख्या इतनी अधिक है, कि जहां भी नजर जाये, वहां ये तार मौजूद होते हैं। ओवरहेड तार न केवल कष्टप्रद हैं, बल्कि लोगों के लिए एक गंभीर खतरा भी उत्पन्न करते हैं। इनसे होने वाले खतरों को देखते हुए 'ओवरहेड वायर फ्री जोन (Overhead Wire Free Zone) के अंतर्गत एक सप्ताह के भीतर इन तारों को हटाया गया है। ओवरहेड तारों को हटाने का यह कार्य लखनऊ सौंदर्यीकरण परियोजना के अधीन है, तथा शहर के अन्य प्रमुख क्षेत्रों में भी इसके लागू होने की उम्मीद है। दूसरी ओर चीनी पतंग मांझा (Chinese Kite Strings) भी लखनऊ के लिए समस्या का कारण बना हुआ है। चीनी मांझा उत्तर प्रदेश मेट्रो (Metro) के लिए एक बड़ी बाधा बन गया है, जिसने 3 वर्षों में 500 से भी अधिक अवरोध उत्पन्न कर विद्युत लाइनों (Lines) को नुकसान पहुंचाया है। इस प्रतिबंधित मांझे या तार में तांबे के साथ-साथ कांटेदार धातु के तारों को मिलाया जाता है, जो उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (Uttar Pradesh Metro Rail Corporation - UPMRC) के ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन (Overhead Electrification - OHE) तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।
इससे ओवरहेड तारें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तथा यात्रा सेवाएं बाधित होती हैं। हालांकि, मेट्रो रेलवे अधिनियम, 2002 के तहत मेट्रो संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए 10 साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन फिर भी इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। पतंगबाजी के इन तरीकों से राहगीरों के गले और आंखों पर गंभीर चोट लग सकती है और जानवरों व पक्षियों के जीवन को भी नुकसान पहुंचता है। मेट्रो की ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन (Electrification) लाइनों में 25,000 वोल्ट या 25 किलोवोल्ट, वोल्टेज (Voltage) की बिजली का प्रवाह होता है, इसलिए यह पतंग उड़ाने वाले के लिए भी अत्यंत घातक हो सकती है। चूंकि शहरीकरण के बढ़ने के साथ-साथ ऊर्जा और बिजली आपूर्ति की मांग बढ़ती जा रही है, इसलिए तारों और विद्युतीकरण के संदर्भ में शहरी नियोजन अत्यंत आवश्यक है। आधुनिक समाज में अपने बहुमुखी उपयोग के कारण बिजली या विद्युत अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। विभिन्न बाधाओं और मानदंडों जैसे कि विश्वसनीयता, अर्थशास्त्र, पर्यावरण, समाज पर प्रभाव आदि को ध्यान में रखते हुए वितरण कंपनियां उपभोक्ताओं को विश्वसनीय तरीके से न्यूनतम लागत के साथ बिजली की आपूर्ति करने का प्रयास कर रही हैं। ओवरहेड वितरण प्रणाली में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में मुख्य बाधा विकसित शहरी क्षेत्रों में खाली स्थानों की अनुपलब्धता है। इसके अलावा पेड़ की शाखाओं के गिरने, भारी हवाओं, बारिश आदि के कारण संवाहकों में शॉर्ट सर्किट (Short circuit) का होना आदि, ओवरहेड वितरण प्रणाली की विफलता के मुख्य कारण हैं।
भूमिगत केबल तंत्र (Underground cable system) इस समस्या का एक अच्छा निवारण हो सकता है। स्थानों की अनुपलब्धता तथा तारों के लगातार टूटने की समस्या के लिए यह एक प्रभावी निवारण है। इनके माध्यम से पर्यावरण पर होने वाले दुष्प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। भूमिगत केबल निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद करते हैं। यह उन क्षेत्रों में अधिक प्रभावी होंगे जहां, भूमि महंगी है, या फिर पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हैं। केबल सामान्य रूप से विद्युतरोधी चालक होते हैं, तथा इसका उपयोग विद्युत के भूमिगत वितरण के लिए किया जाता है। संवाहक को आवरित करने के लिए इन्सुलेशन (Insulation) का उपयोग किया जाता है, जो इसे आस-पास के परिवेश से पृथक करता है। इसमें उच्च प्रतिरोध, उच्च यांत्रिक शक्ति, उच्च स्थायित्व का होना आवश्यक है। भूमिगत केबलों के लाभों की बात करें तो, खराब मौसम के कारण इनके नुकसान की सम्भावना काफी कम होती है। ओवरहेड केबलों की तुलना में भूमिगत केबलें सुरक्षित होती हैं, तथा इन्हें देखभाल की कम आवश्यकता होती है। इनके प्रभाव से आसपास के क्षेत्र में विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र का उत्सर्जन कम होता है। भूमिगत केबल आसमान में उड़ने वाले विमानों या वन्यजीवों के लिए कोई खतरा उत्पन्न नहीं करते हैं। यह आपातकालीन बिजली भार को अवशोषित कर सकते हैं। संचार लाइनों के साथ इनका कोई सम्पर्क नहीं होता है। सड़कों की खाइयों को भरने और दबाने के लिए फुटपाथों पर बड़े पेड़ों को लगाया जाता है, जिससे पर्यावरणीय लाभ प्राप्त होता है। नुकसान की संभावना कम होने के कारण इन तारों को रखरखाव की भी कम आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार भूमिगत केबल तंत्र, ओवरहेड केबल तंत्र का अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/318ypm5
https://bit.ly/30YSCuG
https://bit.ly/2Qm2j4h
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर लखनऊ में ओवरहेड केबल लाइनिंग दिखाती है। (प्रारंग)
दूसरी तस्वीर लखनऊ में ओवरहेड केबल लाइनिंग दिखाती है। (प्रारंग)
तीसरी तस्वीर भूमिगत केबल दिखाती है। (इलेक्ट्रिकल इंडिया)