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भारत में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनके पूर्ण रूप से विद्युतीकरण का दावा किया जाता है, किंतु वास्तव में सच्चाई कुछ और ही है। उदाहरण के लिए भारत सरकार के केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, मध्य प्रदेश के 97.2% गाँवों को 2013 के अंत तक विद्युतीकृत कर दिया गया था, किंतु रात में ली गई देश की सैटेलाइट (Satellite) तस्वीरों के अनुसार, मध्य प्रदेश एक ऐसे राज्य के रूप में सामने आया, जहां के ग्रामीण क्षेत्रों में रात में सबसे कम लाइटें (Light) जलती दिखायी दीं। यह इंगित करता है, कि भले ही घरों को विद्युतीकृत कर दिया गया है, लेकिन विभिन्न कारणों की वजह से अभी तक लोग इस सुविधा का लाभ नहीं ले पाये हैं या इस लाभ को प्राप्त करने के लिए तैयार नहीं हैं। चूंकि, शहरों का लक्ष्य अब एक विकसित स्मार्ट (Smart) शहर बनना है, इसलिए उन्हें अच्छे और कुशल नेटवर्क (Networks) की आवश्यकता है। एक स्मार्ट शहर, मजबूत और विश्वसनीय संचार नेटवर्क पर आधारित होता है तथा यह नेटवर्क विभिन्न अनुप्रयोगों और सेवाओं के लिए आधार भी प्रदान करता है। शहरीकरण निरंतर प्रगति कर रहा है, तथा संयुक्त राष्ट्र के पूर्वानुमान के अनुसार, 2050 तक कुल आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा शहरी होगा। बढ़ते शहरीकरण को पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा दक्षता, यातायात और सेवाओं हेतु एक प्रगतिशील समाधान की आवश्यकता है, और इसलिए जो भी उचित तकनीक शहरों में अच्छे जीवन, कुशल सूचना प्रसंस्करण, बेहतर संचार और शिक्षा आदि में योगदान देती है, उसे अपनाया जाना चाहिए। फाइबर टू द होम (Fiber to the Home – FTTH) परिषद का मानना है, कि शहरों को स्मार्ट शहरों में बदलने के लिए फाइबर ऑप्टिक केबलिंग (Fiber optic cabling) को अपनाना लाभप्रद हो सकता है। फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क व्यापक क्षमता के साथ भविष्य के लिए सबसे अधिक संभावनाएं प्रदान करते हैं। संचार और डेटा (Data) नेटवर्क या योजना निर्माण पर चर्चा करते समय शहरों को कई प्रमुख सिद्धांतों, योजनाओं और मूल्यांकन मानदंडों को ध्यान में रखना चाहिए। इन आवश्यक मानदंडों में केबल सिस्टम की कार्यक्षमता, सुविधा, नम्यता आदि शामिल हैं। नई तकनीक के साथ एक स्मार्ट बिजली वितरण अवसंरचना शहर के निवासियों की सुरक्षा को बढ़ा सकती है, और विद्युत संचरण (Transmission) में होने वाले घाटे की बेहतर निगरानी और ट्रैकिंग (Tracking) में मदद कर सकती है। भारत में बिजली संचरण और वितरण के दौरान लगभग 23 प्रतिशत विद्युत का नुकसान होता है, तथा यह नुकसान दर पूरी दुनिया में सबसे अधिक है। भारत के राज्य अब घनी आबादी वाले शहरों में बिजली संचरण और वितरण को स्वचालित और बेहतर बनाने के लिए नवीन तकनीकों को अपना रहे हैं। इस कार्य को सरकार की चौबीसों घंटे "सभी के लिए बिजली" योजना और एकीकृत बिजली विकास योजना कार्यक्रम के साथ किया जा रहा है। आसिया ब्राउन बोवरी (Asea Brown Boveri - ABB) ने भारतीय राज्यों केरल और पश्चिम बंगाल को सुरक्षित और स्मार्ट बिजली समाधान प्रदान किया है। ABB के पूर्वनिर्मित, बिजली वितरण केंद्र (Power Distribution Centers - PDCs) या ई-हाउस (eHouse) बिजली के वितरण को सुरक्षित करते हैं, और लगभग 30 प्रतिशत तक की बचत लाते हैं।
ई-हाउस अनुकूलित, पूर्व-निर्मित मॉड्यूलर विद्युत सबस्टेशन (Modular Power Substations) हैं, जिनका परीक्षण पहले ही कर लिया जाता है। ई-हाउस कम स्थान घेरते हैं, तथा इन्हें बनाने में समय और संसाधनों की भी कम आवश्यकता होती है। सार्वजनिक सुरक्षा की दृष्टि से ई-हाउस अत्यधिक उपयोगी हैं। शहर की चुनौतियों का सामना करने के लिए बनाए गये बिजली वितरण केंद्र को स्थापित करने में अपेक्षाकृत (पारंपरिक सबस्टेशनों की तुलना में) कम समय लगता है तथा यह जोखिम कारकों को बहुत कम कर देता है। भारत की सबसे पुरानी विद्युत कम्पनी, कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉर्पोरेशन (Calcutta Electric Supply Corporation - CESC Ltd) ने घनी आबादी वाले शहरों में विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग विशिष्टताओं के साथ ABB के बिजली वितरण केंद्र को अपनाया है। विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूर्व-निर्मित बिजली वितरण केंद्र को व्यस्त शहरों के निकट आसानी से स्थापित किया जा सकता है। अक्सर उन क्षेत्रों में जहां एक नये सबस्टेशन का निर्माण खाली स्थान और समय के कारण संभव नहीं हो पाता, वहां पूर्व-निर्मित बिजली वितरण केंद्र को कुछ ही घंटों में शुरू किया जा सकता है। सभी शहरों में चौबीसों घंटे विश्वसनीय बिजली प्रदान करने हेतु एक स्थायी तरीके से विश्वसनीय बिजली वितरण की आवश्यकता को पूरा करने के लिए नवीन समाधानों की आवश्यकता होगी।