Post Viewership from Post Date to 20-Mar-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2209 1705 0 0 3914

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

चार धाम यात्रा विशेष, और जानिए कैसे चारधाम यात्रा प्रभावित कर रही है हमारे पर्यावरण को?

लखनऊ

 20-03-2021 10:33 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति
हिन्दू धर्म को दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म होने का महान गौरव प्राप्त है। हिन्दू ग्रंथों में लगभग 4000 साल पुरानी घटनाओं का इतिहास वर्णित है। इस धर्म का पूरी दुनिया में लगभग 900 मिलियन लोग अनुसरण करते है। जिसमें से लगभग 95 प्रतिशत लोग भारत में निवास करते है। हिन्दू धर्म पूरी दुनिया में अपने विभिन्न त्योहारों और धार्मिक यात्राओं के कारण सुविख्यात है। इन सभी यात्राओं में से चार धाम यात्रा सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।
हिंदुओं के चार सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम तथा द्वारका के भ्रमण को चार धाम यात्रा के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है की अपने जीवन काल में चार धाम की यात्रा करने वाला व्यक्ति मरणोपरांत मोक्ष को प्राप्त होता है। चलिए जानते है इन पावन तीर्थ स्थलों के बारे में।
1. बद्रीनाथ बद्रीनाथ भारत के पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित एक हिन्दू धार्मिक स्थल है। यह हिंदुओं के प्रमुख चार धामों में से एक पावन धाम है। बद्रीनाथ मंदिर भगवान बद्रीनारायण को समर्पित है। जो की भगवान विष्णु का ही एक रूप है, इसी कारण इस स्थान को बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है। बद्रीनाथ में भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मूर्ति के दुर्लभ दर्शन होते है तथा यहाँ पर भक्तजन तप्त कुंड में स्नान भी कर सकते है।
2. जगन्नाथ पुरी जगन्नाथ ओडिशा के पूर्वी तट पर स्थित हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से एक धाम है। जगन्नाथ भगवान विष्णु के कृष्ण रूप को समर्पित है। जगन्नाथ का शाब्दिक अर्थ जगत का पालन करने वाला होता है। जगन्नाथ भगवान विष्णु के कृष्ण रूप को समर्पित है। इसे धरती का बैकुंठ भी समझा जाता है। जगन्नाथ पुरी की भव्य रथ यात्रा विश्व विख्यात है।
3. रामेश्वरम हिंदुओं के पावन धामों में से एक रामेश्वरम एक शंखाकार द्वीप है, जो कि तमिलनाडु के रामनाथपुरम में समुद्र किनारे बसा हुआ है। हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा होने के कारण यह बेहद अद्भुद और आलौकिक स्थान प्रतीत होता है। यहाँ भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है। मान्यताओं के अनुसार इस शिवलिंग की स्थापना प्रभु श्री राम द्वारा की गयी थी। लंका में प्रवेश हेतु श्री राम ने यहीं से राम सेतु का निर्माण करवाया था। रामेश्वरम प्रसिद्ध चार धामों में से एक पावन धाम है।
4. द्वारका द्वारका चार प्रमुख धामों में से एक है। ऐसी मान्यता है की यह नगरी जो की भारत के गुजरात राज्य में स्थित है, को भगवन श्री कृष्ण द्वारा स्थापित किया गया था। प्राचीन काल में इसको कुशस्थली नाम से भी जाना जाता था। ऐसा माना जाता है की इस पावन नगरी का एक हिस्सा अभी भी समुद्र में दबा हुआ है, जो की कृष्णा की देह छोड़ने के पश्चात् समुद्र में समाहित हो गया। यह भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है, और दूर दूर से श्रद्धालु श्री कृष्ण द्वारा निर्मित इस पावन नगरी के दर्शन करने हेतु आते हैं।
बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को छोटा चार धाम के नाम से जाना जाता है। परंतु कई बार लोग भूलवश इन धामों को मुख्य चार धाम समझ लेते है। चारधाम यात्रा चित्त को शांत कर देने वाली होती है, चार धाम यात्रा में भक्ति और कुदरत का अद्भुद समावेश देखने को मिलता है। यह यात्रा भगवान के प्रति निष्ठां को और बढ़ा देती है, तथा यह यात्रा बेहद रोमांचक भी होती है।
यात्रा के रोमांच के साथ-साथ कई बार यात्रियों को वृहद परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। खासकर की छोटी चारधाम यात्रा जिसमे भूस्खलन, बाढ़, तथा अन्य प्रकार की प्राकर्तिक आपदाओं का सामना भी करना पड़ता है। पहाड़ो में चार धाम की यात्रा को सुलभ बनाने और अन्य विकास कार्यों हेतु लाखों पेड़ों को काटा जाता है। तथा पहाड़ों और छटाओं से भी छेड़-छाड़ की जाती है, जिसका परिणाम भूस्खलन जैसी भयंकर आपदाएँ होती है। और पर्यावरण को भी एक बड़े स्तर पर आहत करती हैं। उत्तराखंड में छोटा चार धाम यात्रा एक प्रमुख स्थान रखती है, तथा निश्चित ही राजकोष में वृद्धि करती है।
हर साल लाखों श्रद्धालु चार धाम यात्रा हेतु उत्तराखंड में आते है। इसी कारण यहाँ पर सड़कों के चौड़ीकरण की आवश्य्कता पड़ रही है। परन्तु सही योजना के अभाव में पहाड़ों को विस्फोटकों से उड़ाया जा रहा है। जो न केवल इन्हे कमज़ोर कर रहा है, बल्कि हमारे हिमालयों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। असंतुलित विकास को देखते हुवे हिमालयी क्षेत्रों का तापमान अनिश्चित रूप से बढ़ने की संभावना है। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि पहाड़ो को संतुलित नहीं किया गया तो हम अपने 70-80 प्रतिशत हिमालयों को अगले 60-70 वर्षों में खो देंगे।

संदर्भ:
https://en.wikipedia.org/wiki/Char_Dham
https://bit.ly/3s6zNl9
https://bit.ly/2OOlVxu
https://bit.ly/3eZHd66
https://bit.ly/3s4EzzR

चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र चार धाम का स्थान दर्शाता है। (विकिपीडिया)
दूसरी तस्वीर में बद्रीनाथ मंदिर को दिखाया गया है। (पिक्सहिव)
तीसरी तस्वीर में जगन्नाथ पुरी मंदिर दिखाया गया है। (फ़्लिकर)
चौथी तस्वीर में रामेश्वरम मंदिर को दिखाया गया है। (विकिपीडिया)
अंतिम चित्र में द्वारकाधीश मंदिर को दिखाया गया है। (विकिपीडिया)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए देंखे, मोटो जी पी से जुड़े कुछ हास्यपूर्ण और मनोरंजक क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:27 AM


  • लखनऊ के एक वैज्ञानिक थे, अब तक मिले सबसे पुराने डायनासौर के जीवाश्म के खोजकर्ता
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:35 AM


  • लखनऊ की नवाबी संस्कृति को परिभाषित करती, यहां की फ़िज़ाओं में घुली,फूलों व् इत्र की सुगंध
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:24 AM


  • रक्षा क्षेत्र में, पूरे देश को आत्मनिर्भर बना रहा है, उत्तर प्रदेश
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:28 AM


  • शारदा सहायक परियोजना की नहरों ने, लखनऊ क्षेत्र के कई किसानों की मदद की है
    नदियाँ

     18-12-2024 09:28 AM


  • पक्षी जीवन से भरा हुआ है लखनऊ का प्राकृतिक परिदृश्य
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:32 AM


  • क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ से बचाव करना, आज के समय है आवश्यक
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:36 AM


  • आइए, कुछ सबसे लोकप्रिय यूरोपीय क्रिसमस गीतों का आनंद लें
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:47 AM


  • राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर जानिए, लखनऊ के ग्रीन होम्स, कैसे कर रहे हैं, ऊर्जा की बचत
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:32 AM


  • आइए जानें, भारत में सड़क सुरक्षा की स्थिति तथा सबसे ज़्यादा सड़क दुर्घटना वाले शहरों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id