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बीसवीं सदी की शुरुआत में, श्रोताओं और यहां तक कि दस्तानगोई की कमी के साथ यह कला गुम हो गई। अब महिलाएं इस बड़े पैमाने पर पुरुष वर्चस्व वाले पेशे को वापस ला रही हैं। ऐसे ही उर्दू में भारत के सबसे प्रसिद्ध दास्तानगो (कहानीकार) में से एक फ़ोजिया हैं, उनकी कला में रोमांच, जादू और युद्ध की कहानियों का मौखिक वर्णन शामिल है। 21 वीं सदी में, फौज़िया महिलाओं के एक छोटे समूह में से हैं, जो कला के रूप को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वहीं स्वच्छंद लेखिका और रेडियो (Radio) कलाकार 39 वर्षीय पूनम गिरधारी ने पांच साल पहले अपनी रुकावटों को दूर किया और कई मौकों पर फौजिया के साथ दास्तानगो का मंच साझा किया। कहानी सुनाने के अपने चाह से प्रेरित होकर, फौजिया और गिरधनी ने पुरुष वर्चस्व वाले इस पेशे में आने वाली सभी बाधाओं को तोड़ दिया।
महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिन लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों का भी संबोधन करता है। दुनिया भर में महत्वपूर्ण गतिविधियां देखी जाती है क्योंकि लोग एकत्रित हो कर महिलाओं की उपलब्धियों या महिलाओं की समानता के लिए एकत्र हो कर जश्न मनाते हैं। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2021 का विषय ‘चुनौती को चुनो’ है। इस साल इस विषय का उद्देश्य ये है कि ‘एक चुनौतीपूर्ण दुनिया एक सतर्क दुनिया है और चुनौती से बदलाव आता है’। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस लगभग एक सदी से भी अधिक समय पहले, पहली बार 1911 में एक सभा के आयोजन के साथ शुरू हुआ था। बैंगनी, हरा और सफेद अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रंग हैं, जिसमें बैंगनी न्याय और प्रतिष्ठा का प्रतीक है, हरा आशा का प्रतीक है और सफेद शुद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। 1908 में संयुक्त राष्ट्र (United Kingdom) में महिला सामाजिक और राजनीतिक संघ (Women's Social and Political Union) से इन रंगों की उत्पत्ति हुई थी।