खो चुकी दास्तानगोई की कला का महिलाओं द्वारा किया गया पुनरुत्थान

अवधारणा II - नागरिक की पहचान
08-03-2021 10:02 AM
Post Viewership from Post Date to 13- Mar-2021 (5th day)
City Readerships (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2187 83 0 2270
* Please see metrics definition on bottom of this page.
खो चुकी दास्तानगोई की कला का महिलाओं द्वारा किया गया पुनरुत्थान
जैसे ही प्रज्ञा शर्मा ने झाँसी की शक्तिशाली रानी की वीरता का वर्णन करना शुरू किया, वह अपने शब्दों और हाव-भावों से 1857 के पहले स्वतंत्रता आंदोलन की कल्पना रचती है। 29 वर्षीय अर्थशास्त्री अपने कथन के माध्यम से उन दिनों के हर पल को जीवंत करती है। अपने दर्शकों को ध्यान में रखते हुए सफलता का स्वाद चखने के बाद, ये उत्तर प्रदेश की पहली महिला आधुनिक 'दास्तंगो' (कहानी कहने वाली) बन गई हैं। दास्तानगोई की काल्पनिक कला (कहानी कहने) ने हाल के वर्षों में भारत में एक पुनरुत्थान देखा है, लेकिन यह काफी हद तक एक पुरुष-प्रधान व्यवसाय बना हुआ है। दास्तानगोई उर्दू में कहानी कहने की एक ऐसी खोई हुई कला है, जिसे एक या दो लोगों द्वारा किया जाता है, इसकी उत्पत्ति 13 वीं शताब्दी में पूर्व-इस्लामिक अरब में हुई थी, और यह दिल्ली और लखनऊ के कुलीनों और आम लोगों में बेहद लोकप्रिय थी।
लखनऊ में, दास्तानगोई सभी वर्गों में लोकप्रिय थी, और नियमित रूप से चौक, निजी घरानों और अफीम खानों सहित विभिन्न स्थानों पर इसका प्रदर्शन किया जाता था। प्रारंभिक दास्तानगो द्वारा जादू, युद्ध और रोमांच की कहानियों को बताया जाता था, और अन्य कहानियों जैसे कि अरब नाइट्स (Arabian Nights), रूमी (Rumi) जैसे कहानीकारों और पंचतंत्र जैसी कहानी को लोगों को सुनाते थे। 14 वीं शताब्दी से, फ़ारसी (Persian) दास्तानगोई ने इस्लामी पैगंबर मुहम्मद के पैतृक चाचा अमीर हमजा के जीवन और रोमांच पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया। दास्तानगोई की भारतीय धारा ने इन कथाओं में प्रवंचना जैसे कहानी के तत्वों को जोड़ना शुरू कर दिया।
बीसवीं सदी की शुरुआत में, श्रोताओं और यहां तक कि दस्तानगोई की कमी के साथ यह कला गुम हो गई। अब महिलाएं इस बड़े पैमाने पर पुरुष वर्चस्व वाले पेशे को वापस ला रही हैं। ऐसे ही उर्दू में भारत के सबसे प्रसिद्ध दास्तानगो (कहानीकार) में से एक फ़ोजिया हैं, उनकी कला में रोमांच, जादू और युद्ध की कहानियों का मौखिक वर्णन शामिल है। 21 वीं सदी में, फौज़िया महिलाओं के एक छोटे समूह में से हैं, जो कला के रूप को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वहीं स्वच्छंद लेखिका और रेडियो (Radio) कलाकार 39 वर्षीय पूनम गिरधारी ने पांच साल पहले अपनी रुकावटों को दूर किया और कई मौकों पर फौजिया के साथ दास्तानगो का मंच साझा किया। कहानी सुनाने के अपने चाह से प्रेरित होकर, फौजिया और गिरधनी ने पुरुष वर्चस्व वाले इस पेशे में आने वाली सभी बाधाओं को तोड़ दिया।
महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिन लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों का भी संबोधन करता है। दुनिया भर में महत्वपूर्ण गतिविधियां देखी जाती है क्योंकि लोग एकत्रित हो कर महिलाओं की उपलब्धियों या महिलाओं की समानता के लिए एकत्र हो कर जश्न मनाते हैं। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2021 का विषय ‘चुनौती को चुनो’ है। इस साल इस विषय का उद्देश्य ये है कि ‘एक चुनौतीपूर्ण दुनिया एक सतर्क दुनिया है और चुनौती से बदलाव आता है’। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस लगभग एक सदी से भी अधिक समय पहले, पहली बार 1911 में एक सभा के आयोजन के साथ शुरू हुआ था। बैंगनी, हरा और सफेद अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रंग हैं, जिसमें बैंगनी न्याय और प्रतिष्ठा का प्रतीक है, हरा आशा का प्रतीक है और सफेद शुद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। 1908 में संयुक्त राष्ट्र (United Kingdom) में महिला सामाजिक और राजनीतिक संघ (Women's Social and Political Union) से इन रंगों की उत्पत्ति हुई थी।

संदर्भ :-
https://en.wikipedia.org/wiki/Dastangoi
https://www.bbc.com/news/world-asia-india-36648490
https://www.internationalwomensday.com/about
https://bit.ly/3cpoQVt

चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में उत्तर प्रदेश की पहली महिला आधुनिक दास्तंगो दिखाई गई है। (प्रारंग)
दूसरी तस्वीर में प्रसिद्ध महिला आधुनिक दास्तंगो को दिखाया गया है।
तीसरी तस्वीर में आधुनिक दास्तंगो को दिखाया गया है।

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.

D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.

E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.