मोहनलालगंज (Mohanlalganj) लखनऊ जिले की एक तहसील है जो चारबाग़ रेलवे स्टेशन से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है। यहां के अधिकांश लोग कृषि से ही अपना जीवन यापन करते है और बेहद सरलता व स्नेह पूर्वक रहते हैं। मोहनलालगंज में कई प्रमुख धार्मिक स्थल है और यहां समय-समय पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है। इनमे से श्री काशीश्वर महादेव मंदिर, कालेबीर बाबा मंदिर, दुर्गा मंदिर, शिवालय मंदिर, हनुमान और शिव मंदिर, माँ कालेश्वरी देवी मंदिर, अहिनिवार धाम और भवरेश्वर महादेव, आदि मन्दिर प्रमुख हैं। मोहनलालगंज में काशीश्वर महादेव मंदिर की महीमा सबसे अधिक मानी जाती है। 19 वीं सदी में निर्मित, यह मंदिर वास्तुशास्त्र (Vastu Shastra) का एक आदर्श उदाहरण है। वास्तुशास्त्र घर, भवन तथा मन्दिर निर्माण करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसे आधुनिक समय के विज्ञान आर्किटेक्चर (Architecture) का प्राचीन स्वरुप माना जा सकता है। भारत में उत्पन्न होने वाली यह वास्तुकला एक पारंपरिक भारतीय प्रणाली है। हमारे दैनिक जीवन में जिन वस्तुओं का उपयोग होता है उन वस्तुओं को किस प्रकार से रखा जाए वह भी वास्तु है। इसमें डिजाइन दिशात्मक संरेखण के आधार पर बनाये जाते हैं। वास्तुशिल्प के लिहाज से श्री काशीश्वर महादेव मंदिर एक अद्भुत मंदिर है। इसमें आठ 'शिवालय' हैं और मुख्य परिसर के शीर्ष पर एक आयताकार आधार पर एक गुंबद है जिसमें उल्टे कमल की स्तूपिका (Inverted Lotus Finial) और धातु के कलश (Metallic Pinnacle) हैं।
परंतु प्राचीन काशीश्वर मंदिर एक समय में बहुत समृद्धशाली हुआ करता था, जो आज धीरे-धीरे शहरीकरण और जंगलों की चपेट में आकर खण्डहर की अवस्था में खड़ा है। इस मंदिर का निर्माण 1860 में राजा काशी प्रसाद साहिब ने करवाया था। तेजी से बढ़ते शहरीकरण ने पहले ही मंदिर के परिसर के अंदर की दीवारें तोड़ दी हैं। मंदिर एक धीमी रफ्तार से अपने पतन की ओर अग्रसर है। ऐतिहासिक महत्व के बावजूद ये मंदिर जर्जर होने की कगार पर है, हालांकि काशीश्वर मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण - एएसआई (ASI-Archaeological Survey of India) संरक्षित है परंतु फिर भी प्रशासनिक उदासीनता और स्थानीय लोगों द्वारा की जाने वाली अनुचित गतिविधियां इस ऐतिहासिक धरोहर को हानि पहुंचा रही है। वर्तमान समय में इस ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण करने के साथ मानवीय गतिविधियों पर नियंत्रण करना भी आवश्यक है।
इसके इतिहास के बारे में बात करे तो मोहनलालगंज तालुका में एक गांव है सिसेंदी, जिसके शासक काशी प्रसाद थे। यह गांव कई वर्षों पहले राजपूत क्षत्रियों के एक ठाकुर शिव सिंह द्वारा स्थापित किया था। हालांकि, श्री काशीश्वर महादेव मंदिर को काफी बाद में बनवाया गया था। इस मंदिर का इतिहास औपनिवेशिक शासन काल का है, जो अंग्रेजों से भारत की आजादी के पहले युद्ध 1857 की क्रांति से जुड़ा है। क्रांति के दौरान जब सभी हिंदू, मुस्लिम, मुगल एकजुट होकर अंग्रेजों के विरूद्ध युद्ध लड़ रहे थे, उस समय तत्कालीन सिसेंदी के शासक काशी प्रसाद ने तथाकथित विद्रोह को रोकने में मदद करने के लिए अंग्रेजों का साथ देने का निर्णय लिया। अंततः भारतीय हार गए और दिल्ली में अंतिम भारतीय सम्राट, मुगल राजा बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) को म्यांमार (Myanmar) के रंगून (Rangoon) में निर्वासित कर दिया गया, और कई अन्य भारतीयों को मार दिया गया। काशी प्रसाद को अंग्रेजों के प्रति उनकी वफादारी के लिए पुरस्कृत किया गया और बड़े पैमाने पर सम्पदा प्रदान की गई। क्रांति के बाद काशी प्रसाद ने मंदिर का निर्माण करवाया और 1926 में रानी सुभद्रा कुंवर साहेब (Subhadra Kunwar Saheb) ने इसका पुर्ननिर्माण करवाया।
आज यह मंदिर अपनी भव्यता को खो बैठा है, और बस खण्डहर ही शेष रह गया है। एक ऐतिहासिक महत्त्व रखने वाला यह मंदिर अब एक स्थानीय मंदिर बन गया है, जिसके प्रवेश द्वार पर एक बड़ी सब्जी मंडी लगती है। यह लोगों के कब्जे का शिकार हो रहा है। जिस कारण अब इसे ज्यादातर समय बंद ही रखा जाता है। यदि आप इस मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो जल्दी किजिये क्योंकि जल्द ही यह मंदिर खण्डहर में बदल सकता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3e4RXj2
https://bit.ly/3sNRXbc
https://bit.ly/3q9uQpR
https://bit.ly/3qikEM8
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र मोहनलालगंज में काशीश्वर महादेव मंदिर को दर्शाता है। (यूट्यूब)
दूसरी तस्वीर मोहनलालगंज में काशीश्वर महादेव मंदिर को दिखाती है। (यूट्यूब)
तीसरी तस्वीर मोहनलालगंज में काशीश्वर महादेव मंदिर को दिखाती है। (यूट्यूब)