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विभिन्न प्रकारों में मौजूद है, भारतीय नान

लखनऊ

 01-03-2021 09:56 AM
स्वाद- खाद्य का इतिहास
नारियल की खुशबू वाली पेशवरी नान हो, या मीट से भरा कीमा, एक भारतीय भोजन कभी भी ताजा, फूली हुई नान के बिना पूरा नहीं होता, जिसे लगभग सभी प्रकार की ग्रेवी (Gravy) के साथ खाया जा सकता है। यह एक ऐसा ब्रेड (Bread) या रोटी है, जिसका इतिहास बहुत शानदार है, तथा वर्षों से इसे बनाने के तरीकों में अनेकों परिवर्तन हुए हैं। इस अद्वितीय और लोकप्रिय फ्लैटब्रेड (Flatbread) की उत्पत्ति भारत में हुई है। इसका वर्णन सबसे पहले 1300 ईस्वी में इंडो-फ़ारसी (Indo-Persian) कवि अमीर खुसरो (Amir Khusrau) द्वारा किया गया था। इसे बनाने के लिए सफेद आटा, खमीर, अंडे, दूध, नमक, चीनी आदि का उपयोग किया जाता है। नान को अनेकों तरीकों से विकसित किया गया। इसका पहला विकास तंदूरी रोटी के रूप में, जबकि दूसरा कुल्चे के रूप में देखने को मिला। दिल्ली के शाही दरबार में भी नान मूल रूप से, दो संस्करणों में बनायी गयी, जिनमें नान-ए-तुनुक (Naan-e-tunuk - हल्की ब्रेड) और नान-ए-तनुरी (Naan-e-tanuri – तंदूर में पकायी गयी ब्रेड) शामिल थे। इन सभी सामग्रियों के मिश्रण को मुख्य रूप से तंदूर में पकाया जाता था। कई भारतीय गांवों में सार्वजनिक तंदूर हुआ करते थे, जिसे गांव के बीच में रखा जाता था, ताकि सभी स्थानीय लोग इसमें अपने नान सेंक सके। भारत में आज नान की कई किस्में मौजूद हैं, जिनमें कुल्चा (इसमें ब्रेड के अंदर काजू, बादाम, किशमिश, आलू, या प्याज आदि को भरा जाता है), लहसुनी नान (इसमें मक्खन और लहसुन का प्रयोग किया जाता है) आदि शामिल हैं। कश्मीरी और पेशवरी नान भी नान के अन्य लोकप्रिय प्रकार हैं, जिन्हें मांस, फल और सूखे फलों के साथ बनाया जाता है।
नान की उत्पत्ति के बारे में कई बातें बतायी जाती हैं, कुछ का कहना है कि, इसका निर्माण मिस्र (Egypt) से खमीर के आने के बाद, एक प्रयोग के परिणामस्वरूप हुआ। लेकिन कई लोग मानते हैं, कि इसका आविष्कार मुगलों और फारसियों द्वारा किया गया। इसका नाम 'भोजन' के लिए उपयोग किये जाने वाले फारसी शब्द से हुआ है। माना जाता है, कि 1520 के दशक में भारत में मुगल युग के दौरान, यह शाही लोगों का पसंदीदा नाश्ता हुआ करता था, जिसे कबाब या कीमा के साथ परोसा जाता था। समय के साथ रसोइयों द्वारा भोजन के साथ कई प्रयोग किये जाते रहे हैं, तथा नान भी उन्हीं में से एक है। अपने विकास के शुरूआती समय में नान आम जनता के लिए नहीं था। यह केवल शाही और अमीर परिवारों के भोजन में ही शामिल हुआ करता था, हालांकि, लगभग 1700 के दशक के अंत तक नान आम आदमी तक पहुंच गया था। सीमित लोगों तक पहुंच होने के कारण नान बनाने की कला बहुत कम लोग जानते थे। ब्रिटेन (Britain) में 20 वीं शताब्दी से पहले नान उपलब्ध नहीं था, किंतु जब 1926 में वीरास्वामी (Veeraswamy - ब्रिटेन का सबसे बड़ा भारतीय रेस्तरां) लंदन में खुला तो, उनकी खाद्य सूची में नान को भी शामिल किया गया। यहां नान के सामान्य प्रकार के अलावा अनेकों प्रकार (पनीर नान, लहसुन और मसालेदार नान आदि) मौजूद हैं। इस प्रकार नान दूसरे देशों में भी लोकप्रिय होने लगा।
नान ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) के इतिहास में भी अपना स्थान बनाया है। 2009 में पांच लोगों के एक समूह के साथ एश्टन-अंडर-लिन (Ashton-under-Lyne) के इंडियन ओशिएन रेस्तरां (Indian Ocean restaurant) ने एक घंटे में 640 नान ब्रेड तैयार किये। 2015 में ब्रिटिश फायरफाइटर्स (Firefighters) द्वारा 26-किलो की नान तैयार की गयी। इसी प्रकार 2016 में कनाडा (Canada) की लोबला कंपनी लिमिटेड (Loblaw Companies Ltd) द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी नान ब्रेड का रिकॉर्ड दर्ज किया गया, जिसका वजन 32 किलोग्राम तथा लंबाई और चौड़ाई क्रमशः 4.96 मीटर और 1.26 मीटर थी।

संदर्भ:
https://bit.ly/3r4xOgT
https://bit.ly/3q2Ex9B
https://bit.ly/3kx1xN5
https://bit.ly/2MC3b3o
https://bit.ly/3bR4Hr3

चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र नान और तंदूर को दर्शाता है। (flicker)
दूसरी तस्वीर नान को दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
आखिरी तस्वीर में तंदूर में नान बनाते हुए दिखाया गया है। (विकिमीडिया)


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