कबाब एक ऐसा व्यंजन है, जिसे पूरे भारत में अत्यधिक पसंद किया जाता है। इसे बनाने के लिए मीट को बारीक पीसकर या काटकर अन्य सामग्रियों जैसे सब्जियों और मसालों के साथ मिलाकर सीक पर आग में सेंका जाता है। कुछ कबाब व्यंजनों को ओवन (Oven) में एक पैन (Pan) पर भी पकाया जाता है। कबाब के लिए पारंपरिक मांस अक्सर मटन या मेमना (भेड़ का बच्चा) होता है, लेकिन क्षेत्रीय व्यंजनों में बकरी, चिकन, मछली आदि का भी इस्तेमाल किया जाता है। कबाब की उत्पत्ति मध्य पूर्वी व्यंजनों से हुई है तथा दुनिया भर में इसके कई लोकप्रिय प्रकार मौजूद हैं।
भारत में, कबाब को अक्सर वैभव का प्रतीक माना जाता है, जिसका मुख्य कारण शायद यह है कि, देश के कई लोकप्रिय कबाब विकल्पों की शुरूआत शाही रसोई से हुई। भारत में शमी कबाब, कबाब का एक बेहद लोकप्रिय प्रकार है। माना जाता है, कि शमी कबाब को मुगल युग के दौरान भारत में पेश किया गया था, जिसे मध्य पूर्व के रसोइयों द्वारा शाही रसोई में बनाया गया। इसे लोकप्रिय रूप से एक स्नैक (Snack) के रूप में खाया जाता है। इसे बनाने के लिए मुख्य रूप से मांस और चने की दाल का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें पहले मसालों के साथ पकाया जाता है, और फिर बहुत बारीक पीसकर अंडे और ताजा जड़ी बूटियों के साथ मिलाकर, पेट्टीस (Patties) का आकार देकर हल्का तला जाता है। यह एक स्वादिष्ट कबाब विकल्प है, जो तैयार करने में तो आसान है ही, साथ ही स्वादिष्ट भी है। कबाब का अन्य लोकप्रिय प्रकार गलौटी (Galouti) कबाब है, जिसे अवध की परंपरा माना जाता है। इसका इतिहास बहुत दिलचस्प है। यह कबाब मूल रूप से लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह के लिए बनाया गया था। हालांकि बुढ़ापे के कारण उनके दाँत निकल गये थे, लेकिन मांस खाने की इच्छा नहीं गयी थी। उनकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए शाही रसोई में एक विशेष प्रकार का कबाब तैयार किया गया, जिसमें कच्चे पपीते के साथ मटन या अन्य प्रकार के मांस को अच्छी तरह मसालों में मिलाकर बारीक पीसा गया। इस पूरे मिश्रण को पेट्टीस का आकार देकर एक बर्तन में फ्राई (Fry) किया गया। इस कबाब को मुंह में तुरंत घुलने और लाजवाब स्वाद के कारण विशेष रूप से जाना जाता है। कबाब बनाने की विधियों का वर्णन अनेकों महत्वपूर्ण कार्यों में किया गया है। उदाहरण के लिए मानसोलासा (Manasollasa) के संस्कृत और तमिल साहित्य में एक नुस्खा बताया गया था, जिसके अनुसार मीट को फलों के रस में मिलाया जाता था और सीक का उपयोग करके कोयले में पकाया जाता था। इसी प्रकार से इब्न सय्यर अल-वार्रैक (Ibn Sayyar al-Warraq) की 10 वीं शताब्दी की बगदादी कुकबुक (Baghdadi cookbook), 'किताब अल-तबीख (Kitab al-Tabikh) में भी कबाब का वर्णन मिलता है। इनके अलावा मोरक्को (Moroccan) के यात्री इब्न बतूता (Ibn Battuta) के अनुसार, दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ईस्वी) के दौरान शाही घरों में कबाब परोसा जाता था, तथा आम लोग नाश्ते में नान के साथ इसका आनंद लेते थे।
भारत से कबाब की रेसिपी (Recipe) अन्य देशों में भी फ़ैली तथा यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अत्यधिक लोकप्रिय हो गया। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आज कबाब के विभिन्न प्रकार देखने को मिलते हैं। इंडोनेशिया (Indonesia) में सीक वाले ग्रिल्ड (Grilled) मीट को 'सटे' (Satay) के नाम से जाना जाता है। यह कबाब मसाला व्यापार के माध्यम से इंडोनेशिया आयी, जिसका मूल अरब (Arab) माना जाता है। इसे मूंगफली की चटनी और ककड़ी के साथ परोसा जाता है। इसे बनाने के लिए मांस के पतले टुकड़ों को अलग-अलग मसालों के साथ पकाया जाता है, और फिर नारियल के पत्तों के सूखे तनों पर पारंपरिक रूप से सीक की मदद से पकाया जाता है। यूनान (Greece) में कबाब का सॉवलाकी (Souvlaki) प्रकार अत्यंत प्रचलित है। इसे भी सीक की मदद से पकाया और खाया जाता है, तथा आलू के साथ परोसा जाता है। इसे बनाने के लिए मांस के छोटे टुकड़ों और कभी-कभी सब्जियों का उपयोग किया जाता है। होमर (Homer), अरस्तूफेन्स (Aristophanes) और अन्य महान यूनानी लेखकों ने अपने कार्यों में इसका उल्लेख किया है। जापान में कबाब का प्रसिद्ध प्रकार 'याकोटोरि' (Yakitori) या ग्रिल्ड चिकन है। इसे यहां टारे (Tare – मीठा और नमकीन सॉस (Sauce)) या शियो (Shio – सामान्य नमकीन सॉस) के साथ परोसा जाता है। लेबनान (Lebanon) में कबाब का शीश टॉक (Shish taouk) प्रकार अत्यंत प्रसिद्ध है, जिसे दही, नींबू के रस, या टमाटर प्यूरी (Puree) में मैरीनेट (Marinated) किये गये चिकन के टुकड़ों से बनाया जाता है। फिलीपींस (Philippines) में कबाब का इसॉ (Isaw) प्रकार अत्यंत प्रसिद्ध है। इसी प्रकार से तुर्क (Turk), चीन (China), स्पेन (Spain),पेरू (Peru) आदि देशों में भी कबाब के प्रचलित रूप देखने को मिलते हैं। कबाब के इन सभी प्रकारों की महत्वपूर्ण विशेषता यह है, कि इनका अपना विशिष्ट स्वाद और पहचान है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3r4aLCT
https://bit.ly/3uHpOEP
https://bit.ly/3kxHk9W
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में लखनऊ में कबाब बनाते दिखाया गया है। (प्रारंग)
दूसरी तस्वीर पारंपरिक अरबी कबाब दिखाती है। (पिक्साबे)
तीसरी तस्वीर में कबाब को दिखाया गया है। (स्नेपोगोट)