सीसा मानव जाति द्वारा खोजी गई सबसे प्रारंभिक धातुओं में से एक है, जिसका उपयोग 3000 ईसा पूर्व से प्रारंभ हो गया था। प्राचीन रोमियों (Romans) ने पानी के पाइप और लिनिंग बाथ्स (lining baths) बनाने के लिए सीसे का उपयोग किया था, प्लंबर (plumber) (जो पानी के पाईप को जोड़ने का कार्य करते हैं) शब्द लैटिन (Latin) शब्द प्लंबम (plumbum) से लिया गया है, जिसका अर्थ है लीड (lead)। प्लंबम (Plumbum) शब्द से 'प्लम्ब बॉब' या 'साहुल' और 'प्लम लाइन' (plumb line) जैसे शब्दों की उत्पत्ति भी हुयी है, इनका उपयोग सर्वेक्षण में किया जाता है और सीसा, Pb. का रासायनिक प्रतीक भी है। मध्यकाल में, सीसे का इस्तेमाल छत, ताबूतों, गढ्ढों, टंकियों, मूर्तियों और आभूषणों के लिए किया जाता था। सीसे का एक और प्रारंभिक उपयोग चर्च (Church) की खिड़कियों में रंगीन कांच के टुकड़ों को जोड़ने वाली स्ट्रिप्स (strips) के रूप में भी किया गया था। सीसे के कुछ गुण, अर्थात् इसका लचीलापन और संक्षारण क्षमता और सूक्ष्म रिसाव का प्रतिरोध करने की क्षमता इसे पाइप के निर्माण के लिए विशेष रूप से अच्छी सामग्री बनाती हैं।
आधारभूत धातुओं के रूप में सीसे की कीमत कम ही नहीं है, बल्कि इसके कई व्यावहारिक उपयोग भी हैं। सीसे की बैटरी लगभग 150 साल पुरानी हैं और यह तब से सुरक्षित और किफायती ऊर्जा के स्रोत के रूप में हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बनी हुयी है, टेलीकॉम (Telecom), ऑटोमोटिव्स (Automotive), रेलवे, इन्वर्टर (Inverter), यूपीएस (UPS), सौर ऊर्जा आदि में इसका उपयोग शामिल हैं। घरेलू प्राथमिक सीसा उत्पादन का एक प्रमुख हिस्सा (लगभग 80 प्रतिशत) सीसा बैटरी के लिए उपयोग किया जाता है, जबकि शेष का उपयोग मिश्र, अर्ध, रसायन पर किया जाता है। भारत में अनुमानत: 1।2 मिलियन टन सीसे की खपत होती है, जो द्वितीयक सीसा और आयात को कवर करता है। भारत लीड जिंक डेवलपमेंट एसोसिएशन (Lead zinc development association (ILZDA)) कार्यकारी निदेशक, एल पुगेंथेन्थी कहते हैं सीसा बैटरीज इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (Electric Mobility), इलेक्ट्रिक स्कूटर (Electric Scooters), ई-रिक्शा (e-rickshaws), ई-बाइक (e-bikes) आदि में नए स्थान छू रही हैं। ऊर्जा संरक्षण का 300 GWh में बहुत बड़ा बाजार है, जहाँ सीसा बैटरी इसका एक अभिन्न अंग है। सरकार द्वारा हाल ही में घोषित नीतिगत उपायों से आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric vehicles) की निरंतर वृद्धि होगी। समय की जरूरत है कि देश भर में बड़े पैमाने पर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (Charging infrastructure) तैयार किया जाए। इसी तरह, जवाहरलाल नेहरू सोलर एनर्जी मिशन (Jawaharlal Nehru Solar Energy Mission) के तहत भारी निवेश से ऊर्जा के भंडारण की मांग में वृद्धि होगी, जहां सीसा बैटरी प्राकृतिक विकल्प हैं।
सीसा अविश्वसनीय रूप से उपयोगी धातु है, लेकिन यह मनुष्यों के लिए उतनी ही विषाक्त भी है। 20 वीं शताब्दी की वैज्ञानिक प्रगति से पहले इसकी शक्तिशाली विषाक्तता का पता चल गया था - सौंदर्य प्रसाधन, पेंट, पाइप और गैसोलीन सहित विभिन्न उत्पादों में सीसा का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। नई यूनिसेफ की रिपोर्ट (UNICEF report) के अनुसार, भारत में 275 मिलियन से अधिक बच्चे सीसा विषाक्तता के गंभीर प्रभाव से पीड़ित होते हैं। सीसा विषाक्तता प्रारंभ में पायी जाने वाली और सबसे अधिक ज्ञात व्यावसायिक बीमारी में से एक है। यह मुख्यत: तब पहचानी गयी जब इसके लक्षणों को ऐतिहासिक श्रमिकों और दासों में देखा गया। औद्योगिक क्रांति धातुओं द्वारा होने वाली महामारी का कारण बनी, उस अवधि के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों से आग्रह किया गया कि वे विशिष्ट जीर्ण सीसा विषाक्तता से संबंधित लक्षणों और अंग परिवर्तन का अध्ययन करें।
20 वीं सदी के दौरान, स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जन जागरूकता और कानून को बढ़ावा देने हेतु व्यावसायिक और पर्यावरणीय विषाक्तता की स्वीकार्यता को बढ़ावा दिया गया। हाल ही में, उप-नैदानिक प्रभावों की पहचान ने सीसा विषाक्तता की अवधारणा और इस स्थिति की ओर दवा के दृष्टिकोण को संशोधित किया है। आजकल, विकसित देशों में सीसा विषाक्तता बहुत कम देखी जाती है, लेकिन यह अभी भी कुछ क्षेत्रों में एक प्रमुख पर्यावरणीय समस्या का प्रतिनिधित्व कर रही है। दुनिया भर में 800 मिलियन बच्चों में से जो लीड विषाक्तता से पीड़ित हैं, उनमें से लगभग आधे दक्षिण एशिया में हैं।
सीसा विषाक्तता तब होती है जब यह आवश्यकता से अधिक मात्रा में हमारे शरीर में प्रवेश कर देता है। सीसा युक्त धूल-मिट्टी में सांस लेने से सीसा विषाक्तता हो सकती है। सीसा बेहद ही सूक्ष्म होता है आप इसे न तो देख सकते हैं और ना ही इसका स्वाद या गंध महसूस कर सकते हैं। सीसा आमतौर पर पेंट में होता है। यह आम स्त्रोत हैं जिनकी वजह से बच्चों में सीसा विषाक्तता की समस्या हो सकती है। अन्य स्त्रोत जैसे हवा, पानी और मिट्टी हैं। इसके अलावा व्यस्क जो बैटरी बनाने का काम करते हैं, घर बनाते हैं या गाड़ी संभालने वाली दुकान में काम करते हैं, उनको भी सीसा विषाक्तता की परेशानी हो सकती है। सीसे की तीव्र विषाक्तता पेट में दर्द, वजन घटाने, उल्टी और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकती है, बच्चों में इसके जोखिम के अधिकांश मामले पुराने और कम मात्रा में हैं। बच्चों में सीसा विषाक्तता की निरंतर वृद्धि न्यूरोलॉजिकल विकास (Neurological development) और संज्ञानात्मक शिथिलता के साथ-साथ लगातार असामाजिक और अपराधी व्यवहार से जुड़ा हुआ है।
यूनिसेफ (UNICEF) की द टॉक्सिक ट्रुथ: चिल्ड्रन एक्टिविटीज़ टू लेड पॉल्यूशन टू लेड पॉल्यूशन अंडरमाइंस ऑफ़ जेनरेशन ऑफ़ पोटेंशियल (The report - The Toxic Truth: Children’s exposure to lead pollution undermines a generation of potential) के नाम से सामने आई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के करीब 80 करोड़ बच्चों के खून में जहरीली सीसा धातु का स्तर 5 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर (Micrograms per dl) या उससे भी ज्यादा है। यूनिसेफ की इस रिपोर्ट में बच्चों की जितनी संख्या बताई गई है उसके मुताबिक दुनिया का हर तीसरा बच्चा इस जहर के साथ जी रहा है। यूनिसेफ ने आगाह किया है कि खून में सीसा धातु के इतने स्तर पर चिकित्सीय उपचार की जरूरत होती है। इस रिपोर्ट की दूसरी सबसे बड़ी चौंकानें वाली बात ये भी है कि इस जहर का मजबूरन सेवन करने वाले आधे बच्चे दक्षिण एशियाई देशों में रहते हैं।
सीसा विषाक्तता एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है जिसे यदि अनदेखा कर दिया जाए तो यह घातक भी हो सकता है। यह लीड बिल्ड-अप (build-up) के महीनों और वर्षों में होता है, और विशेष रूप से छोटे बच्चे इसके प्रभावों के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। डब्लूएचओ (WHO) के अनुसार, सीसे के उच्च स्तर के संपर्क में आना लाखों बच्चों के स्वास्थ्य और बौद्धिक विकास के लिए हानिकारक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लीड एक्सपोज़र (Lead Exposure) को व्यवहार संबंधी समस्याओं और अपराध और हिंसा में वृद्धि से जोड़ा गया है। बड़े बच्चों को सीसा विषाक्तता के गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं, जिसमें बाद के जीवन में गुर्दे की क्षति और हृदय रोगों का अधिक जोखिम होता है। एक अध्ययन के अनुसार, रक्त में सीसा लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और इसके अंगों और ऊतकों तक ऑक्सीजन ले जाने की उनकी क्षमता को सीमित कर देता है, जिससे एनीमिया (Anemia) हो सकता है। यह हड्डियों को भी प्रभावित कर सकता है, कैल्शियम (Calcium) की मात्रा को घटा देता है।
सीसा धातु को कामगारों और उनके बच्चों और आसपास की बस्तियों के लिये जोखिम पैदा किये बिना ही सुरक्षित तरीके से पून: निर्मित किया जा सकता है। इसके अलावा लोगों को सीसा धातु के खतरों के बारे में जानकार व जागरूक बनाकर उन्हें और उनके बच्चों को इसके खतरों से सुरक्षित रखने के लिये सशक्त बनाया जा सकता है। इसमें निवेश के भी कई फायदे हैं। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि प्रभावित देशों की सरकारें सीसा धातु की मौजूदगी की निगरानी रखने और उसकी जानकारी मुहैया कराने की प्रणालियां विकसित करने के लिये एकजुट रुख अपनाएं। इसके अलावा रोकथाम व नियंत्रण के उपाय लागू करें।
संदर्भ:
https://bit.ly/3aGORj4
https://bit.ly/3dCgaNE
https://bit.ly/37BODbi
https://bit.ly/3qHLSMV
https://bit.ly/3sg959p
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर पेंसिल और सीसा ब्लॉक दिखाती है। (flicker)
दूसरी तस्वीर में हाथ और बाल श्रम को दिखाया गया है। (flicker)
तीसरी तस्वीर में लीड वायर दिखाया गया है। (विकिमीडिया)