विश्व के इतिहास को पलटकर देखा जाए तो इतिहास में कई ऐसी महामारियां फैली हैं जिन्होंने किसी महायुद्ध से भी ज्यादा तबाही फैलाई है। इन्हीं महामारियों का एक रूप कोविड-19 (COVID-19) वर्तमान समय में फैला है, जिससे विश्व के करोड़ों लोग प्रभावित हुए। इसने संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था को स्थगित कर दिया है। लोगों के बीच संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए अपनायी जाने वाली रणनीतियों ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने में सहायता की है, समाज में इस प्रकार की व्यवस्था न सिर्फ कोरोना वरन् अन्य संक्रामक बिमारियों जैसे इन्फ्लूएंजा (influenza) के रोकथाम में भी सहायक सिद्ध हुयी है। इन रणनितियों में हाथों की स्वच्छता, खांसते समय मुंह ढंकना, संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना आदि शामिल है।
डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कोविड-19 रोग के लिए प्रभावी निवारक उपाय के रूप में व्यक्तिगत स्वच्छता (फेस मास्क (Face Mask) का उपयोग करना, गर्म पानी और साबुन से हाथ धोना, अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र (Alcohol-Based Hand Sanitizer) का उपयोग करना आदि), सामाजिक दूरी और वस्तुओं को सावधानीपूर्वक खरीदने और बैचने के निर्देश दिए गए हैं। कोविड-19 महामारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सामाजिक दूरदर्शिता और व्यक्तिगत स्वच्छता उपायों की आवश्यकता होती है। महामारी के प्रसारण के रोकथाम हेतु चलाई जा रही मुहिम में प्रत्येक व्यक्ति की सक्रिय भागीदारी निभाने हेतु जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। भारत में सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं के विस्तार की आवश्यकता है, ताकि समाज द्वारा स्वयं ही सामाजिक दूरियों की सराहना की जाए और लोग स्वेच्छा से ही इसका अनुसरण करने लगे। जिससे लोगों की जीविका में लचीलापन बना रहे और उनकी अनुकूलन क्षमता में सुधार हो, ताकि वे न केवल वर्तमान महामारी से बल्कि अन्य सभी अप्रत्याशित संक्रमणों से खुद को बचा सकें और रोगियों को देखभाल प्रदान कर सकें।
हाल में एक शोध में उत्तरी चीन (North China), दक्षिणी चीन (Southern China), हांगकांग (Hong Kong), कोरिया गणराज्य (Republic of Korea), जापान (Japan), ताइवान (Taiwan), कनाडा (Canada), संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) (United States of America (US)), इंग्लैंड (England), फ्रांस (France) और जर्मनी (Germany) में इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रसारण का अध्ययन किया गया। जिसमें 2014-15 और 2019-20 में फैले इन्फ्लूएंजा वायरस का आंकलन किया गया। इसमें मौसमी इन्फ्लूएंजा के आंकड़ों को देश और क्षेत्र के अनुसार संक्षेपित किया गया। जिसमें पाया गया कि 2014-15 की तुलना में 2019-20 में कोविड-19 के चलते मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों की संख्या में काफी कमी आयी थी। हालाँकि, अमेरिकी देशों या यूरोपीय देशों में ऐसा नहीं था। जिसका प्रमुख कारण कोविड-19 महामारी के चलते स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार में आए परिवर्तन हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों में अप्रत्याशित कमी आई है। इन्फ्लूएंजा श्वसन तंत्र का एक संक्रामक रोग है, जिसकी शुरुआत खांसी, जुकाम और हल्के बुखार के साथ होती है। इन्फ्लूएंजा वायरस (Virus) हमारे शरीर में नाक, आंख और मुंह से प्रवेश करता है। इसके अलावा इस वायरस से पीड़ित व्यक्ति के खांसने और छींकने पर अन्य व्यक्ति संपर्क में आता है तो यह वायरस फैल सकता है।
यह सर्वविदित है कि कोविड-19 की शुरूआत चीन से हुयी थी चूंकि हांगकांग, जापान, और ताइवान भौगोलिक रूप से चीन के समीप हैं, इसलिए चीन में कोविड-19 के प्रकोप का प्रभाव अन्य देशों की तुलना में इन देशों की जनता पर अधिक तीव्रता से पड़ा। हांगकांग, जापान और ताइवान ने कोविड-19 प्रकोप के बढ़ते ही इन क्षेत्रों के नागरिकों ने मास्क, हाथ की स्वच्छता, और यहां तक कि स्वत: ही सामाजिक दूरी सहित कई निवारक उपाय किए। नतीजतन, इन एहतियाती उपायों ने इन्फ्लूएंजा संचरण को रोकने में मदद की हो सकती है। न केवल भौगोलिक अंतर बल्कि सांस्कृतिक अंतर भी स्व-सुरक्षात्मक आदतों को बढ़ाते हैं। उदाहरण के लिए, हालांकि फेस मास्क के उपयोग से वायरस संक्रमण से सुरक्षा के परिणाम अनिश्चित है, एशियाई क्षेत्रों में लोग कोविड-19 के प्रकोप से पहले भी सार्वजनिक रूप से मास्क पहनते थे, जबकि यह प्रथा अमेरिकी या यूरोपीय देशों में नहीं देखी गयी है। इसके अलावा, पारस्परिक दूरी, गले मिलना या हाथ मिलाना पश्चिमी संस्कृतियों में आम बात है जबकि एशिया की संस्कृति इससे भिन्न है। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव संक्रामक बिमारियों के प्रसारण पर पड़ता है।
भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में 2018 में संक्रमण के कारण 80 लोगों की मृत्यु हो गयी थी। बरसात के मौसम में कई रोगाणुओं और वैक्टरों की वृद्धि होती है, जो हवा के माध्यम से अपना प्रसारण बढ़ाते हैं। बुनियादी स्वच्छता का पालन करने, सही भोजन करने और अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखने से, कई संक्रमणों को दूर किया जा सकता है। सामान्यत: मच्छर जनित बीमारियों की संख्या मानसून के दौरान बढ़ जाती है क्योंकि इस दौरान का तापमान मच्छरों के लिए अनुकूलित वातावरण प्रदान करता है। मच्छर अक्सर स्थिर पानी में प्रजनन करते हैं और इस दौरान वे मानव रक्त पर पीते हैं। मादा एनोफिलीज (Female Anopheles) और एडीज (Aedes) जैसे मच्छरों के काटने से मनुष्यों में डेंगू (Dengue), मलेरिया (Malaria), चिकनगुनिया (Chikungunya) और जीका (Zika) जैसे वायरल संक्रमण हो जाते हैं। मच्छरों से होने वाली बीमारियों से लखनऊ शहर बुरी तरह प्रभावित होता है, 2019 में लखनऊ में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को एडीस एजिपी (Aedes aegypti) के लार्वा मिले थे। एडीज एक डेंगू वेक्टर है जो डेंगू वायरस को प्रसारित करता है। 2019 में लखनऊ में डेंगू का व्यापक विस्तार हुआ था।
पिछले 70 वर्षों से, चिकित्सक संक्रामक रोगों जो मुख्यत: बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी के कारण होते हैं, के उपचार हेतु जीवाणुरोधी एजेंटों के रूप में जानी जाने वाली दवाओं की सलाह दे रहे हैं। हालांकि, इन दवाओं का उपयोग अब इतना सामान्य हो गया है कि कुछ रोगाणुओं ने स्वयं को इनके अनुकूलित कर दिया हैं और इन दवाओं का विरोध करना शुरू कर दिया है। यह संभावित रूप से खतरनाक है क्योंकि इससे कुछ बीमारियों के लिए प्रभावी उपचार की कमी हो गयी है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, संयुक्त राज्य में हर साल कम से कम 2 मिलियन लोग रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी बैक्टीरिया (Antimicrobial bacteria) से संक्रमित हो जाते हैं। परिणामस्वरूप लगभग 23,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर), या दवा प्रतिरोध तब होता है जब बैक्टीरिया, कवक, परजीवी और वायरस सहित रोगाणु दवा से प्रभावित होना बंद कर देते हैं। इस प्रकार के जोखिम से बचने के लिए हमेशा चिकित्सक द्वारा निर्धारित कोर्स (Course) को पूरा करें, भले ही बिमारी के लक्षण कम हो गए हों। यदि इसे पूरा ना किया जाए तो प्रारंभिक चरण में सबसे कमजोर रोगाणु तो मर जाते हैं किंतु दूसरे प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए जीवित बच जाते हैं। जो आगे चलकर रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के रूप में पनपते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3u2qVhU
https://bit.ly/3bbIOSN
https://bit.ly/3qt6ys2
https://bit.ly/2N3Fj97
https://bit.ly/2NcFhvA
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र COVID-19 दिखाता है। (unspalsh)
दूसरी तस्वीर में हैंड सैनिटाइज़र (hand sanitizer) दिखाया गया है। (unspalsh)
तीसरी तस्वीर में मादा एडीज एल्बोपिक्टस (aedes albopictus) मच्छर को दिखाया गया है। (पिक्सिनो)
आखिरी तस्वीर एंटीमाइक्रोबियल (Antimicrobial) प्रतिरोध को दर्शाती है। (विकिमीडिया)