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पुरुषों द्वारा शेविंग करना कब और कैसे शुरू हुआ

लखनऊ

 09-02-2021 12:45 PM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य
किसी भी पुरुष के चेहरे पर दाढ़ी उसे मर्दाना, रौबदार, ताकतवर और विशिष्ट दिखने में मदद करती है। दाढ़ी कई लोगों पर बहुत अधिक आकर्षक लगती है। अब बात चाहे विलियम शेक्सपीयर (William Shakespeare) की हो या अब्राहम लिंकन (Abraham Lincoln) और अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) जैसे सुपरस्टार की, सभी की एक समय पर पहचान इनकी दाढ़ी रही है। वैज्ञानिक शोध बताते है कि दाढ़ी शरीर में सक्रिय टेस्टोस्टेरोन (testosterone) के कारण बढ़ती है। दाढ़ी बढ़ने की क्षमता पुरुषों में शारीरिक परिपक्वता का संकेत है, यह स्वाभाविक रूप से उम्र और बढ़ी हुई मर्दानगी के साथ जुड़ा हुआ है। कई बार देखा गया है कि दाढ़ी वाले पुरुषों को क्लीन-शेव (clean-shave) वाले पुरुषों की तुलना में अधिक आकर्षित पाया गया है। इतिहास के दौरान, दाढ़ी के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण व्यापक रूप से सांस्कृतिक-धार्मिक परंपराओं और वर्तमान युग की फैशन प्रवृत्तियों जैसे कारकों पर निर्भर करता आया है। कुछ धर्मों (जैसे कि इस्लाम, ईसाई, यहूदी और सिख धर्म) ने पुरुषों के लिए पूरी तरह से दाढ़ी को आवश्यक माना है। दाढ़ी को एक आदमी के पौरुष के रूप में देखते हैं, जोकि ज्ञान, शक्ति, यौन कौशल और उच्च सामाजिक स्थिति जैसे गुणों को दर्शाती हैं।
लेकिन एक ओर जहां यह विशेषता साबित होती है तो दूसरी ओर किन्हीं परिस्थितियों में दाढ़ी आदमी को बहुत बड़ी मुसीबत में भी डाल सकती है। अक्सर देखा गया है कि दाढ़ी वाले पुरुषों से लोग डर जाते है, कई बार विषम परिस्थितियों में दाढ़ी वाले इंसान को ही अपराधी भी समझ लिया जाता है। दाढ़ी वाले पुरुषों को अक्सर अधिक क्रोधी, आक्रामक और अपराधी के रूप में देखा जाता है। भले ही उस व्यक्ति में इन सभी लक्षणों में से कोई न हो। परंतु कई अन्य संस्कृतियों में दाढ़ी रखना आधिकारिक तौर पर अनिवार्य नहीं माना जाता है। दाढ़ी अस्वच्छता, असभ्य, खतरनाक अवगुण का प्रतीक भी मानी जाती है। यहां तक कि कोरोना वायरस के इस दौर में भी सुरक्षा को देखते हुये चेहरे पर दाढ़ी रखना जोखिम भरा माना गया है क्योंकि दाढ़ी रखना संक्रमण के जोखिम को बढ़ा देता है। महामारी के इस दौर में स्वास्थ्य कर्मियों का दाढ़ी रखना एक मुसीबत बन गया है। क्योंकि N95 मास्क (N95 Mask) कर्मियों के चेहरों के लिए कस्टम फिट होते हैं और दाढ़ी रखने से ये ठीक से फिट नहीं हो पाते। कोरोनो वायरस श्वसन की बूंदों (droplets) के माध्यम से फैलता है, और ये श्वसन की बूंदों आमतौर पर सतहों पर, लोगों के हाथों पर, यहां तक कि हवा में भी पायी जा सकती हैं। एक व्यक्ति जिसकी दाढ़ी हो, कोरोनो वायरस के लिये एक वाहक का कार्य कर सकता है, जो संभवतः ही आपके मुंह या नाक में जा सकता है और आपको बीमार कर सकता है। इसका मतलब है, यदि आप अपने दाढ़ी मूंछ रखी है तो आपको स्वच्छता का विशेष ध्यान देना होगा या कोरोनो वायरस से बचने के लिये शेविंग (shaving) ही कराना सही होगा। यदि आप धार्मिक महत्व की वजह से अपनी दाढ़ी मूंछ नहीं हटा सकते तो आपको स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
सभी धर्मों में शेविंग को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं जैसे की हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म में पुजारियों को बालों का त्याग करते हुये देखा गया है, ईसाई धर्म में ननों (nuns) द्वारा भी सिर के बालों का त्याग किया जाता है। ये उनके सांसारिक फैशन को त्यागने का प्रतीक माना जाता है। हिंदुओं में, एक बच्चे के जन्म के बालो को मुंडवा देना एक धार्मिक मान्यता है। इस्लाम में सुन्नी वर्ग में भी जबड़े और गाल से दाढ़ी हटा देना एक पाप के रूप में गिना जाता है। शिया विद्वानों के अनुसार, दाढ़ी की लंबाई मुट्ठी की चौड़ाई से अधिक नहीं होनी चाहिए। शेविंग करने के इतिहास को देखे तो हम पाते है कि दाढ़ी बनाने का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि मनुष्य के अस्तित्व में होने का है। यह पाषाण कालीन सभ्यता से चला आ रहा है। हर काल में दाढ़ी को अलग-अलग अंदाज में देखा गया है।
प्राचीन इतिहास में शेविंग 30,000 ईसा पूर्व की प्राचीन गुफा चित्रों में अक्सर दाढ़ी के बिना पुरुषों को चित्रित किया जाता हैं, जिससे पता चलता है की उस समय में भी लोग अनचाहे बालों को हटा देते थे जिसके लिये वे धारदार पत्थर का उपयोग करते थे, जिन्हें जरूरतों के हिसाब से अलग अलग आकारों में ढाल लिया जाता था। इसके अलावा दो सीपियों को मिला कर उन्हें चिमटी का रूप दे दिया जाता था, जिससे अनचाहे बालों को हटाया जा सके। फिर धीरे-धीरे आया नया जमाना। जहां समय तेज रफ्तार से चलने लगा और दाढ़ी बनाने के लिए नई-नई चीजों का आविष्कार होने लगा जैसे- रेजर (Razor)। 3000 ईसा पूर्व तक भारत और मिस्र में तांबे के रेजर का उपयोग दिखा जाने लगा। मिस्र के लोगों द्वारा दाढ़ी और सिर का मुंडन करवाने का एक रिवाज था जो जो सिकंदर महान के शासनकाल के दौरान 330 ईसा पूर्व में यूनानियों और रोमियों द्वारा अपनाया गया था। मिस्रवासियों को शरीर की स्वच्छता का एक व्यक्तिगत जुनून था, उन्होंने अपनी दिनचर्या में शेविंग को दैनिक कार्य के रूप में जगह दी जोकि एक प्रथा बन गई। मिस्र में पुजारियों का मानना था कि शरीर में बाल होना एक शर्मनाक बात है जो हमें अशुद्ध बनाते है। शरीर के बालों को हटाने का एक और कारण यह भी था कि बाल रहित होने से लोगों को शरीर के विभिन्न संक्रमणों और बीमारियों से मुक्ति मिलती थी। 3000–332 ईसा पूर्व में प्राचीन मिस्र के रईसों ने अपने सिर का मुंडन करवाया था। हालांकि, कुछ महान पुरुष दिव्यता के संकेत के रूप में कृत्रिम दाढ़ी पहनते हैं। 2900-500 ईसा पूर्व में मेसोपोटामिया के शासकों और कुलीनों ने दाढ़ी रखी थी, जो उनकी मर्दानगी और ताकत का संकेत थी। 800 ई.पू.-600 ई. तक प्राचीन यूनानियों को अपनी दाढ़ी पर गर्व था। उस समय पूरी दाढ़ी बढ़ाना उच्च स्थान और ज्ञान का प्रतीक थी। ग्रीक (Greek) के लोग केवल शोक के समय अपनी दाढ़ी काटते थे। 400–300 ईसा पूर्व में अलेक्जेंडर द ग्रेट (Alexander the Great) ने अपने सैनिकों को लड़ाई से पहले शेविंग करने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि लड़ाई में दाढ़ी से दुश्मनों द्वारा पकड़े जाने का जोखिम बना रहता था। 50 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर (Julius Caesar) ने अपनी दाढ़ी के बाल उखाड़ दिए थे, और कई रोमन पुरुषों ने भी इस रिवाज का पालन किया था। रेजर सभी रोम के निवासियों द्वारा प्रयोग में लिए गए औजारों में से एक था। आधुनिक इतिहास में शेविंग
मध्य युग में पुरुषों की आदतों के आधार पर दाढ़ी रखने का फैशन शुरू हो गया, अंग्रेजी राजा हेनरी VII और हेनरी VIII की दाढ़ी थी, फ्रेंच राजघरानों के कई सदस्यों द्वारा भी दाढ़ी रखने का प्रचलन शुरू किया गया था। 1769 में एक फ्रांसीसी नाई जीन-जैक्स पेरेट (Jean-Jacques Perret) ने सुरक्षा को देखते हुये एक लकड़ी के हत्थे वाले रेजर ब्लेड को बनाया और इस प्रकार उस्तरे का आविष्कार हुआ। 1800 में ये स्टील (steel) से बने उस्तरे व्यापक रूप से लोकप्रिय थे। जिसने लोहे से बने उस्तरे को हर शेव से पहले घिसने की समस्या से छुटकारा दिलाया था। चीजें धीरे-धीरे बदलने लगी और साल 1895 में किंग जिलेट (Gillette) ने पहला डिस्पोजबल सेफ्टी रेजर ब्लेड (disposable safety razor blade) बनाया। इस रेजर के साथ बार-बार धार तेज करने जैसी कोई समस्या नहीं थी, इस वजह से धीरे धीरे जिलेट जैसे हर घर की जरूरत बन गया। इन सब के बाद साल 1928 में जेकब शिक (Jacob Schick) ने दुनिया का पहला इलेक्ट्रिक रेजर (electric razor) बनाया। इसके बाद इलेक्ट्रिक रेजर में और भी सुधार होते गये और वर्तमान में ट्रिमर (trimmer) विकसित हुए, आज यह हर घर की पहली पसंद भी है। आज भी पुरुषों की शेविंग में नये- नये विचारों पर काम जारी है।
संदर्भ:
https://news.lvhn.org/fact-or-myth-facial-hair-and-covid-19/
https://en.wikipedia.org/wiki/Beard#Indian_subcontinent
https://www.almanac.com/history-shaving-and-beards
https://moderngent.com/history-of-shaving/
https://en.wikipedia.org/wiki/Shaving
https://www.artofmanliness.com/articles/facial-hair-signal/
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र शेविंग किट को दर्शाता है। (पिक्साबे)
दूसरी तस्वीर समयरेखा शेविंग किट दिखाती है। (प्रारंग)
तीसरी तस्वीर में दाढ़ी शैलियों को दिखाया गया है। (प्रारंग)
अंतिम तस्वीर में शेविंग के पुराने चित्र दिखाए गए हैं। (प्रारंग)


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