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केंद्रीय बजट (budget) 2021 के अनुसार लघु, कुपीर एवं मध्यम उपक्रमों (Micro, small and medium enterprises) (MSMEs) को नये रूप में परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार 50 करोड़ के निवेश (investment) एवं 250 करोड़ की कुल बिक्री (turnover) वाले उपक्रमों को मध्यम, 10 करोड़ तक के निवेश एवं 50 करोड़ से कम कुल बिक्री वाले उपक्रमों को कुटीर, और 1 करोड़ तक के निवेश एवं 5 करोड़ से कम कुल बिक्री वाले उपक्रमों को लघु बताया गया है।
लघु, कुटीर एवं मध्यम उद्यम देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। वे न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर बनते हैं बल्कि कई और लोगों को भी रोज़गार उपलब्ध कराते हैं। लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रमों से समाज के निचले तबकों जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिलती है।
स्माल स्केल इंडस्ट्रीज की परिभाषा में बदलाव किया है। इसके लिए पहले 50 लाख की केपिटल थी, अब उसे 20 करोड़ कर दिया है। टर्न ओवर भी दो करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ कर दिया है। एमएसएमई के लिए 200 करोड़ के ग्लोबल टेंडर रिजर्व करने का फैसला सराहनीय है।टेक्सटाइल क्षेत्र भी में ड्यूटी कम की है। टेक्सटाइल सेक्टर के डेवलपमेंट को मेगा पार्क बनाए जाएंगे एवं नए स्टार्टअप को भी एक साल का टैक्स हालीडे दिया गया है।
यदि यह अपेक्षा की जाती है कि राष्ट्र की अर्थव्यवस्था तेजी से विकास करे तो सरकार को लघु, कुटीर एवं मध्यम उद्योगों पर ध्यान देना ही होगा। इस बार केंद्रीय सरकार ने इन उद्योगों को सहूलियत देने के उद्देश्य से इन के बजट को दोगुना करते हुए आने वाले वित्तीय वर्ष में 15700 करोड रुपयों का आवंटन किया है। जिसने ज्यादातर हिस्सा इमरजेंसी क्रेडिट लाइन स्कीम (Emergency Credit Line Scheme) के तहत मिला है। यह स्कीम लॉकडाउन के बाद कई MSME उद्योगों के पुनरुत्थान के लिए प्रयोग हुई थी। इसके अलावा बजट में इन उपक्रमों के लिये उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रमों को सबसे अधिक राशि आवंटित की गई है। लघु, कुटीर एवं मध्यम इकाइयों के लिए नये तकनीकी केंद्रों की स्थापना के लिए सरकार ने 300 करोड रुपए आवंटित किए हैं। इसके साथ ही लौह एवं लौह रद्दी पर सीमा शुल्क न लगाने से इन उद्योगों को सीधा लाभ पहुंचेगा क्योंकि इसका इन उद्योगों में अधिक प्रयोग होता है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (National Company Law Tribunal) (NCLT) का ढांचा और मजबूत होगा जिससे इन उपक्रमों को विवाद सुलझाने/निपटाने में मदद मिलेगी।
रामपुर जिले के उद्यमियों ने इस बजट का खुशी से स्वागत किया है। उनका मानना है कि स्माल स्केल इंडस्ट्रीज की परिभाषा में बदलाव कर सरकार ने एक अच्छा कार्य किया है। उद्यमी लघु, कुटीर एवं मध्यम उद्योगों के लिए किया गया 200 करोड़ का ग्लोबल टेंडर रिज़र्व (Global Tender Reserve) भी सराह रहे हैं। नए स्टार्टअप (Startup) को दिए गए एक साल के टैक्स होलीडे (Tax holiday) की भी काफी प्रशंसा हो रही है। उद्यमियों का मानना है कि बजट बड़े उद्योगों के लिए कुछ खास नहीं लाया है परंतु छोटे, कुटीर एवं मध्यम उद्योगों को काफी राहत एवं सहूलियत देता नजर आ रहा है। हालांकि यह राहत की बात है कि उद्यमों पर सरकार ने करों का बोझ बहुत कम कर दिया है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए 75 वर्ष से ऊपर की आयु के लोगों के लिए रिटर्न (return) ना भरने का प्रावधान काफी सराहा जा रहा है। इन सब बदलावों से उद्योगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
लघु, कुटीर एवं मध्यम उद्योग भारत जैसे विकासशील देश के लिए रीढ़ की तरह है। यदि सरकार ने इन पर आवश्यक ध्यान दिया और इनका सहयोग किया तो भारत की अर्थव्यवस्था पर बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। नए उद्योगों के लिए उद्यमियों को उचित ट्रेनिंग, वित्तीय सहायता एवं सही दिशा निर्देश देने से इनका विकास संभव है।
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