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कोविड-19 से भी पहले से स्नातक, परास्नातक, उच्चतर शिक्षा के 25% से ज्यादा विद्यार्थी ने दूरस्थ शिक्षा (distance education) का विकल्प चुना। जैसे-जैसे इनकी तादाद बढ़ रही है, उसे देखते हुए दूरस्थ शिक्षा के फायदे नुकसान पर विचार करना जरूरी हो गया है।
क्या है दूरस्थ शिक्षा प्रणाली?
दूरस्थ शिक्षा प्रणाली एक प्रभावी प्रणाली के तौर पर 1975-76 और 2008-2009 में विकसित हुई। पिछले दो दशकों में इस में 10% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। इसके विकास का कारण है इसका सुविधा पूर्वक उपलब्ध होना और रोजगारशुदा लोग अपने कामकाज को जारी रखते हुए अपनी शिक्षा के स्तर को इसके माध्यम से बढ़ा सकते हैं। आज दूरस्थ शिक्षा पारंपरिक 10+10+3 शिक्षा प्रणाली के लिए एक चुनौती बन गई है। उधर शोध के क्षेत्र में स्थिति यह है कि सिर्फ 7% छात्र पारंपरिक रूप से शोध कर रहे हैं, कुल 83 लाख छात्रों में से 86% इन दूरस्थ विश्वविद्यालयों से शोध कर रहे हैं। जब दूरस्थ शिक्षा प्रणाली से शोध की अनुमति यूजीसी (UGC) से नहीं थी, उससे पहले 954 छात्र दूरस्थ विश्वविद्यालयों से शोध कर रहे थे ।
पत्राचार पाठ्यक्रम: फायदे और नुकसान
दूरस्थ शिक्षा के लिए पत्राचार के माध्यम से पढ़ाई की जाती है। इसके कई फायदे हैं-
1. उपस्थिति का झंझट नहीं होता: सबसे बड़ी सुविधा इस पाठ्यक्रम की यही है कि इसे कहीं से और कभी भी कर सकते हैं। रोज कॉलेज में हाजिरी नहीं लगानी पड़ती अपने काम या व्यवसाय के साथ इसे कर सकते हैं।
2. लचीला कार्यक्रम: पत्राचार के छात्रों की सुविधा से ऑनलाइन (online) कक्षाओं में पड़ सकते हैं। यह इसकी सबसे बड़ी विशेषता है।
3. मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय: बहुत से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय हैं जो पत्राचार से पढ़ाई करवा रहे हैं। कुछ मुक्त विश्वविद्यालय हैं और कुछ में नियमित और पत्राचार दोनों माध्यमों से पढ़ाई हो सकती हैं।
4. कम फीस नियमित कक्षाओं के मुकाबले पत्राचार पाठ्यक्रमों की फीस काफी कम होती है। इससे भी लोग आकर्षित होते हैं।
5. पढ़ाई खुद करनी होती है- पत्राचार पाठ्यक्रम की तैयारी विद्यार्थी को खुद करनी होती है। इसलिए इस पाठ्यक्रम को आत्म प्रेरित भी कहा जा सकता है।
पत्राचार कार्यक्रम के कुछ नुकसान भी होते हैं।
1. संकाय और अध्यापक से संपर्क ना होना: सबसे बड़ी समस्या दूरस्थ पाठ्यक्रम में संकाय और अध्यापक से संपर्क ना होना है।
2. पढ़ाई का माहौल ना मिलना: सारी तैयारी परीक्षार्थी को खुद करनी होती है।
3. नौकरी बाजार में इन पाठ्यक्रमों की मान्यता कम होना: क्षेत्रों में पत्राचार पाठ्यक्रम को स्वीकार नहीं किया जाता। वे क्षेत्र जहां उम्मीदवार को उसके व्यावहारिक अनुभव के आधार पर काम पर रखा जाता है, पत्राचार पाठ्यक्रम को मानने नहीं मानते।
4. सीमित पाठ्यक्रम- ऐसे बहुत से पाठ्यक्रम है जो दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में उपलब्ध नहीं है।
5. तकनीक पर निर्भरता- हमेशा इस प्रणाली के विद्यार्थी को तकनीक के सहारे रहना होता है। इसमें काफी अड़चनें आती हैं।
6. तुरंत प्रतिक्रिया (feedback) का अभाव: अपनी तैयारी के बारे में प्रतिक्रिया नियमानुसार मिलती है, तुरंत नहीं मिलती।
भारत के श्रेष्ठ दूरस्थ शिक्षा विश्वविद्यालय:
भारत में 110 दोहरे पाठ्यक्रम वाले विश्व विद्यालय हैं जहां नियमित और दूरस्थ दोनों प्रकार के पाठ्यक्रम की सुविधा है। तमिलनाडु (Tamil Nadu) में सबसे ज्यादा 16 विश्वविद्यालय हैं। इनमें कुछ प्रमुख हैं- इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय नई दिल्ली (Indira Gandhi Open University, New Delhi), सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय गंगतोक (Sikkim Manipal University, Gangtok), यशवंतराव चौहान महाराष्ट्र मुक्त विश्वविद्यालय नासिक (Yashwantrao Chavan Maharashtra Open University, Nashik), सिंबोसिस सेंटर फॉर डिस्टेंस लर्निंग पुणे (Symbiosis Centre for Distance Learning, Pune), नेताजी सुभास मुक्त विश्वविद्यालय कोलकाता (Netaji Subhas Open University, Kolkata), मौलाना आजाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय हैदराबाद (Maulana Azad National Urdu University, Hyderabad) आदि।
बदलते समाज के दूरस्थ शिक्षा प्रणाली और इसका पत्राचार पाठ्यक्रम। फायदे और नुकसान के नापतोल में पढ़ने के बजाय इस विशिष्ट सुविधा के बारे में पूरी जानकारी लेना पहली जरूरत है दिन पर दिन बढ़ती पत्राचार पाठ्यक्रम की लोकप्रियता इसकी उपयोगिता को खुद साबित कर रही है।
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