पंछी सदैव से ही मानव जीवन से जुड़े हुए हैं। हमें ऐतिहासिक रूप से इसके उदाहरण प्राप्त होते रहे हैं प्राचीन मूर्तियों ही नहीं बल्कि पाषाण कालीन गुफा चित्रों में भी हमें पक्षियों का अंकन बड़े पैमाने पर देखने को मिलता है। अभी हाल ही में कई नई अन्वेषित पुरास्थल हमारे समक्ष आए हैं जिनमें पक्षियों के अवशेष बड़े पैमाने में प्राप्त हुए हैं। फ्रांस (France) के लैसकॉक्स (Lascaux) उपस्थित शैल चित्रों में हमें अर्ध मनुष्य और अर्ध पक्षी के अवशेष भी प्राप्त हुए है। मिस्र (Egypt) के सभ्यता में हमें अर्ध पुरुष और अर्थ पक्षी के अवशेष बड़े पैमाने पर मिले हैं। भारत में भी अर्ध पक्षी और अर्ध मनुष्यों का अंकन बड़े पैमाने पर हुआ है। इन सभी बिंदुओं को देखने से एक बात तो सिद्ध होती है की मनुष्य और पक्षियों के बीच एक गहरा रिश्ता ऐतिहासिक रूप से था। पक्षियों को मात्र पक्षी ही ना समझकर एक दैवीय रूप से भी प्रस्तुत किया गया है। फ्रांस से प्राप्त पक्षी और अर्ध मनुष्य की चित्र करीब 15000 ईसा पूर्व से 5000-10000 ईसा पूर्व तक देखा जा सकता है। पक्षी हमारे परिवेश का एक महत्वपूर्ण अंग है यही कारण है कि हमारे मध्य में इनका एक महत्वपूर्ण योगदान देखा जा सकता है।
विष्णु भगवान से जुड़ा हुआ पक्षी गरुड़ है और हम प्राचीन मंदिरों में गरुड़ के पुरुष एवं पक्षी रूप के समायोजन को तथा मात्र पुरुष रूप को देखते हैं। इस प्रकार के मंदिर संपूर्ण भारत में फैले हुए हैं। भारत में ही गरुड़ का सबसे विशालतम प्रतिमा का भी स्थापना किया गया है जो कि भारतीय समाज में पक्षी के महत्ता को प्रदर्शित करता है। गरुड़ के इस प्रतिमा को जटायु प्रतिमा के नाम से भी जाना जाता है। प्रतिमा केरल राज्य के जटायु पारा नामक पहाड़ी पर स्थित है यह पहाड़ी केरल के कोल्लम (Kollam) जिले में स्थित है। मध्य काल के दौरान जहाँगीर के जहांगीरनामा में कई पक्षियों का लघु चित्रण किया गया है जो कि कला के दृष्टिकोण से अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। यही नहीं मुगल काल के दौरान पशुओं के चित्रों में महिलाओं का एवं पुरुषों का संभोग रत चित्रण हमें प्राप्त होता है जो कि कला के पराकाष्ठा को प्रदर्शित करता है इन चित्रों में बाघ के ऊपर कई युगलों का चित्रण तथा ऊंट के ऊपर भी इसी प्रकार का चित्रण हमें देखने को मिलता है।
इनके साथ ही संपूर्ण विश्व में हाल के दिनों में कई चित्रों का ऑक्शन (auction) किया गया जिनमें पक्षियों के चित्र करोड़ों रुपए के वैल्यू (value) के पाए गए। बेबीलोन (Babylon) की सभ्यता के अलावा माया इनका एज़टेक (Aztec), मिस्र, चीन (china) मेसोपोटामिया (Mesopotamia) सिंधु व अनेकों धर्मों में पक्षी एवं पुरुषों के समायोजन को एवं कला के माध्यम से इनके प्रदर्शन को हम भली-भांति देखते आ रहे हैं। यह कला के सभी नमूने हमें प्राचीन सभ्यताओं में हुए तमाम परीक्षणों को प्रदर्शित करने का कार्य करते हैं। पक्षी और मनुष्य एक दूसरे से कला ही नहीं अपितु कई अन्य माध्यमों से जुड़े हुए हैं इन सभी माध्यमों में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण माध्यम है अध्यात्म। पक्षियों को समाज में अध्यात्मिक रूप से जोड़ा गया है और यही कारण है की ईश्वर के साथ ही अनेकों प्रकार के आभासीय जीवों का अंकन किया गया है। भारतीय धर्म ग्रंथों में मात्र विष्णु ही नहीं अपितु चौसठ योगिनी यों में वर्णित कई योगिनी यों को पक्षियों के साथ ही अंकित किया गया है।
संदर्भ
https://web.stanford.edu/group/stanfordbirds/text/essays/Bird_Art.html
https://bit.ly/3qRuO6W
https://bit.ly/37sZyTl
https://www.exoticindiaart.com/article/nature/
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में जटायु पृथ्वी केंद्र को दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
दूसरी तस्वीर में विष्णु भगवान और गरुड़ को दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
तीसरी तस्वीर में रावण को जटायु का वध करते हुए दिखाया गया है। (विकिमीडिया)