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जनजातीय या आदिवासी लोगों ने अपने आभूषणों को अधिकतर मिट्टी से युक्त और आकर्षक विशेषताओं के साथ प्रदर्शित या अभिव्यक्त किया है। हालांकि, अधिकांश स्वदेशी जनजातियां गरीब थीं और उन्हें औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा लूटा गया था, लेकिन आभूषणों के निर्माण के लिए कच्चे माल का उनका चयन विनयशील था तथा केवल सीपों, पंजों, जानवरों के जबड़ों, हाथी दांत, लकड़ी इत्यादि तक सीमित था। भारत, जनजातीय संस्कृति से समृद्ध है, जिन्होंने आधुनिकीकरण के बावजूद अपनी विशिष्ट परंपराओं को संभाले रखा है। यदि किसी आदिवासी समूह में कोई व्यक्ति आभूषण धारण करता है तो, उनके द्वारा धारण किये गए आदिवासी आभूषण, समूह में उसके स्तर, संपत्ति या धन, स्थिति, आध्यात्मिक विश्वास, उसके कार्य आदि की जानकारी प्रदान करते हैं। इस प्रकार आदिवासी आभूषण किसी विशिष्ट समूह की सामाजिक एवं सांस्कृतिक परम्पराओं का संक्षिप्त वर्णन प्रदान करते हैं। पुराने समय में उनके द्वारा बनाए गए कुछ आभूषण शरीर के विशेष अंगों को उजागर करने के लिए भी बनाए गए थे, जिनके उदाहरण मोहन जोदड़ो (Mohenjo-daro) और सिंधु सभ्यता के अन्य स्थलों के उत्खनन में मिले हाथ से बनाए गए आभूषणों से प्राप्त होते हैं। आदिवासी आभूषणों को प्राकृतिक सामग्रियों जैसे पत्तियों, बीजों, पंखों, फूलों, पंजों आदि से बनाया गया था, जिसने प्रकृति के साथ उनकी निकटता को संदर्भित किया। भारत के विभिन्न राज्यों में रहने वाले आदिवासियों के आभूषणों की अपनी-अपनी विशेषताएं है। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में बस्तर (Bastar) के आदिवासी मुख्य रूप से घास, प्राकृतिक मनकों आदि से बने आभूषणों का उपयोग करते हैं। इसके अलावा वे तांबा, कांच, चांदी, लकड़ी, मोरपंख तथा एक रुपये से बने आभूषणों आदि का भी उपयोग करते हैं। राजस्थान के बंजारा (Banjara) आदिवासी रंग-बिरंगे और भारी गहनों का उपयोग करते हैं, जिन्हें सिक्के, सीप, शंख, मोती और धातु का उपयोग करके बनाया गया होता है। बंजारा आदिवासी अपनी कमर पर सुंदर बेल्ट (Belt) का उपयोग करते हैं, जो उनकी पोशाक को अन्य लोगों से अलग बनाता है। इसके अलावा वे चांदी और मोती के आभूषण का भी उपयोग करते हैं। मेघालय के गारो (Garo), खासी (Khasi), जयंतिया (Jaintia) पहाड़ के आदिवासी लाल मूंगा मोती और पतले कांच की कारीगरी से युक्त तने के लिए पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं। मोती और तने को एक साथ पिरो कर खूबसूरत हार, ब्रेसलेट (Bracelet), कान के झुमके आदि आभूषण बनाए जाते हैं। सिक्किम और भूटान के आदिवासी पारंपरिक रूप से सोना धातु का इस्तेमाल करके कई तरह के आभूषण बनाते थे, लेकिन महंगी कीमत के कारण वे सोने के बजाय अब चांदी का उपयोग करने लगे हैं। वे अपने आभूषणों में फिरोजा पत्थर, डज़ी पत्थर (Dzi Stone) और मूंगे का प्रयोग करके उन्हें बिल्कुल अनोखा बना देते हैं। अरुणाचल प्रदेश के वांचो नागा (Wancho Naga) आदिवासी अपने आभूषणों के निर्माण के लिए जहां प्राकृतिक रूप से उपलब्ध सामग्री जैसे बीज, पंख, बांस, बेंत इत्यादि का उपयोग करते हैं, वहीं गैलोंग (Gallong) समुदाय की महिला आदिवासी कान के आभूषणों के रूप में लोहे से बने कुंडलों का उपयोग करती है। नागालैंड के अंगामी नागा (Angami Nagas) समुदाय में पुरुष अपने कानों में फूलों से बने कुंडल पहनते हैं। इसके अलावा वे अपने सिर की चोटियों में फर्न के पत्ते (Fern Leaves) लगाते हैं। हिमाचल प्रदेश के चंबा (Chamba), कांगड़ा (Kangra), मंडी (Mandi) और कुल्लू (Kullu) के आदिवासी अंडाकार पायल, लोहे से युक्त चूड़ियां और सजावटी खंजर का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, महिलाएं पारंपरिक चांदी की हँसली (Hansalis), कछ (Kachs) और चांदी की चूड़ियों का उपयोग करती हैं। पश्चिम बंगाल के मोखाली (Maukhali) आदिवासी, बंगाली बिंदी, कान के पारंपरिक झुमके, चिक (Chik), हंसुली (Hunsuli), मन्तशा (Mantasha) और डोकरा (Dokra) जैसे अपने खास शिल्प के लिए जाने जाते हैं। इस जनजाति के गहने सोने, चांदी, मूल्यवान पत्थरों आदि से बनते हैं और अपनी शैली में उत्कृष्ट होते हैं। बिहार की संथाल (Santhal) जनजाति, चांदी द्वारा बनायी गयी महीन कान की बालियों, करधनी (कमर पर पहने जाना वाला आभूषण) और चूड़ा (Chudha) चूड़ियों के लिए जानी जाती है। इसी प्रकार से ऐसे कई राज्य हैं, जिनकी जनजातियां अपने विशेष प्रकार के आभूषणों के लिए जानी जाती हैं। आदिवासी आभूषणों से प्रेरित गहने इन दिनों सबसे ज्यादा चलन में हैं और इन्हें लगभग हर क्षेत्र में उपयोग किया जाता है, चाहे वो फैशन (Fashion) जगत में हो या फिर सामान्य जीवन में। कुछ आदिवासी गहनों में विदेशी गहनों के निर्माण का प्रभाव भी देखा जाता है, जिसका मुख्य उदाहरण मूल अमेरिकी (American) आभूषण हैं। मूल अमेरिकी गहने व्यक्तिगत अलंकरण की वस्तुओं को संदर्भित करते हैं, जिन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वदेशी लोगों में से एक द्वारा बनाया गया। इनका उपयोग व्यक्तिगत, बिक्री के लिए या कला के रूप में किया जाता है। इन आभूषणों में हार, झुमके, कंगन, अंगूठियां आदि शामिल हैं। मूल अमेरिकी गहने सामान्य रूप से अपने निर्माताओं की सांस्कृतिक विविधता और इतिहास को दर्शाते हैं, लेकिन आदिवासी समूहों ने व्यापार के माध्यम से अक्सर दूसरी, पड़ोसी जनजातियों या देशों के आभूषणों के डिजाइनों (Designs) और तरीकों का अपने आभूषणों में उपयोग किया, जो आज भी जारी है।