देश का आर्थिक विकास (Economic Development) उस देश के सार्वजनिक (Public) और निजी (Private) दोनों क्षेत्रों के व्यवसायों (Businesses) और कंपनियों (Companies) के विकास पर निर्भर करता है। कर सरकार की आय का मुख्य स्त्रोत (Main Source of Income) होता है। जब देश की कंपनियाँ अधिक लाभ कमाती हैं तो सरकार को अधिक कर भुगतान करती हैं। वहीं दूसरी ओर जब कंपनियों को घाटा या हानि (Loss) होती है तो सरकार की आय (Income) भी अपेक्षाकृत कम हो जाती है। साथ ही हानि झेल रही कंपनियों को जीवित रखने के लिए सरकार आर्थिक सहायता भी प्रदान करती है। देश के राजनैतिक (Political), सामाजिक (Social), आर्थिक (Economic) प्रबंधन (Management) का कार्य अलग-अलग विभागों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक विभाग (Department) का एक प्रमुख (Head of Department) होता है। जैसे राजनीति के लिए सरकार (Government), न्याय व्यवस्था (Judicial System) के लिए न्यायालय (Court), शेयर बाज़ार के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India) और इसी प्रकार बैंकिंग व्यवस्था के लिए केंद्रीय बैंक (Central Bank) होता है। प्रत्येक देश का अपना एक केंद्रीय बैंक अवश्य होता है जो उस देश के बैंकों के क्रियाकलापों पर नियंत्रण रखता है और वित्त व्यवस्था का प्रबंधन (Management) करता है। हमारे देश का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) है।
1 अप्रैल सन् 1935 को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम (Act), 1934 के अंतर्गत 100 के अंशों (Share) में विभजित (Divided) पूरी तरह से भुगतान की गई अंश पूंजी (Fully Paid Share Capital) के साथ भारतीय रिजर्व बैंक का परिचालन (Operations) आरम्भ हुआ। इसका राष्ट्रीयकरण (Nationalization) 1 जनवरी 1949 को हुआ था। भारत (India) के केंद्रीय बैंक आरबीआई (RBI) के महत्वपूर्ण कार्य तथा दायित्व निम्नलिखित है:
देश में मुद्रा जारी करना
रिजर्व बैंक पूरे देश में नोट जारी करता है और यदि सरकार के नियमानुसार (Government Regulations) या किसी अन्य कारणवश वे नोट प्रचलन (Circulation) से बाहर हो जाते हैं तब उन्हें नष्ट करने का कार्य भी करता है।
देश की मौद्रिक नीति का संचालन
आरबीआई (RBI) के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक देश की मौद्रिक नीति (Monetary Policy) का निर्माण और संचालन करना है। मौदिक नीति से तात्पर्य पूरे देश में मुद्रा (Currency) की माँग (Demand) के अनुरूप आपूर्ति (Supply) को नियंत्रित करना और ब्याज की दरों (Interest Rates) का निर्धारण करना है। इसके अतिरिक्त मुद्रा की खपत (Consumption), वृद्धि (Growth), तरलता (Liquidity), मुद्रास्फीति (Inflation) और अपस्फीति (Deflation) पर नियंत्रण करना है।
आरबीआई मौद्रिक नीति के नियंत्रण एवम् संचालन के लिए चार प्रमुख उपकरणों का प्रयोग करता है, यह उपकरण निम्नवत हैं:
1. खुले बाजार का संचालन (Open Market Operations);
2. बैंक दर में बदलाव (Changing the Bank Rate);
3. नकद आरक्षित अनुपात में परिवर्तन (Changing the Cash Reserve Ratio);
4. उपक्रम चयनात्मक पूंजी नियंत्रण (Undertaking Selective Credit Controls)।
रेपो रेट (Repo Rate) का निर्धारण
जिस प्रकार बैंक अपने गाहकों को ऋण (Loan) की सुविधा प्रदान करता है उसी प्रकार रिजर्व बैंक देश के अन्य बैंकों को ऋण प्रदान करता है। इसलिए इसे बैंकों का बैंकर (Banker of the Banks) भी कहा जाता है। बैंकों को दिये गए ऋण के बदले में यह बैंकों से एक निश्चित दर पर ब्याज (Interest) वसूल करता है। इस ब्याज की दर को रेपो रेट (Repo Rate) कहते हैं. जिस दर का निर्धारण भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर (Governor) द्वारा छ: सदस्यीय मौद्रिक नीति समीति (Six-Member Monetary Policy Committee) के सदस्यों के बीच मतदान के निर्णय से किया जाता है।
बैंकिंग प्रणाली के नियामक
रिजर्व बैंक देश में बैंकिंग प्रणाली के नियामक (Regulator of the Banking System) के रूप में कार्य करता है। सभी व्यावसायिक बैंकों (Commercial Banks) के लाइसेंस संबंधी (License Related) पर निगरानी रखना, समय-समय पर निरीक्षण प्रक्रिया (Inspection Procedure) को संपन्न करना और आवधिक बैठकों का संचालन करना रिजर्व बैंक का उत्तरदायित्व है।
आर्थिक मंदी से देश की रक्षा
रिजर्व बैंक देश के आर्थिक विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक कार्यों को संदर्भित करता है. देश में मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक रिजर्व संरक्षित रखता है। यह रिजर्व आर्थिक मंदी (Recession) के समय अर्थव्यवस्था (Economy) में सकल मांग को बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रा आपूर्ति को बढ़ाया जाता है और ब्याज की दरों में कटौती करता है। इस प्रकार यह आर्थिक मंदी से देश की अर्थव्यवस्था को बचाए रखने का प्रयास करता है।
सरकार का बैंकर
रिजर्व बंक सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) को सरकार की ओर से खरीदता और बेचता है। इसलिए इसे केंद्र (Central) तथा राज्य (State) दोनो सरकारों का बैंकर कहा जाता है।
वित्तीय साक्षरता
रिजर्व बैंक अपनी नीतियों को जनता तक पहुँचाकर देश में वित्तीय जागरूकता (Financial Awareness) बनाए रखने में सहयोग (Help) करता है। इस कार्य के लिए वह रेडियो (Radio), टेलीविज़न (Television) तथा सबसे प्रचलित माध्यम इंटरनेट (Internet) का प्रयोग करता है।
विकासशील देशों (Developing Countries) की मौद्रिक नीति में कृषि (Agriculture) और औद्योगिक (Industrial) दोनों क्षेत्रों के विकास कार्यों को समाहित (Involve) करना अति आवश्यक है। इससे सभी लोगों को पूर्ण रोजगार (Full Employment) के अवसर प्राप्त हो सकेंगे और संभावित उत्पादन स्तर (Potential Output Level) पर संतुलन बनाए रखना सरल हो सकेगा। देश की अर्थव्यवस्था में छोटे-बडे़ सभी उद्यमों का विशेष योगदान होता है। अत: देश के आर्थिक विकास (Development) के लिए यह जरूरी है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करे ताकि बैंक आवश्यकता पड़ने पर इन सभी उद्यमों को सस्ती दरों पर ऋण प्रदान कर सकें।
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