किसी जीव की तीसरी आंख को देखना आपके लिए आश्चर्य का कारण बन सकता है, किंतु तुतारा (Tuatara) जो कि, रिंकोसिफालिया (Rhynchocephalia) वंशक्रम से सम्बंधित है, इस आश्चर्य को उत्पन्न करने में सक्षम है। दूसरे शब्दों में यह एक ऐसा सरीसृप है, जिसमें तीसरी आंख मौजूद होती है। वंश रिंकोसिफालिया छिपकली जैसे सरीसृपों के वंशक्रम से सम्बंधित है, जिसमें केवल एक ही जीवित प्रजाति शामिल है। यह जीवित प्रजाति तुतारा है, जिसे न्यूजीलैंड (New zealand) का स्थानिक जीव माना जाता है। एक समय में रिंकोसिफालिया वंशक्रम के अंतर्गत कई परिवार शामिल थे, किंतु इनमें से अब कई विलुप्त हो चुके हैं। अधिकांश रिंकोसिफालिया, समूह स्फिनोडोंशिआ (Sphenodontia) से संबंधित हैं। वैज्ञानिक तौर पर, स्फेनोडोन पैक्टाटस (Sphenodon Punctatus) के नाम से जाना जाने वाले तुतारा का सबसे हालिया सामान्य पूर्वज स्क्वैमेट्स (Squamates - छिपकली और सांप) है। यही कारण है कि, तुतारा के अध्ययन के साथ-साथ छिपकलियों और सांपों का अध्ययन भी किया जा रहा है। हालांकि, यह दिखने में छिपकलियों के समान लगता है, किंतु वास्तव में यह एक अलग वंश का हिस्सा है। अपने वंश की यह एकल प्रजाति लगभग 25 करोड़ साल पहले उत्पन्न होकर मध्य मेसोजोइक (Mesozoic) युग में विकसित हुई।
तुतारा की बाह्य संरचना की बात करें तो, सिर से लेकर पूंछ के सिरे तक इसका आकार लगभग 80 सेंटीमीटर (31 इंच) का होता है। इसके अलावा इसका शरीर हरे और भूरे रंग का है। इसका वजन लगभग 1.3 किलोग्राम आंका गया है। तुतारा के ऊपरी जबड़े में दांतों की दो पंक्तियाँ होती हैं, जो निचले जबड़े पर मौजूद पंक्ति को ओवरलैप (Overlap) करती हैं। यह विशेषता इसे जीवित प्रजातियों में अद्वितीय बनाती है। इनमें बाहरी कानों का अभाव होता है, लेकिन फिर भी वे सुनने में सक्षम होते हैं। तुतारा की मुख्य विशेषता इसके सिर के शीर्ष पर मौजूद तीसरी आंख है, जिसे पार्श्विका आंख भी कहा जाता है। पार्श्विका आंख में लेंस (Lens), कॉर्निया (Cornea) जैसे दिखने वाला पार्श्विका प्लग (Plug), रॉड (Rod) जैसी संरचनाओं के साथ रेटिना (Retina), तथा पतले तंत्रिका कनेक्शन (Nerve connection) होते हैं। यह आँख मुख्य रूप से केवल अंडों से निकले नये तुतारा में ही स्पष्ट रूप से दिखायी देती है। इसका उद्देश्य अज्ञात है, लेकिन यह विटामिन डी (Vitamin D) का उत्पादन करने के लिए पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करने में उपयोगी हो सकती है।
इन पर पायी जाने वाली तीसरी आंख सर्कैडियन (Circadian) और मौसमी चक्र को सेट (Set) करने में भी उपयोगी होती है। पार्श्विका आंख, छवियों को केंद्रित नहीं कर सकती। प्रकाश-संवेदनशील कोशिकाओं के समूह के साथ इसमें मौजूद अल्पविकसित रेटिना और लेंस, इसे प्रकाश और अंधेरे में होने वाले बदलावों के प्रति संवेदनशील बनाता है। इसके कारण यह अपने ऊपर आये खतरों की पहचान आसानी से कर सकता है। इसके अलावा इस आंख के ज़रिए यह जीव आकाश में सूर्य की सटीक गति की भी पहचान कर सकते हैं, विशेषकर तब जब उन्हें अपने शरीर को गर्म करने के लिए सूर्य की रोशनी की आवश्यकता होती है। एक अध्ययन के अनुसार पार्श्विका आंख नेविगेशन (Navigation) में भी महत्वपूर्ण है। वयस्क तुतारा प्रायः स्थलीय और निशाचर सरीसृप होते हैं, लेकिन अपने शरीर को गर्म करने के लिए वे अक्सर धूप में तपते हैं। तुतारा को कभी-कभी "जीवित जीवाश्म" भी कहा जाता है। हालांकि, तुतारा ने अपने मेसोजोइक पूर्वजों की रूपात्मक विशेषताओं को संरक्षित किया है, लेकिन इसका समर्थन करने के लिए एक अविरल जीवाश्म रिकॉर्ड (Record) का कोई साक्ष्य नहीं है। इसके जीनोम (Genome) की मैपिंग (Mapping) करते समय, शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रजातियों में डीएनए अनुक्रम (DNA sequence) के 500 से 600 करोड़ क्षार युग्म हैं, जो मानवों में मौजूद क्षार युग्मों से लगभग दोगुना है।
तुतारा के सम्बंध में एक अन्य मुख्य बात यह है कि, यह पृथ्वी पर सबसे तेजी से विकसित होने वाला जीव है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि, हालांकि तुतारा विकास के बहुत लंबे समय तक शारीरिक रूप से अपरिवर्तित रहे हैं, लेकिन वे डीएनए स्तर पर किसी भी अन्य जानवर की तुलना में तेजी से विकसित हो रहे हैं। किसी भी अन्य जीव की तुलना में तुतारा की आणविक विकास दर सबसे अधिक है, जो इसे जानवरों के बड़े साम्राज्य में शामिल करती है।
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