किसी भी देश के लिए आर्थिक (Financially), राजनैतिक (Politically) और सामाजिक (socially) रूप से सुदृढ़ होना जितना आवश्यक है उतना ही आवश्यक है देश के रक्षात्मक पहलू (Defensive Aspect) पर विशेष रूप से ध्यान देना। हम कई दशकों से शक्ति प्रदर्शन (Demonstrating Power) के लिए, अपना आधिपत्य स्थपित करने के लिए (Establishing Their Supremacy) या अपने देश की रक्षा (Protecting) करने के लिए विभिन्न राष्ट्रों (Nations) के मध्य युद्ध (War) का इतिहास (History) पढ़ते आए हैं। समय के साथ भले ही तकनीक (Technology) और अस्त्र-शस्त्रों (Weapons) में बदलाव आए हों परंतु अपनी रक्षा करने का और एक शक्तिशाली राष्ट्र बनने का उद्देश्य अब भी समान है। इसलिए हर देश आंतरिक (Internal) और बाह्य (External) शत्रुओं से अपने देश की रक्षा करने के लिए रक्षात्मक उपकरण (Defense Equipment) तैयार रखता है। यह उपकरण अपने देश के रक्षा उपकरण निर्माता कंपनियों (Manufacturing Companies) द्वारा बनाए जाते हैं या दूसरे देशों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार (International Trade) के अंतर्गत खरीदे या आयात (Import) किए जाते हैं।
देश के रक्षा उपकरणों के प्रदर्शन के लिए भारत (India) में एक प्रदर्शनी (Exhibition) का आयोजन किया जाता है जिसे डिफेंसएक्स्पो (Defence Expo) के नाम से जानते हैं। इसका ग्यारहवाँ (11th) संस्करण (Edition) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) राज्य की राजाधानी (Capital) लखनऊ (Lucknow) में 5 से 9 फरवरी 2020 को आयोजित हुआ। इस शहर में पहली बार आयोजित होने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा कार्यक्रम माना जाता है। रक्षा और सैन्य शक्ति की इस प्रदर्शनी में लगभग 925 निर्माता कंपनियों ने भाग लिया जिनमें से 150 विदेशी कंपनियाँ थी और 775 स्वदेशी रक्षा उपकरण निर्माता कंपनियाँ थी। यह कार्यक्रम (Event) भारतीय इतिहास (Indian History) में दर्ज हुई एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसने देश के रक्षा और सैन्य बल को एक नई दिशा प्रदान की। भारतीय सैन्य शक्ति की बात करें तो यह किसी भी देश से पीछे नहीं है, साथ ही मौजूदा सरकार ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम (Make in India Program) के अंतर्गत विदेशी उपकरणों पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से निजी कंपनियों (Private Companies) को सैन्य हथियारों और उपकरणों का उत्पादन (Manufacture) करने की अनुमति दी है। कर्नाटक के बेंगलुरु (Bangalore) में स्थित एक फर्म (Firm) एस एस एस डिफेंस (SSS Defense) ने देश की पहली दो स्वदेशी राइफ़ल प्रोटोटाइप (Rifle Prototypes) विकसित की हैं जो सैनिकों की शारीरिक संरचना को ध्यान में रखकर बनाई गई है। साथ ही यह राइफ़ल पूरी तरह समायोजित (Fully Adjustable) हैं और पुरुष और महिला सैनिक दोनों ही इसे आसानी से उपयोग कर सकते हैं। पहली राइफ़ल है वाइपर (Viper) जो 7.62×51 मिलीमीटर या .308 कारतूस (Cartridges) के लिए तैयार की गई है। इसकी निर्धारित सीमा (Proven Range) 1,000 मीटर (3,300 फीट) से अधिक है। दूसरी राइफ़ल लगभग 7 किलोग्राम (Kilogram) वजन (Weight) वाली सबर (Saber) है जिसे .338 लापुआ मैग्नम (Lapua Magnum) 8.6 × 70 मिमी या 8.58 × 70 मिमी के साथ उच्च-शक्ति वाली और एक लंबी दूरी तय करने वाले कारतूस के रूप में बनाई गई है। इस राइफ़ल की निर्धारित सीमा लगभग 1,500 मीटर (4,900 फीट) है। यह लोडेड कारतूस (The Loaded Cartridge) 14.93 मिमी (0.588 इंच) व्यास (Diameter) (रिम) (Rim) और 93.5 मिमी (3.68 इंच) लंबा है। इस राइफ़ल का उपयोग अफगानिस्तान युद्ध (Afghanistan War) और इराक युद्ध (Iraq War) में किया गया था। इन दोनों राइफ़लों को बनाने वाली 61 वर्षीय कंपनी एस एस एस डिफेंस पहले मोटर वाहन उद्योग (The Automotive Industry) के मुख्य भाग (Components) जैसे स्प्रिंग्स (Springs) इत्यादि का निर्माण करती थी। इस कंपनी ने ब्राज़ील की (Brazilian) एक कंपनी सीबीसी ग्लोबल एम्युनेशन (CBC Global Ammunition) के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम (Joint Venture) के तहत इन राइफ़लों का निर्माण किया है। यह पहली बार है जब भारत की किसी निजी कंपनी ने स्वदेशी रूप से दो अंशों में स्नाइपर (Sniper) राइफ़ल बनाई हैं।
भारत को एक प्रमुख रक्षा विनिर्माण केंद्र (Defense Manufacturing Hub) बनाने की दॄष्टि से यह एक बड़ा क़दम है और भविष्य में इसके और अधिक विकसित होने का अनुमान है। इसके लिए यह कंपनी जिगनी (Jigani) में 80,000 वर्ग फुट के क्षेत्र (Area) में सैन्य हथियार कारखाने की एक निर्माण इकाई (Manufacturing Unit) स्थापित करने जा रही है। इसी के साथ ही अन्य राज्य भी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं उदाहरण के लिए आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) 2021 तक अनंतपुर (Anantapur) में एक गोला-बारूद (Ammunition) विनिर्माण कार्य को संचालित करने की योजना बना रहा है। इस प्रकार आने वाले समय में भारत एक सैन्य हथियारों का निर्माण और निर्यातक हब बन कर उभरेगा और निश्चित रूप से विश्व स्तर एक नई शिखर पर पहुँचेगा।
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