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लखनऊ में हुसैनाबाद में मौजूद क्लॉक टॉवर / बेल टॉवर (Clock Tower/Bell Tower) (घण्टा घर) से हर कोई परिचित है, इसका निर्माण वर्ष 1881 में किया गया था, इसे लंदन (London) में बिग बेन (Big Ben) के बनने के बाद बनाया गया था, लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि इटली (Italy) के पीसा (Pisa) शहर में मौजूद पीसा की मीनार या लीनिंग टॉवर ऑफ पीसा (Leaning Tower of Pisa) भी एक बेल टॉवर है। यह टॉवर पीसा के गिरजाघर के लिए फ्रीस्टैंडिंग बैल टॉवर (freestanding bell tower) है। इसे मध्ययुगीन यूरोप (Europe) की सबसे श्रेष्ठ वास्तु संरचनाओं में गिना जाता है और यह इटली में सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। पीसा के गिरिजाघर के परिसर का निर्माण करने वाले चार स्तंभों में से एक लीनिंग टॉवर है। इस परिसर को कैम्पो देई मिराकोली (Campo dei Miracoli) या पियाजा डी मीराकोली (Piazza dei Miracoli) कहा जाता है, जिसका अर्थ है चमत्कार का क्षेत्र। कैम्पो देई मिराकोली, पीसा में निर्मित पहली इमारत कैथेड्रल (cathedral), या ड्यूमो डी पिसा (Duomo di Pisa) थी, जो एक सफेद संगमरमर के फर्श पर टिकी हुई है और रोमनस्क वास्तुकला (Romanesque architecture) का एक प्रभावशाली उदाहरण है।
इटली में ‘लीनिंग टावर ऑफ़ पीसा’ को वास्तुशिल्प का अदभुत नमूना माना जाता है। अपने निर्माण के बाद से ही मीनार लगातार नीचे की ओर झुकने लगी थी और इसी झुकाव की वजह से वह दुनिया भर में भी मशहूर हो गयी। 1172 में, डोना बर्टा डि बर्नार्डो (Donna Berta di Bernardo ) ने इस टावर के आधार के पत्थर खरीदने के लिए एक स्थानीय कैथेड्रल को 60 चांदी के सिक्के दान किए। अगले वर्ष, टॉवर पर निर्माण शुरू हुआ इसके निर्माण के साथ ही इसमें समस्याएं आने लगीं। इस मीनार की जमीन कमजोर और दलदली थी। 1178 में जब बिल्डरों ने दूसरी मंजिल पूरी की, तब तक टॉवर झुकना शुरू हो गया था। जल्द ही युद्धों के कारण से मीनार का कार्य अगले 100 वर्षों के लिए रूक गया। किंतु यह विराम इस इमारत के लिए अच्छा साबित हुआ इतने समय में यहां की मिट्टी को ठहराव का समय मिल गया। जब टावर का काम फिर से शुरू हुआ तो यह लम्बवत के उत्तर में 0।2 डिग्री झुकने लगा था, लेकिन जब तक कार्यकर्ता सातवीं मंजिल तक पहुंचे तब टॉवर एक डिग्री दक्षिण की ओर झुक गया। इस समय के आसपास, अज्ञात कारणों से निर्माण फिर से बंद हो गया। अगली सदी में, इसका निर्माण धीमी गति से जारी रहा। टावर का झुकाव 1।6 डिग्री और बढ़ गया। इस झुकाव को कम करने के लिए निर्माताओं ने शेष मंजिलों टॉवर के दक्षिण की ओर लंबा कर दिया। लेकिन अतिरिक्त मंजिलों के वजन ने केवल नींव को और अधिक कमजोर कर दिया, जिससे झुकाव और अधिक बढ़ गया।
अंत में इस मीनार का निर्माण टामासो पिसानो (Tamaso Pisano) ने 1399 में पूरा करवाया था। इस मीनार में कुल 8 मंजिल हैं और इसकी कुल मूल ऊंचाई 60 मीटर की है। इस मीनार के निचले तल में कुल 15 मेहराब हैं और बाकी के बचे 6 तलों पर 30-30 मेहराब हैं। शीर्ष ताल अर्थात 8वीं तल पर घंटा कक्ष स्थित है और इसपर कुल 16 मेहराब हैं। इस मीनार के अन्दर 2 सर्पीली प्रकार की सीढियां बनी हुयी हैं। यह मीनार तीसरी मंजिल के बाद पतली होनी शुरू होती है। पतला करने के पीछे यह विचार था की शायद यह मीनार झुकना कम हो जाए या फिर बंद हो जाए लेकिन इससे कुछ फर्क नहीं पड़ा और यह मीनार लगातार झुकती चली गयी। इस मीनार के झुकने का प्रमुख कारण था जमीन का कमजोर होना और इसका दलदली होना। जमीन के दलदली होने के कारण यह मीनार झुकना शुरू कर दी थी। इस मीनार को सीधा करने के लिए कई प्रयोजनों पर चर्चा की गयी।
टॉवर के पूरा होने के बाद से, दुनिया भर के इंजीनियरों और वास्तुकारों ने इस झुकाव की निगरानी की और इसे सही करने के अनेक प्रयास किए। सन 1920 में इस मीनार के आस-पास के क्षेत्र की जमीन पर सीमेंट डाली गयी थी जिसने एक अल्पावधि तक इस मीनार को स्थिरता प्रदान करने का कार्य किया। 1990 तक पीसा का टॉवर 60 मीटर पर खड़ा है और लगभग 10 डिग्री के कोण पर दक्षिण की ओर झुका हुआ था। इस वजह से ख़तरा बना हुआ था कि ये एक दिन गिर जाएगी। साल 1990 में इस मीनार को आधिकारिक रूप से बंद कर दिया गया था। 1995 में यह मीनार करीब 2।5 मीमी झुक गयी थी जिसके बाद इस पर कार्य किया जाना शुरू हुआ और इसमें कई बदलाव आये। 2001 में यह मीनार को फिर से आम नागरिकों के लिए खोल दिया गयी थी। 2008 में टावर के उत्तर से ज़मीन से 70 मीट्रिक टन से अधिक मिट्टी खोदी गई ताकि इसे सीधा खड़ा किया जा सके| जब ये काम ख़त्म हुआ तो टावर सीधा नज़र आने लगा| अब इसका झुकाव चार डिग्री रह गया। 2008 में यह पता चला की यह मीनार अगले 200 सालों तक स्थिर खड़ी रह सकती है।
इस टॉवर के वास्तुकार की पहचान अभी भी विवादास्पद है। कई वर्षों तक इसके डिजाइन (design ) का श्रेय गुग्गिल्मो (Guglielmo) और बोनानो पिसानो (Bonanno Pisano) को दिया जाता था, ये पीसा के 12 वीं शताब्दी के प्रसिद्ध कलाकार, कांस्य कास्टिंग (bronze casting) के लिए जाने जाते थे। पिसानो (Pisano) ने 1185 में इटली के सिसिली (Sicily) में मौजमोनेरा (Monreale) के लिए पीसा छोड़ दिया था, वे अपने जीवन के अंतिम क्षणों में अपने घर वापस आये थे। 1820 में टॉवर के तल पर एक सांचे का टुकड़ा मिला जिस उनका नाम उकेरा गया था, लेकिन यह 1595 में नष्ट हुए गिरजाघर के कांस्य द्वार से संबंधित हो सकता है। 2001 के एक अध्ययन से प्रतीत होता है कि डायोतिसालवी (Diotisalvi ) इसके मूल वास्तुकार थे, अन्य डायोतिसालवी का कार्यकाल और उनके कार्यों के मध्य संबंध विशेष रूप से सैन निकोला की बेल टॉवर (tower of San Nicola) और बपतिस्मा-घर (Baptistery) दोनों में पीसा में ही हैं।
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