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कोरोनावायरस टीके को लेकर केंद्र सरकार ने जारी किये दिशानिर्देश

लखनऊ

 21-12-2020 11:19 AM
डीएनए

वैश्वीकरण, व्यापार और आवास के विखंडन से घनिष्ठ रूप से जुड़ी मानव आबादी की निरंतर वृद्धि लोगों, घरेलू पशुओं और वन्यजीव आबादी के बीच संपर्क को बढ़ावा देती है। मनुष्यों से दूर रह रही वन्यजीवों की आबादी से अचानक संपर्क बढ़ जाने की वजह से ही विषाणुओं के संचरण का जोखिम बढ़ जाता है। जंगली वातावरण के साथ बढ़ती मानवीय परस्पर क्रिया ने कई वन्यजीव जलाशयों से उत्पन्न महामारी को प्रेरित किया है। जितने भी सशक्त रोगजनक विषाणु हैं जो कि एक जाति से दूसरी जाति में बीमारी फैलाते हैं, उनमें से आरएनए विषाणु (RNA Virus) विशेष चिंता का विषय हैं, हालांकि ये विषाणु मूल रूप से जंगल में रहने वाले जानवरों में पाए जाते हैं।
“पशुजन्य रोग संचरण में शामिल रोगजनक आरएनए विषाणु संभावित रूप से सबसे महत्वपूर्ण समूह हैं और साथ ही ये वैश्विक रोग नियंत्रण के लिए एक चुनौती बन गया है। उनकी जैविक विविधता और तेजी से अनुकूली दर आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी द्वारा दूर करने और पूर्वानुमान लगाने में मुश्किल साबित हुई हैं।” यह 2017 में प्रकाशित एक लेख का एक उद्धरण है और हाल ही में फैला कोरोनावायरस (Coronavirus) भी आरएनए विषाणु की श्रेणी में आता है। पिछले कुछ दशकों में किए गए शोधों के अनुसार आरएनए विषाणु प्राथमिक विज्ञान का प्रतिनिधि और मनुष्य में दिखने वाला रोगजनक विषाणु है, जिसने संक्रामक बीमारियों के वाहक के रूप में 44 प्रतिशत के साथ (अलग-अलग शोधों के अनुसार यह सीमा 25-44 प्रतिशत है) जीवाणु (10- 49 प्रतिशत) और बाकी सभी परजीवी समूहों जैसे कि कवक ( 7- 9 प्रतिशत), प्रोटोजोन (Protozoans (11 -25 प्रतिशत)) और हेल्मिन्थ्स (Helminths (3 -6 प्रतिशत)) को पीछे छोड़ दिया है। आरएनए विषाणु ऐसा विषाणु है जिसमें राइबोन्यूक्लिक एसिड (Ribonucleic acid - RNA) अनुवांशिक सामग्री के तौर पर मौजूद होता है। यह न्यूक्लिक एसिड आमतौर पर सिंगल स्ट्रैंडेड आरएनए (Single-Stranded RNA - ssRNA) होते हैं और कुछ डबल-स्ट्रैंडेड आरएनए (Double Stranded RNA - dRNA) भी हो सकते हैं। आरएनए विषाणु सामान्य श्रेणी के रोगजनक विषाणु होते हैं, जो मनुष्यों में होने वाली नई बीमारियों के कारक होते हैं जिनमें शामिल है- सामान्य सर्दी जुकाम, श्‍लैष्मिक ज्‍वर, SARS, कोविड-19, डेंगू विषाणु, हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C), हेपेटाइटिस इ (Hepatitis E), पश्चिम पित्त ज्वर, इबोला (Ebola) विषाणु रोग, रेबीज (Rabies), पोलियो (Polio) इत्यादि। वहीं विषाणुओं के वर्गीकरण की अंतर्राष्ट्रीय समिति आरएनए विषाणु को बाल्टीमोर (Baltimore) वर्गीकरण प्रणाली के समूह III, समूह IV या समूह V में वर्गीकृत करती है। डेविड बाल्टीमोर (David Baltimore) द्वारा बाल्टीमोर वर्गीकरण को विकसित किया गया था यह एक ऐसी वर्गीकरण प्रणाली है जिसमें विभिन्न विषाणुओं को उनके जिनोम (Genome) के प्रकार के अनुसार अलग-अलग परिवारों में एकत्रित किया जाता है। जिनोम के प्रकार से तात्पर्य है डीएनए (DNA), आरएनए, सिंगल स्ट्रेन्डेड, डबल स्ट्रैंडेड इत्यादि। इस वर्गीकरण में विषाणुओं के पुनर्निर्माण के तरीकों को भी आधार बनाया गया है।
विषाणुओं के वर्गीकरण का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है :-
समूह 1 : पहले बाल्टीमोर समूह में डबल-स्ट्रैंड डीएनए जीनोम वाले विषाणु होते हैं। इस तरह के विषाणु के लिए जरूरी है कि वह मेजबान के नाभिक में अपनी प्रतिकृति बनाने से पहले प्रवेश करें।
समूह 2 : दूसरे बाल्टीमोर समूह में सिंगल स्ट्रैंडेड डीएनए जीनोम वाले विषाणु आते हैं। हालांकि, क्योंकि जीनोम सिंगल स्ट्रैंडेड होते हैं, इसे मेजबान कोशिका में प्रवेश करने से डीएनए पोलीमरेज़ (Polymerase) द्वारा डबल-स्ट्रैंड बनाया जाता है।
समूह 3 : तीसरे बाल्टीमोर समूह में डबल-स्ट्रैंड डीएनए जीनोम वाले विषाणुओं को वर्गीकृत किया जाता है। जैसा कि ज्यादातर आरएनए विषाणु में होता है, यह समूह पेटिका के अंदरूनी भाग अर्थात साइटोप्लाज्म (Cytoplasm) में अपनी प्रतिकृति बनाता है। इस प्रतिकृति का कारण मोनोसिस्ट्रोनिक (Monocystronic) होता है।
समूह 4 : चौथे बाल्टीमोर समूह में वो विषाणु होते हैं जिनमें एक पाज़िटिव सेन्स (Positive sense) वाला सिंगल स्ट्रैंडेड आरएनए (+ssRNA) जीनोम होता है।
समूह 5 : पांचवें बाल्टीमोर समूह में एक नेगीटिव सेन्स (Negitive Sense) वाला सिंगल स्ट्रैंडेड आरएनए (-ssRNA) जीनोम होता है।
समूह 6 : छठे बाल्टीमोर समूह में एक पॉजिटिव-सेंस सिंगल स्ट्रैंडेड आरएनए ((+) ssRNA-RT) जीनोम वाला विषाणु होता है, जिसकी प्रतिकृति चक्र में डीएनए मध्यवर्ती होता है।
समूह 7 : सातवें बाल्टीमोर समूह में डबल-स्ट्रैंड डीएनए (dsDNA-RT) जीनोम वाला विषाणु होता है जिसकी प्रतिकृति चक्र में एक आरएनए मध्यवर्ती होता है।
आरएनए विषाणु में आमतौर पर डीएनए विषाणु की तुलना में बहुत अधिक उत्परिवर्तन दर होती है, क्योंकि विषाक्त संक्रामक पदार्थ आरएनए पॉलीमरेज़ में डीएनए पॉलीमरेज़ की ठीक करने की क्षमता की कमी होती है। यह एक कारण है कि आरएनए विषाणु में विवधता होने के कारण होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए प्रभावी टीके बनाना मुश्किल है। करीब एक वर्ष से कोरोनावायरस से जूझ रहे भारत के लिए सरकार कोरोना का टीका पेश करने जा रही है, जिसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिशा निर्देशों को भी जारी किया है। केंद्र सरकार टीकाकरण के पहले चरण के दौरान लगभग 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने की योजना बना रही है। फाइजर, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Pfizer, Serum Institute of India) और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने अपने टीकों के लिए बाजार प्राधिकरण के लिए आवेदन किया है। भारत में कोविड-19 टीके की आपातकालीन उपयोग को मंजूरी देते ही टीकाकरण अभियान शुरू हो जाएगा। साथ ही कोविड-19 टीके की पेशकश सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स (Frontline workers) और 50 साल से ऊपर के व्यक्तियों को की जाएगी। 50 वर्ष से अधिक आयु के प्राथमिकता समूह को 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में और उन लोगों को 50 से 60 वर्ष की आयु में महामारी की स्थिति और टीके की उपलब्धता के आधार पर विभाजित किया जा सकता है।
कोरोनावायरस का टीका भारत में लोगों को किस प्रक्रिया के तहत और कैसे लगाया जाएगा इसे लेकर केंद्र सरकार ने दिशानिर्देश जारी किये हैं, जो निम्न पंक्तियों में बताए गए हैं :
1) कोविड वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (Covid Vaccine Intelligence Network) प्रणाली एक डिजिटल प्लेटफॉर्म (Digital platform) है, इसका इस्तेमाल टीकाकरण के लिए सूचीबद्ध लाभार्थियों का पता लगाने में किया जाएगा।
2) टीकाकरण स्थल पर, केवल पूर्व-पंजीकृत लाभार्थियों को प्राथमिकता के अनुसार टीका लगाया जाएगा। वहीं पर पंजीकरण के लिए कोई प्रावधान नहीं होगा।
3) राज्यों को क्षेत्र में विभिन्न कोविड-19 टीकों के मिश्रण से बचने के लिए एक निर्माता से एक जिले को टीका आवंटित करने के लिए कहा गया है।
4) टीके की शीशियों को सूरज की रोशनी से बचाकर रखने के लिए व्यवस्था होनी चाहिए, टीकाकरण के लिए लाभार्थी के पहुंचने पर ही टीके की शीशी को खोलना होगा।
5) कोविड-19 वैक्सीन के लेबल (Label) पर शायद वैक्सीन वायल मॉनिटर्स (Vaccine vial monitors) और एक्स्पायरी की तारीख़ (Expiry Date) न हो लेकिन इससे टीका लगाने वालों को इसे इस्तेमाल करने में हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। सत्र के आख़िर में सभी आइस पैक्स (Ice Pack) और टीके की शीशी के साथ टीका वाहक को वितरण वाले कोल्ड चैन (Cold Chain) केंद्र पर भेजा जाना चाहिए।
6) टीकाकरण टीम में पांच सदस्य शामिल होंगे। प्रत्येक सत्र में प्रति दिन 100 लाभार्थियों का ही टीकाकरण किया जाएगा। यदि सत्र स्थान में भीड़ प्रबंधन के लिए व्यवस्था के साथ-साथ प्रतीक्षालय और अवलोकन कक्ष के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध है, तो 200 लाभार्थियों के लिए एक सत्र बनाने के साथ साथ एक और सदस्या को जोड़ा जा सकता है।
7) लोकसभा और विधान सभा चुनाव के लिए नवीनतम मतदाता सूची का उपयोग 50 वर्ष या उससे अधिक आयु की आबादी की पहचान करने के लिए किया जाएगा।
8) कोविड वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क वेबसाइट (Website) पर स्व पंजीकरण के लिए मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस (Driving license), पासपोर्ट (Passport) और पेंशन दस्तावेज सहित 12 फोटो (Photo) पहचान दस्तावेज आवश्यक होंगे।

संदर्भ :-
https://bit.ly/2LRDISL
https://academic.oup.com/ilarjournal/article/58/3/343/4107390
https://en.wikipedia.org/wiki/RNA_virus
https://en.wikipedia.org/wiki/Baltimore_classification
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, कवक, प्रोटोजोअन और हेलमन्थ्स दिखाई देते हैं। (Pixabay, Wikimedia)
दूसरी तस्वीर में मेडिकल परीक्षण के चूहे को दिखाया गया है। (Pxhere)
अंतिम तस्वीर SARS V CoV। 2 वायरस दिखाती है। (Wikimedia)


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