रामपुर में अक्सर रामायण और महाभारत के विभिन्न चित्रण, नुक्कड़ नाटक, रंगमंच और यहां तक कि कठपुतली प्रदर्शनों में देखे जा सकते हैं। महाभारत अनगिनत कहानियों से भरा हुआ है, जीवन को समझना है तो महाभारत के विभिन्न पात्रों से जुड़ी हुई घटनाओं को पढ़कर बहुत कुछ जाना जा सकता है। परंपरागत रूप से, महाभारत की रचना का श्रेय महामुनि व्यास (Vyasa) को दिया जाता है। महाभारत, भारत का एक ऐसा प्राचीन महाकाव्य है, जो हजारों साल पहले हुए प्रलयकारी युद्ध को अभिव्यक्त करता है। महाभारत को शायद विस्तारपूर्वक तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व (B.C.)और तीसरी शताब्दी के बीच संकलित किया गया था। इस महाकाव्य से जुड़ी मूल घटनाएं संभवतः 9 वीं और 8 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच की हैं। महामुनि व्यास से लेकर अब तक अनेक लेखकों द्वारा अनेक रूपों में महाभारत की रचना होती आ रही है। यह विभिन्न भाषाओं तथा साहित्य के विभिन्न रूपों जैसे की काव्य, महाकाव्य, नाटक, आदि में रचित होते आ रहा है। कला और धार्मिक संस्कृति में इसके प्रसंगों का चित्रण आज भी जारी है।
महाभारत के विभिन्न प्रसंगों को आज विभिन्न प्रदर्शन कलाओं के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है। केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों जैसे की इण्डोनेशिया (Indonesia), श्रीलंका (Sri Lanka), जावा द्वीप (Java Island), थाइलैंड (Thailand), तिब्बत (Tibet), म्यांमार (Myanmar) आदि में भी इसने विभिन्न कला क्षेत्रों को प्रभावित किया है, ये आज भी इन देशों की लोक-संस्कृति व ग्रंथों में ज़िन्दा हैं। 1984 की शुरुआत में एक ब्रिटिश निर्देशक “पीटर ब्रुक” (Peter Brook) महाभारत से प्रभावित हो कर कोलकाता आए थे। उन्होनें 'द महाभारत (The Mahabharata)' के विशाल उत्पादन में चित्रित किया था। इसके निर्माण के लिए पीटर ब्रुक ने स्वयं महाभारत से सम्बंधित जानकारी प्राप्त की। इस दौरान भारत सरकार ने विभिन्न एजेंसियों (Agencies) से उसकी सहायता करने को कहा था। इस नाटक का उद्घाटन भोपाल में भारत भवन में हुआ था। उस समय कमला देवी चट्टोपाध्याय (Kamala Devi Chattopadhyay) संगीत नाटक अकादमी (academy) की अध्यक्ष थीं, जिन्हें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ भोपाल आने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर नर्तकियों, संगीतकारों, थिएटर (Theater) के लोगों, चित्रकारों और फिल्म निर्माताओं को भी आमंत्रित किया गया था। नाटक, जो प्रदर्शन में नौ घंटे लंबा है (अंतराल के साथ ग्यारह), ने चार साल तक दुनिया का दौरा किया। दो साल तक यह प्रदर्शन फ्रांसीसी और अंग्रेजी दोनों में किया गया। नाटक को तीन भागों में बांटा गया है, द गेम ऑफ़ डाइस (The game of dice), द एग्ज़ाइल इन द फॉरेस्ट (The Exile in the Forest) और द वार (The War)। 1989 में, इसे छह घंटे की लघु श्रृंखला के रूप में टेलीविजन (T.V.) के लिए अनुकूलित किया गया था। बाद में नाटकीय और डीवीडी रिलीज (DVD Release) के लिए एक फिल्म के रूप में इसे घटाकर लगभग तीन घंटे कर दिया गया। यह पटकथा पीटर ब्रूक, जीन-क्लाउड कैरियेर (Jean-Claude Carrière) और मैरी-हेलेन एस्टियन (Marie-Hélène Estienne) द्वारा आठ साल के काम का परिणाम थी। पीटर ब्रूक वो व्यक्ति था जो दुनिया को हमारे महान महाकाव्य से अवगत कराने में सफल रहा। जीन-क्लाउड कैरियार का फ्रांसीसी नाटक ले महाभारत (Le Mahabharata) भी संस्कृत महाकाव्य ‘महाभारत’ पर आधारित है। यह नाटक पूर्व की एक प्राचीन कहानी को पश्चिम में आधुनिक दर्शकों के लिए सुलभ होने के दुर्लभ अवसर को दर्शाता है।
महाभारत एक ऐसी आधारभूत कृति है जिसने कई महाकाव्यों, आख्यानों आदि को जन्म दिया है। इसका प्रमाण भारतीय भाषाओं के साथ ही विश्व की ऐसी अनेकानेक कृतियाँ हैं जिनका उपजीव्य महाभारत रहा है। यदि हम केवल भारतीय साहित्य की बात करें तो देखेंगे कि संस्कृत से लेकर आज तक लगभग सभी भारतीय भाषाओं में महाभारत से प्रेरित अनेक रचनाओं ने जन्म लिया है। 1919 और 1966 के बीच, भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट (Bhandarkar Oriental Research Institute), पुणे (Pune) के विद्वानों ने भारत और विदेश से महाकाव्य की विभिन्न पांडुलिपियों की तुलना की और 19 ग्रंथों में 13,000 पृष्ठों पर, महाभारत के समालोचनात्मक संस्करण का निर्माण किया, जिसके बाद हरिवंश पर्व (Harivamsha) का निर्माण दो ग्रंथों और छह सूचकांक संस्करणों में किया गया। इस कार्य को कभी-कभी महाभारत का "पुणे" (Pune) या "पूना" (Poona) संस्करण कहा जाता है। समय के साथ कई क्षेत्रीय संस्करण भी विकसित हुए जिनमें तमिल स्ट्रीट थियेटर (Street theatre), तेरुकुट्टु (Terukkuttu) और कट्टीकुट्टु (Kattaikkuttu) शामिल हैं। ये नाटक महाभारत के तमिल भाषा के संस्करणों का उपयोग करते हुए द्रौपदी पर केंद्रित होते हैं।
भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर, इंडोनेशिया में, 11 वीं शताब्दी में राजा धर्मांगसा (Dharmawangsa) के संरक्षण में एक संस्करण प्राचीन जावा में काकविन भारतयुद्ध (Kakawin Bhāratayuddha) के रूप में विकसित किया गया था, और बाद में यह बाली (Bali) के पड़ोसी द्वीप में फैल गया, जो आज एक हिंदू बहुसंख्यक द्वीप बना हुआ है। यह जावानीस साहित्य, नृत्य नाटक (वेयांग वोंग- Wayang wong), और वायांग (Wayang) छाया कठपुतली प्रदर्शन के लिए एक मुख्य स्रोत बना। महाभारत का यह जावानी संस्करण, मूल भारतीय संस्करण से थोड़ा अलग है जैसे कि इसमें द्रौपदी को केवल युधिष्ठिर की पत्नी के रूप में दिखाया है और गांधारी को पांडवों से घृणा करने वाले शत्रु के रूप में वर्णित किया गया है। महाभारत का एक कावी संस्करण, जिसमें से अठारह पार्वियों में से आठ बचे हैं, इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर पाए जाते हैं। इसका अनुवाद अंग्रेजी में डॉ. आई. गुस्ती पुतु फाल्गुनदी (Dr. I. Gusti Putu Phalgunadi) द्वारा किया गया है। महाभारत का एक फारसी अनुवाद, जिसका शीर्षक रज़मनामेह (Razmnameh) था, का निर्माण अकबर के आदेशों पर फैज़ी (Faizi) और अब्द अल-कादिर बदायुनी (Abd al-Qadir Badayuni) द्वारा 18 वीं शताब्दी में किया गया था। 1883 और 1896 के बीच प्रकाशित किसारी मोहन गांगुली (Kisari Mohan Ganguli) द्वारा पहला पूर्ण अंग्रेजी अनुवाद विक्टोरियन गद्य (Victorian prose) संस्करण था। इसके अलावा रोमेश चंदर दत्त (Romesh Chunder Dutt ) द्वारा 1898 में महाभारत के मुख्य विषयों को अंग्रेजी कविता में प्रकाशित किया गया।
भारतीय सिनेमा में, इस महाकाव्य के कई फिल्मी संस्करण बनाए गए हैं। कलयुग में श्याम बेनेगल द्वारा महाभारत की पुनर्व्याख्या भी की गई थी। प्रकाश झा द्वारा निर्देशित 2010 की फ़िल्म राजनीति आंशिक रूप से महाभारत से प्रेरित थी। 1988 में बी. आर. चोपड़ा ने महाभारत नामक एक टेलीविजन श्रृंखला बनाई जिसका निर्देशन रवि चोपड़ा ने किया और इसे भारत के राष्ट्रीय टेलीविजन (दूरदर्शन) पर प्रसारित किया गया था। उसी वर्ष जब महाभारत दूरदर्शन पर दिखाया जा रहा था, उसी कंपनी के अन्य टेलीविजन शो, भारत एक ख़ोज प्रसारित हुआ था, जिसका निर्देशन श्याम बेनेगल ने भी किया था। महाभारत का दायरा इतना विशाल और सर्वव्यापी है कि वर्तमान समय में इसके टेलीविजन संस्करण ने युवा पीढ़ी पर गहरी छाप छोड़ी है। 2013 के अंत में चैनल स्टार प्लस (Star Plus) में महाभारत की एक अन्य टेलीविजन श्रृंखला प्रसारित हुई, इसका निर्माण स्वस्तिक प्रोडक्शंस प्राइवेट लिमिटेड (Swastik Productions Pvt.) द्वारा किया गया था। इस कार्यक्रम की लोगप्रियता के कारण इसका भाषान्तरण कई भाषाओं में किया गया, इसका प्रसारण इंडोनेशिया में भी डब (Dubbed) संस्करण के माध्यम से हुआ। इंडोनेशियाई चैनल ANTV ने स्टार प्लस से महाभारत के अधिकार खरीदे, और इस डब संस्करण को मार्च से प्रसारित करना शुरू किया। मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया में महाभारत पर आधारित एक शो की लोकप्रियता आश्चर्यजनक लग सकती है, परंतु हिंदू महाकाव्य इस देश की संस्कृति का हिस्सा हैं, शायद इसलिये ये शो लोकप्रिय बनता जा रहा है।
इस रंगमंच की दुनिया में महाभारत के सभी पात्रों को बहुत सराहा गया है, और इसके नाटकीय प्रदर्शन से जुड़े सभी किरदार सुपरहिट रहे हैं। परंतु वर्तमान में कोविड (COVID-19) महामारी का प्रदर्शन कला पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है, जो सभी कला क्षेत्रों में इसके प्रभाव को दर्शाता है। सामाजिक दूरी और सार्वकनिक स्थानों को बंद करने के कारण कई प्रदर्शन कला संस्थानों को अपने प्रदर्शन स्थल बंद करने पड़े। कई प्रदर्शन कला संस्थानों ने नई डिजिटल (Digital) सेवाओं की पेशकश करके अनुकूलन करने का प्रयास किया गया है। परिणामस्वरूप कई उद्योगों के पहले से रिकॉर्ड (Record) किए गए प्रदर्शनों की मुफ्त ऑनलाइन स्ट्रीमिंग (Online streaming) हुई तथा कई अन्य को रद्द कर दिया गया। इतना ही नही कई अंतरराष्ट्रीय कलाकारों को भी अपने अपने शो रद्द या स्थागित करने पड़े। सारा बरिल्स (Sara Bareilles) और गेविन क्रेल (Gavin Creel), जो लंदन में वेट्रेस ( Waitress) पर प्रदर्शन कर रहे थे, अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंध लगाए जाने के कारण अपने निर्धारित समय से एक सप्ताह पहले अमेरिका लौट आए। आजकल लॉकडाउन के कारण सांस्कृतिक संगठनों में टिकट की बिक्री में कमी देखने को मिल रही है, जिस कारण उनका राजस्व कम होता जा रहा है और इसका सीधे तौर पर प्रभाव स्टाफ पर पड़ रहा है। सात देशों में परिचालित होने वाले सर्कस प्रदर्शनों को बंद कर दिया, साथ ही कई कला महोत्सवों को भी रद्द कर दिया गया, जिसका प्रभाव कलाकारों की आय पर पड़ रहा है।
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