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लखनऊ शहर अनेक बागों, पार्कों, मैदानों आदि से परिपूर्ण है, तथा ऐसा माना जाता है कि, पुराने लखनऊ के हर मोहल्ले और गली में एक पार्क और बगीचा मौजूद था। हाथी पार्क, ज़ेनाना पार्क, चौक पार्क, नींबू पार्क, लक्ष्मण झूला पार्क आदि लखनऊ के प्रसिद्ध पार्क हैं। लखनऊ का एक अन्य प्रमुख पार्क जनेश्वर मिश्र पार्क (Janeshwar Mishra Park) भी है, जिसे एशिया का सबसे बड़ा पार्क कहा जाता है। यह पार्क गोमती नगर में स्थित एक शहरी पार्क है, जिसे समाजवादी पार्टी के दिवंगत राजनीतिज्ञ जनेश्वर मिश्र की याद में बनाया गया था। शहर की आम जनता के लिए इस पार्क का उद्घाटन 5 अगस्त 2014 को किया गया। यह स्थल लगभग 376 एकड़ में फैला हुआ है तथा इसकी संकल्पना और डिजाइन (Design) एक बहुआयामी पर्यावरण और मनोरंजन पर आधारित है। यह न केवल पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को आवास प्रदान करता है, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए एक प्रमुख मनोरंजन केंद्र भी है।
जनेश्वर मिश्र पार्क में आगंतुकों के लिए तमाम तरह की सुविधाएं मौजूद हैं, जिनमें नौकाविहार (Boating), फुटबॉल ग्राउंड (Football Ground), टेनिस कोर्ट (Tennis Court), साइकल ट्रैक (Cycle Track), जॉगिंग ट्रैक (Jogging Track) आदि शामिल हैं। इस पार्क की अनेकों प्रमुख विशेषताएं सभी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। गंडोला बोट (Gandola Boat), 207 फुट ऊंचा तिरंगा, हैरिटेज ट्रेन (Heritage Train), सेल्फी पॉइंट (Selfie Point), वर्ल्ड क्लास (World Class) कहानी घर आदि पार्क के प्रमुख आकर्षण हैं। पार्क में गंडोला बोट को चीन (China) से मंगवाया गया है, जो अपनी विशिष्ट लकड़ी और आकार के लिए जानी जाती है। कहा जाता है कि, 20 साल लगातार पानी में रहने के बावजूद भी यह बोट या नाव खराब नहीं होती। एक बोट की कीमत लगभग 16 लाख रुपये है। पार्क का हैरिटेज रेलवे इंजन भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह इंजन गुजरात से मंगाया गया है, जिसे लाने और स्थापित करने में लगभग 2 करोड़ 32 लाख रुपये की लागत आयी है। सेल्फी के बढ़ते रुझान को देखते हुए जनेश्वर मिश्र पार्क में सेल्फी केंद्र भी बनाया गया है। यह लोकोमोटिव स्टीम (Locomotive Steam) इंजन से पांच मीटर दूर स्थित है तथा इस प्रकार से बनाया गया है कि, पृष्ठभूमि में इंजन आसानी से नजर आ जाए। पार्क में 700 मीटर लंबा एक कहानी घर भी मौजूद है, जो अंदर से पूरी तरह डिजिटल (Digital) है। अंदर जाने से पहले बच्चों को कंप्यूटर के माध्यम से उस कहानी का चयन करना होता है, जिसे वे सुनना चाहते हैं। पार्क के अन्य केंद्र बिंदु जल निकाय, फव्वारे, थीम गार्डन (Theme Garden) आदि हैं। आगंतुकों को कोई परेशानी न हो, इसलिए टिकट काउंटर (Ticket Counter), पूछताछ काउंटर, प्रशासन भवन, सार्वजनिक शौचालय, भोजनालय, रेस्तरां आदि का निर्माण भी किया गया है। श्री जनेश्वर मिश्र के सम्मान में पार्क में उनकी 25 फीट ऊंची मूर्ति भी लगायी गयी है। विभिन्न प्रकार के पौधे पार्क को पर्यावरण के अनुकूल बनाते हैं। यह पार्क लंदन (London) के हाइड (Hyde) पार्क से प्रेरित है, जो पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ाने और सुधारने के साथ-साथ पक्षियों, छोटे जानवरों, मछलियों, उभयचरों और यहां तक कि, कीड़ों की कई प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करता है। पार्क सतत विकास की रणनीति पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य मानव-जाति के बीच, मानवता और प्रकृति के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देना है। इस पार्क में चार अलग-अलग दिशाओं से पहुँचा जा सकता है और इसलिए उत्तर और दक्षिण-पूर्व दिशा में चार अलग-अलग प्रवेश द्वार उपयुक्त बिंदुओं पर बनाए गये हैं।
जनेश्वर मिश्र पार्क, अपने आप में एक बहुत ही अद्भुत पार्क है, किंतु अब इसे मथुरा में बनाया जाने वाला पार्क टक्कर देने को तैयार है। मथुरा में कालीदा घाट के निकट बनाया जा रहा पार्क 400 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसे सिटी फोरेस्ट (City Forest) के रूप में विकसित किया जा रहा है। लगभग 150 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया जा रहा यह पार्क, जनेश्वर मिश्र पार्क को प्रतिस्थापित कर एशिया का सबसे बड़ा पार्क बनने को तैयार है।
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