मिस्र की संस्‍कृति में कमल के फूल का महत्‍व

लखनऊ

 04-12-2020 10:39 AM
शारीरिक

कमल के पुष्‍प को विभिन्‍न धर्मों में अलग-अलग महत्‍व दिया गया है। मिस्रियों के लिए, यह ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदू संस्कृति में कहा जाता है कि देवी-देवता कमल के सिंहासन पर विराजमान होते थे और एक बौद्ध किवदंति के अनुसार बुद्ध एक तैरते हुए कमल के ऊपर दिखाई दिए थे, और पृथ्वी पर जहां पर उन्‍होंने अपना पहला कदम रखा वहां पर कमल का फूल खिला था। बौद्ध धर्म में इसे एक पवित्र पुष्‍प माना गया है। कमल, बौद्ध धर्म के आठ शुभ संकेतों में से एक है - बौद्ध मंडलों में उपयोग किया जाने वाला आठ पंखुड़ियों वाला कमल लौकिक सद्भाव, एक हजार पंखुड़ियों वाला कमल, आध्यात्मिक रोशनी का प्रतीक है। कमल की एक कली क्षमता का प्रतीक है। सुप्रसिद्ध बौद्ध मंत्र, "ओम माने पद्मे" (Om Mane Padme), कमल में रत्न, आत्मज्ञान को संदर्भित करता है। पुराण एवं वैदिक साहित्‍य में व्‍यापक रूप से इसका उल्‍लेख किया गया है। इसी प्रकार प्राचीन काल में मिस्र में भी कमल के फूल का विशेष धार्मिक महत्‍व था। इसे अर्थ निर्माता, क्‍योंकि यह रात में बंद हो जाता है और भोर होते ही जलाशय में खिल उठता है इसलिए इसे सूर्य का प्रतीक भी माना जाता है। कई संस्कृतियों में, यह प्रक्रिया फूल को पुनर्जन्म और आध्यात्मिक ज्ञान से जोड़ती है। जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म की अपनी दैनिक प्रक्रिया के साथ, यह पुनर्जन्म का प्रतिनिधित्‍व करता है।
मिस्र में माना जाता था कि यह एक मात्र ऐसा पौधा था जिसमें फूल एवं फल एक साथ लगते थे। यह शुद्ध सफेद रंग का फूल कीचड़ के ऊपर खिलता था। इसके विषय में एक मिथ यह भी प्रचलित था कि एक विशाल कमल का फूल जलाशय से निकलाता है और उससे सूर्योदय होता है। इसके अलावा, प्राचीन मिस्र में कमल को कला के विभिन्न रूपों में चित्रित किया गया था। किसी कलाकृति की सीमाओं को सजाने के लिए कमल के फूल बनाए जाते थे इसके साथ ही भगवान के चित्रों में उनके हाथ में कमल का फूल दिखाया गया है। कमल का फूल उनकी उच्‍च गणितीय आंकड़ों में भी सहायता करता था जिसमें एक कमल के फूल को एक हजार तथा दो कमल के फूल को दो हजार में गिना जाता था। इसके अतिरिक्‍त आज भी विश्‍व में कई स्‍थानों पर इसे पवित्रता, सुंदरता, ऐश्वर्य, अनुग्रह, उर्वरता, धन, समृद्धि, ज्ञान और शांति का प्रतीक माना जाता है। प्रत्येक फूल के रंग का अपना प्रतीक भी होता है। बौद्ध चिकित्सकों के लिए, एक सफेद कमल पवित्रता का प्रतीक है, जबकि पीला कमल आध्यात्मिक से जुड़ा हुआ है। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में इसकी ख़ासी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता है। इसीलिए इसको भारत का राष्ट्रीय पुष्प होने का गौरव प्राप्त है।

कमल के पौधे के लिए धीमी गति से बहने वाली नदियां और डेल्टा (Delta) क्षेत्रों के बाढ़ के मैदान अनुकूलित हैं। तालाब के तल में हर साल कमल के सैकड़ों सैकड़ों बीज गिरते हैं। हालांकि कुछ तुरंत अंकुरित हो जाते हैं, और उनमें से अधिकांश वन्यजीवों द्वारा खा दिए जाते हैं, शेष बीज लंबी अवधि के लिए निष्क्रिय रह जाते हैं क्योंकि तालाब में सिल्ट (silts) होती है और वह सूख जाती है। बाढ़ की स्थिति के दौरान, इन बीजों से अवसाद अलग हो जाता है, और सुप्त बीज पुन: सक्रिय हो जाते हैं, जिससे एक नये कमल का बाग तैयार हो जाता है। अनुकूल परिस्थितियों में यह जलीय बारहमासी बीज कई वर्षों तक जीवित रह सकते हैं, सबसे पुराने रिकॉर्ड (Record) किए गए कमल के अंकुरण का बीज 1,300 साल पुराना था जो उत्तरपूर्वी चीन में एक सूखी झील से मिला था।

इस दलदली पौधे की जड़ें कम ऑक्सीजन वाली मिट्टी में ही उग सकती हैं। इसमें और जलीय कुमुदिनियों में विशेष अंतर यह है कि इसकी पत्तियों पर पानी की एक बूँद भी नहीं रुकती है, और इसकी बड़ी पत्तियाँ पानी की सतह से ऊपर उठी रहती हैं। एशियाई कमल का रंग सदैव गुलाबी होता है। नीले, पीले, सफ़ेद और लाल 'कमल' जल-पद्म होते हैं, जिन्हें कमलिनी कहा जाता हैं। बड़े आकर्षक फूलों में संतुलित रूप में अनेक पंखुड़ियाँ होती हैं। इसकी जड़ें पानी के नीचे कीचड़ में समानांतर फैली होती हैं।
जगत पादप (Plantae)
संघ मैग्नोलियोफ़ाइटा (Magnoliophyta)
वर्ग इक्विसेटोप्सिडा (Equisetopsida)
गण प्रोटिएल्स (Proteales)
उपगण प्रोटिएना (Proteana)
कुल नेलुम्बोनैसी (Nelumbonaceae)
जाति नेलुम्बो (Nelumbo)
प्रजाति न्युसिफ़ेरा (Nucifera)
द्विपदनाम नेलुम्बोन्युसिफ़ेरा (Nelumbo nucifera)
रंग कमल केपुष्प नीले, गुलाबी और सफ़ेदरंग के होते हैं।
पर्यायवाची शब्द पद्मा, पंकज, नीरज, जलज, कमल, कमला, कमलाक्षी, नलिन, अरविन्द, उत्पल, राजीव, सरोज, जलजात।
कमल की खेती के उपाय
कमल के बीज को एक गिलास क्लोरीनमुक्‍त, गर्म पानी में रखें। इस पानी में जो बीज तैरने लगें उन्‍हें अलग कर दें वे सामान्‍यत: अनुपजाऊ ही होते हैं। इनके अंकुरित होने तक रोज इनका पानी बदलते रहें। जब यह अंकुरित हो जाए तो इसे अच्‍छे बगीचे वाली चिकनी मिट्टी से भरे गमले में लगा लें और इसकी जड़ को मिट्टी से ढक दें। इसके बड़े होने पर पत्‍तों को स्‍वतंत्र एवं जड़ को मिट्टी से ढक कर रखें। इसे वर्षा के मौसम में लगाना चाहिए। बहुत अधिक उर्वरक से कमल के पत्ते जल सकते हैं। कमल की जड़ों को ठंड से बचाना महत्वपूर्ण है।
कमल का फूल मुख्‍यत: गर्मियों में ही खिलता है, ज‍बकि इसका पौधा बारह महीने रहता है। यह सामान्‍यत: दक्षिणी एशिया (Southern Asia) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) का मूल निवासी है और सर्वाधिक पानी वाले क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है। कमल की जड़ पानी के भीतर मौजूद कीचड़ में होती है और एक लंबे तने के सहारे इसके फूल पत्‍ते जलाशय या कीचड़ से ऊपर आते हैं। कमल के फूल, बीज, युवा पत्ते और प्रकंद सभी खाद्य हैं। एशिया में, इसकी पंखुड़ियों का उपयोग कभी-कभी गार्निश (Garnish) के लिए किया जाता है, जबकि बड़ी पत्तियों का उपयोग भोजन के लिए एक आवरण के रूप में किया जाता है। इसके विभिन्‍न भागों का प्रयोग पारंपरिक एशियाई जड़ी बूटी की दवाइयों में भी किया जाता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/36lmXXU
https://en.wikipedia.org/wiki/Nelumbo_nucifera
https://bit.ly/37mwQE2
https://www.theflowerexpert.com/content/aboutflowers/exoticflowers/lotus
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में मिस्र की कलाकृति और कमल के फूल में समानता को दिखाया गया है। (Flickr)
दूसरे चित्र में भी मिस्र की कलाकृति और कमल के फूल में समानता को दिखाया गया है। (Pixabay)
तीसरे चित्र में कमल के फूल का वैज्ञानिक वर्गीकरण को दिखाया गया है। (Pixabay)
चौथे चित्र में मिस्र की विभिन्न कलाकृतियों में कमल के उपयोग को दिखाया गया है। (Pixabay)


RECENT POST

  • परंपराओं का जीता जागता उदाहरण है, लखनऊ का आंतरिक डिज़ाइन
    घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

     02-01-2025 09:39 AM


  • कई विधियों के माध्यम से, प्रजनन करते हैं पौधे
    शारीरिक

     01-01-2025 09:27 AM


  • हिंदू, बौद्ध व यहूदी धर्मों में पुनर्जन्म की क्या अवधारणाएं हैं ?
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     31-12-2024 09:36 AM


  • लोगो डिज़ाइन की ऐतिहासिक दौड़ में, सुंदरता के बजाय, सरलता की जीत क्यों हुई ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     30-12-2024 09:42 AM


  • आइए देखें, कोरियाई नाटकों के कुछ अनोखे अंतिम दृश्यों को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     29-12-2024 09:24 AM


  • क्षेत्रीय परंपराओं, कविताओं और लोककथाओं में प्रतिबिंबित होती है लखनऊ से जुड़ी अवधी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:31 AM


  • कैसे, उत्तर प्रदेश और हरियाणा, भारत के झींगा पालन उद्योग का प्रमुख केंद्र बन सकते हैं ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:32 AM


  • आनंद से भरा जीवन जीने के लिए, प्रोत्साहित करता है, इकिगाई दर्शन
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:36 AM


  • क्रिसमस विशेष: जानें रोमन सभ्यता में ईसाई धर्म की उत्पत्ति और विकास के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:35 AM


  • आइए जानें, सौहार्द की मिसाल कायम करते, लखनऊ के ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id