संतरा एक ऐसा फल है, जिसे लगभग सभी लोगों द्वारा पसंद किया जाता है। खाद्य पदार्थ के अलावा यह अन्य क्षेत्रों में भी बहुत उपयोगी है। इसके रस का उपयोग जहां जूस (Juice) बनाने में किया जाता है, वहीं छिलका, सौंदर्य प्रसाधन सामग्रियों के निर्माण में काम आता है। वास्तव में, संतरा, विभिन्न खट्टे या सिट्रस (Citrus) प्रजातियों का फल है, जो रूटेसी (Rutaceae) परिवार से सम्बंधित है। यह मुख्य रूप से सिट्रस × साइनेंसिस (Sinensis) को संदर्भित करता है, जिसे मीठा संतरा भी कहा जाता है। कड़वा या खट्टा संतरा, साइट्रस × ऑरेंटियम (Aurantium) को संदर्भित करता है, जो स्वाद में मीठे संतरे से थोड़ा अलग है। मीठा संतरा अलैंगिक रूप से प्रजनन करता है, तथा इसकी किस्में उत्परिवर्तन के माध्यम से उत्पन्न होती हैं। संतरे का एक लंबा और जटिल इतिहास रहा है, क्योंकि यह एक जंगली फल नहीं, बल्कि संतरे की मैंडरिन (Mandarin) और पोमेलो (Pomelo) किस्म से सावधानीपूर्वक उत्पादित किया गया परिष्कृत संकर है। संतरे की खेती करने वाले देशों में मुख्य रूप से उत्तरपूर्वी भारत, दक्षिणी चीन (Southern China) और संभवतः इंडोचीन (Indochina) है। संतरे की पोमेलो किस्म, जहां भारत में उत्पन्न हुयी है, वहीं मैंडरिन को चीन में उत्पादित किया गया है। कई प्राचीन सभ्यताएं सिट्रस की खेती में लगे हुए थी, जिनमें चीन, भारतीय, यहूदी (Jews), फारसी (Persians), अरब (Arabs), यूनानी (Greeks), और रोमन (Romans) आदि सभ्यताएं शामिल थी। ये सभी किसी न किसी समारोह में सिट्रस फल का उपयोग अवश्य करते हैं, जैसे - यहूदी सुक्कोट (Sukkot- यहूदी उत्सव) के लिए एट्रोग (Etrogs – सिट्रस की एक प्रजाति) खरीदते हैं, तो वहीं ईसाई क्रिसमस (Christmas) के पेड़ों पर संतरे रखते हैं। इसी प्रकार से चीन के लोग नए साल के दौरान सिट्रस फल का विनिमय करते हैं।
संतरे की उत्पत्ति की बात करें तो, माना जाता है कि, यह फल दक्षिणी चीन, पूर्वोत्तर भारत और म्यांमार (Myanmar) के क्षेत्र में उत्पन्न हुआ था। मीठे संतरे का प्रारंभिक विवरण 314 ईसा पूर्व के चीनी साहित्य में प्राप्त होता है। यूरोप में, मूर (Moors), जो कि, मध्य युग के दौरान माघरेब (Maghreb), इबेरियन प्रायद्वीप (Iberian Peninsula), सिसिली (Sicily) और माल्टा (Malta) के मुस्लिम निवासी थे, ने संतरे को स्पेन (Spain) में पेश किया। संतरे की खेती के लिए यहां जटिल सिंचाई तकनीकों को अनुकूलित किया गया, जिसके कारण 10वीं शताब्दी में यहां संतरे की बड़े पैमाने पर खेती शुरू हुई।
सिट्रस फलों (खट्टे संतरे सहित) को 9वीं शताब्दी के दौरान सिसिली में पेश किया गया था, लेकिन मीठे संतरे की प्रजाति 15वीं शताब्दी के अंत या 16वीं शताब्दी की शुरुआत तक इन क्षेत्रों में ज्ञात नहीं थी। 16 वीं शताब्दी की शुरुआत के बाद इतालवी और पुर्तगाली व्यापारी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में संतरे के पेड़ लाए और कुछ ही समय में, मीठे संतरे को एक खाद्य फल के रूप में अपनाया गया। सन् 1646 तक, मीठा संतरा पूरे यूरोप में जाना जाने लगा था। भारत में केले और आम के बाद संतरे को फलों की प्रमुख फसल माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा प्रकाशित 2010 के आंकड़ों के अनुसार भारत संतरे के उत्पादन लिए ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद पूरी दुनिया में तीसरे स्थान पर था। श्रीलंका (Sri Lanka), फ्रांस (France), ब्रिटेन (Britain), बेल्जियम (Belgium), बांग्लादेश (Bangladesh) सहित अनेकों देशों को भारत मीठे संतरे निर्यात करता है। देश में संतरे का मौसम क्षेत्र के अनुसार बदलता रहता है। उत्तरी क्षेत्रों में, संतरे का मौसम दिसंबर से फरवरी तक होता है, जबकि दक्षिणी क्षेत्रों में इनका मौसम मार्च से लेकर अक्टूबर तक रहता है। मध्य और पश्चिमी भारत में संतरे का मौसम नवंबर से जनवरी तक तथा मार्च से मई के बीच होता है। भारत में संतरे का उत्पादन आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में केंद्रित है। मीठे संतरे का उत्पादन करने वाले क्षेत्र हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, नागपुर आदि हैं।
यूं तो, संतरे का उत्पादन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में होता है, लेकिन भारत का नागपुर शहर अपने विशेष संतरों के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि, इन्हें यहां 19वीं शताब्दी में पूर्वोत्तर से भोंसला (Bhonsalas) शासकों द्वारा लाया गया था, जो कि, उस समय इस क्षेत्र के शासक थे।
कुछ लोगों का मानना है कि, ग्राफ्टिंग (Grafting) और बडिंग (Budding) की विशेष प्रणाली के कारण नागपुर के संतरे अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा अलग और अच्छे होते हैं। इन तकनीकों को यहां के स्थानीय किसानों द्वारा पहले से ही उपयोग किया जाता रहा है। नागपुर के संतरे का स्वाद थोड़ा खट्टा है, जिसका मुख्य कारण इसके बीज और रेशे में मौजूद लिमोनीन (Limonin) है। इस तत्व के कारण भले ही संतरा थोड़ा खट्टा लगे, लेकिन यह गुर्दे की पथरी जैसे रोगों को ठीक करने में काफी मददगार साबित होता है। अपने खट्टे और मीठे विशिष्ट स्वाद के कारण ही आज संतरा पूरे विश्व भर में लोकप्रिय है।
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