लखनऊ शहर की संस्कृति बहुत परिष्कृत और उत्कृष्ट है तथा इत्र (Ittr) या ईत्तर (Ittar) निर्माण की कला इस संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सबसे जटिल और परिष्कृत इत्रों में से एक शममा (Shamama) और मजमुआ (Majmua) इत्र का आविष्कार इसी क्षेत्र में हुआ था। यूं तो, प्राचीन भारत में विभिन्न कार्यों के लिए सुगंध को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता था, लेकिन इसका विस्तार सबसे अधिक तब हुआ जब, आनंदपूर्ण तथा विलासपूर्ण जीवन के लिए इत्र बनाने की कला का विकास किया गया। इस विकास में विभिन्न शासकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही, क्योंकि ऐसे कई साक्ष्य हैं, जो यह बताते हैं, कि उन्होंने विलासपूर्ण जीवन के लिए सुगंध को कितना अधिक महत्व दिया था। 15वीं शताब्दी में लिखी गयी घियाथ शाही (Ghyiath Shahi) की नीमतनामा (Ni’matnama) या बुक ऑफ डिलाइट्स (Book Of Delights) इसका एक अच्छा उदाहरण पेश करती है। जब सन् 1469 में घियाथ शाही, मालवा सल्तनत का शासक बना, तब उसने दुनिया के सारे सुख प्राप्त करने का फैसला किया जिनमें, ‘सुगंध का सुख’ भी एक था। ‘नीमतनामा’ अब तक लिखे गए ‘विलासपूर्ण जीवन’ का सबसे बड़ा रिकॉर्ड (Record) है। इस पुस्तक का अधिकांश भाग ‘सुगंध के आनंद’ पर केंद्रित है, जिसके अंतर्गत गुलाब-जल और सुगंधित तेल को आसवित (Distilled) करने के कई सुझाव दिये गये हैं। इसके अलावा सुगंधित धूप (Incense), डिओडोरेंट (Deodorants), सुगंधित लेप आदि बनाने की विभिन्न विधियों का उल्लेख भी इस किताब में मिलता है। सुगंध के महत्व का अन्य उदाहरण पुस्तक ‘इत्र - आई नवरस शाही’ (Itr-I Nawras Shahi) है, जिसे दक्षिण भारतीय शासक इब्राहिम आदिल शाह II (Ibrahim Adil Shah II) के लिए लिखा गया था। इस पुस्तक में सुगंध या इत्र निर्माण के अनेकों तरीकें बताए गये हैं। इसमें मालिश के लिए उपयोग किये जाने वाले तेल, गला साफ करने के पदार्थ, दंत मंजन और सांसों को महकाने वाले पदार्थों (Breath Fresheners) को बनाने का विस्तृत विवरण दिया गया है। अन्य विस्तृत इत्र मैनुअल (Manual), 19वीं शताब्दी के शुरुआती दिनों का हैदराबादी विवरण लखलाख (Lakhlakha) है, जिसमें एम्बरग्रीस (Ambergris), कपूर, कस्तूरी और सुगंधित मोमबत्तियों को तैयार करने की विधियां विस्तार पूर्वक बतायी गयी हैं।
लखनऊ में निर्मित किये गये इत्र, दुनिया के सबसे प्रसिद्ध इत्रों में से एक हैं। यहां इत्र निर्माण की कला का विस्तार मुगल काल में सबसे अधिक देखने को मिलता है, जब नवाबों के संरक्षण में इत्र उद्योग का विकास किया गया। उत्तर प्रदेश के केंद्र और लखनऊ के उत्तर में स्थित कन्नौज, भारत में इत्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है। यहां अभी भी इत्र निर्माणकर्ताओं की वे पीढ़ियां मौजूद हैं, जिनके पूर्वजों ने लखनऊ के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह (Wajd Ali Shah) के लिए इत्र निर्माण किया था। लखनऊ में हर अवसर या मौसम के लिए विभिन्न प्रकार के इत्र तैयार किये गये हैं। जैसे - सर्दियों के मौसम के लिए शममा जेफ्रॉन (Zafran) या सेफ्रॉन (Saffron), गर्मियों के लिए चमेली, गुलाब आदि की सुगंध वाले इत्र, तथा मानसून के लिए मिट्टी की महक वाले इत्र आदि। इत्र का निर्माण व्यक्तिगत स्वभाव या स्वास्थ्य के आधार पर भी किया गया है। जैसे गुलाब इत्र फेफड़ों और आंखों का संक्रमण कम करने में मदद करता है। इसी प्रकार से शममा इत्र को सिरदर्द से निजात पाने और केवड़ा इत्र को पेट दर्द कम करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
एक समय ऐसा था जब भारत ने इत्र निर्माण की कला में बहुत प्रसिद्धि हासिल की थी, लेकिन आज, अल्कोहल (Alcohol) आधारित सुगंधों या इत्रों का बहुत ज्यादा निर्माण किया जा रहा है, जो दुनिया भर के किसी भी अन्य आधुनिक इत्र केंद्र में उपलब्ध हैं। इस प्रकार सदियों बाद, इत्र बनाने की कला विलासिता से भरे बाजार में अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखने का प्रयास कर रही है। अल्कोहल आधारित पश्चिमी इत्र उस लोकप्रियता को हासिल नहीं कर पाये हैं, जिसे लखनऊ में बनायी गयी इत्रों ने हासिल किया था। इसका मुख्य कारण यह है, कि यहां बनाये गये इत्र पूरी तरह से प्राकृतिक थे, अर्थात उसमें किसी भी प्रकार के रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता था। एक बार लगा देने से उसकी महक कई दिनों तक बनी रहती थी। लखनऊ में आज भी ऐसे इत्र केंद्र मौजूद हैं, जो प्राकृतिक रूप से इत्र निर्माण करते हैं। यदि इस परंपरा का अभ्यास इसी तरह से किया जाता रहा तो, प्राकृतिक रूप से बनाये गये इत्रों के प्रभाव को फिर से बढ़ाया जा सकता है।
लखनऊ के कई इत्र केंद्र आपके लिए निजीकृत इत्र तैयार करने का काम कर रहे हैं। आप अपनी पसंदीदा महक जैसे वुडी (Woody), फ्लोरल (Floral), स्पाइसी (Spicy) या फ्रूटी (Fruity) चुनें, और वे इसमें अन्य सामग्रियों को डालकर ऐसा इत्र तैयार करेंगे, जैसा कि आप चाहते हैं। हालांकि इसमें थोड़ा समय लग सकता है, क्यों कि एक बेहतरीन इत्र को ठीक से तैयार करने में काफी समय लगता है। इन इत्र केंद्रों में सुगंधको (Sugandhco), फ्रेगरेंटर्स एरोमा लैब प्राइवेट लिमिटेड (Fragrantor’s Aroma Lab Pvt. Ltd), सुगन्ध व्यापार (Sugandh Vyapar), इजहारसंस (Izharsons) शामिल हैं। सुगंधको इत्र केंद्र, में आपको 500 रुपये से लेकर 12,000 रुपये तक के इत्र उपलब्ध हो जायेंगे। यह आपको अपना निजी इत्र तैयार करके भी देता है। फ्रेगरेंटर्स एरोमा लैब प्राइवेट लिमिटेड, एक अन्य इत्र केंद्र है, जो आपको 50 मिली लीटर की न्यूनतम मात्रा वाला इत्र तैयार करके देता है।
पहले से निर्मित इत्र आपको यहां 150 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक की श्रेणी में उपलब्ध हो जायेगा। सुगन्ध व्यापार भी अपने ग्राहकों के लिए निजी इत्र तैयार करता है। इत्र की 10 मिली लीटर की मात्रा आपको यहां 300 रुपये में उपलब्ध हो जायेगी। इत्र केंद्र इजहारसंस, मोगरा फूल की सुगंध वाले इत्र के लिए जाना जाता है। यहां आपको विभिन्न प्रकार के फूलों और मिश्रित फूलों के सुगंध से बने इत्र उपलब्ध हो जायेंगे। इत्र की 10 मिली लीटर की न्यूनतम मात्रा आपको यहां 200 रुपये में उपलब्ध हो जायेगी। इत्र जितना अधिक सांद्र होगा उसकी कीमत भी उतनी ही अधिक होगी। इस प्रकार से इन इत्र केंद्रों के माध्यम से आप अपना निजी इत्र प्राप्त कर सकते हैं।
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