सूरज की रोशनी से रोशन चांद की सतह पर पहली बार पानी पाया गया। एक अन्य खोज में पाया गया कि छायादार क्षेत्रों में संभावित बर्फ का फैलाव उम्मीद से ज्यादा विस्तृत है। इन खोजों से चांद पर शोध कर रहे लोगों को कुछ नई चीजों की जानकारी मिली। पहले के शोधों में पानी की उपलब्धता के प्रमाण दिए थे। 2009 में ध्रुवीय क्षेत्रों में चंद्रयान-1 के नजदीक चांद के खनिज विद्या नक्शा नवीस यंत्र को पानी के अणु मिले थे। अगस्त 2013 की नेचर जियो साइंस (Nature Geo Science) पत्रिका में एक शोध प्रकाशित हुआ, जिसने डाटा का विश्लेषण करके चांद की गहरी निचली सतह से निकलने वाले चुंबकीय पानी को खोजा।
समुद्री ग्रह
समुद्री ग्रह एक प्रकार का स्थलीय ग्रह होता है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में पानी ऊपरी सतह पर या अंदरूनी सतह पर होता है। विभिन्न द्रव जैसे लावा, अमोनिया या हाइड्रोकार्बन (Ammonia or Hydrocarbons) से निर्मित खगोलीय पिंडों को समुद्री दुनिया कहते हैं। पृथ्वी एकमात्र खगोलीय ग्रह है, जिसमें सतह के ऊपर पानी पाया जाता है। पृथ्वी के अलावा कुछ एक्सोप्लेनेट (Exoplanet) यानी वह ग्रह जो सौरमंडल के बाहर किसी तारे की परिक्रमा करते हैं, उन पर भी पानी की संभावना होती है। समुद्री ग्रहों की विशेषताएं इसका सुराग देती हैं कि सौर मंडल की स्थापना और उसका विकास कैसे हुआ? उनकी अतिरिक्त खूबी है जीवन को जन्म देने और उसका पालन पोषण करने की। 2020 में नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि एक्सोप्लैनेट मिल्की वे (Milky Way) आकाशगंगा में सामान्य रूप से पाए जाते हैं।
समुद्र : दूसरे ग्रहों पर
यूरोपा की उपसतह पर पानी पाया जाता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि यूरोपा का गुप्त समुद्र खारा, ज्वार वाला होने के साथ-साथ ऊपर की बर्फीली सतह को चलाता भी रहता है, जिससे उसके टुकड़े हो जाते हैं। हालांकि यह माना जाता है कि यूरोपा में जीवन के सहयोगी पानी, ऊर्जा और कार्बनिक यौगिक होते हैं फिर भी यह हमारे सौर मंडल के रहने योग्य क्षेत्र से बाहर है। 2015 में नासा ने वर्तमान मंगल ग्रह पर पानी होने की पुष्टि की थी। हमारे सौरमंडल से बाहर पानी मिलने से अतिरिक्त स्थलीय जीवन होने के संकेत मिलते हैं। इनमें से कुछ ग्रह मात्र 12 प्रकाश वर्ष दूर है और रात में आंखों से देखे जा सकते हैं।
चांद पर पानी
चांद पर जगह-जगह पानी है, फिर भी पीने के लिए एक बूंद भी नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद पर पानी के अणु खनिजों में दबे हुए हैं और बर्फ के टुकड़ों में काफी पानी छुपा है। चंद्रमा के पास लगभग 15000 वर्ग मील स्थाई छाया है, जिन्होंने बर्फ के रूप में पानी को छुपा रखा है। पानी बहुमूल्य स्रोत है और भावी अंतरिक्ष और रोबोटिक अभियानों का लक्ष्य है कि पीने योग्य और ईंधन के रूप में उपयोग होने लायक पानी को बाहर निकालना और इस्तेमाल करना। एक रहस्य अभी भी सुलझा नहीं है, वह है चांद के पानी का स्रोत क्या है? नासा (NASA) के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि फिलहाल इसके बड़े प्रतियोगी हैं- धूमकेतु, छोटा तारा, ग्रहों के बीच के आपसी धूल के कण, सौर हवा और चांद पर होने वाले ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाली गैस ।
पानी की खोज क्यों जरूरी?
जीवन के लिए जरूरी होने के अलावा सुदूर अंतरिक्ष में बहुत कीमती स्रोत है पानी। अंतरिक्ष पर उतरने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के जीवन और रॉकेट ईंधन के लिए पानी जरूरी है। अगर अंतरिक्ष में चांद पर मौजूद पानी उपयोग में आने लगेगा तो भविष्य के अभियानों में पृथ्वी से ज्यादा पानी ले जाने की जरूरत नहीं होगी
पानी की दुनिया :जीवन की संभावना
आकाशगंगा में अपने में पानी समेटे दुनिया की बाढ़ के बावजूद वैज्ञानिक इस मुद्दे पर एकमत नहीं है कि मनुष्य की रिहाइश वहां संभव है। लगभग 39 प्रकाश वर्ष दूर कुंभ नक्षत्र एक ऐसा ग्रह है जो विश्व के सभी समुद्रों को जलमग्न करने के साथ-साथ पूरी दुनिया को डुबोने की क्षमता रखता है । यह ग्रह अकेला नहीं है। 2017 के शोधों के अनुसार 7 में से 4 पानी की दुनिया वास्तव में पानी में सोखी हुई है। पूरे ब्रह्मांड में अनेक पानी की दुनिया है।
पृथ्वी पर कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) वातावरण के बीच फैल सकती है और एक शीतोष्ण आच्छादन का काम करती है। जब वातावरण की स्थितियां बदलती हैं तब भी। उदाहरण के लिए सूर्य की चमक कम होने पर कार्बन डाइऑक्साइड के अणु वातावरण में घट जाते हैं और ज्यादा से ज्यादा पृथ्वी के भीतर जमा हो जाते हैं। यह कार्बन सिलीकेट चक्र (Carbon Silicate Cycle) अंतरिक्ष की पानी की दुनिया पर संभव नहीं है। दूसरे इनमें मौजूद बर्फ की परत के कारण फास्फोरस का खनन संभव नहीं है। यहां हम कुछ उबाल या जमा नहीं सकते। जीवन के लिए जरूरी पोषक तत्वों की उपलब्धता यहां संभव नहीं है। अभी इस दिशा में बहुत शोध होना बाकी है। जीवन की इस तलाश में यह भी देखा जा सकता है कि अंतरिक्ष में सुविधाएं क्या है? पृथ्वी की क्लोनिंग (Cloning) का विचार भी चर्चा में है।
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